VIDEO-मादा भालू की ममता के आगे हारा वन अमला.. बारह घंटे तक डटे रही और पिंजरे में फँसे शावक को लेकर ही रवाना हुई..
सूरजपुर,10 दिसंबर 2021। ममता के आगे भला कौन जीता! फिर ममता जानवर की हो या इंसान की.. माँ तो माँ है जनाब..। ऐसा ही क़िस्सा हुआ जहां वन अमले ने मादा भालू की ममता भरी जिद के आगे हार मानी और पिंजरे में फँसे शावक को उसके हवाले कर दिया।
ज़िले के पर्री स्थित एक घर में रेडी टू इट का निर्माण होता है, घर के पीछे इलाक़े में गूड़ लाई समेत अनुपयोगी रह गई सामग्री फेंक दी जाती थी, और हर दिन ताज़ा सामग्री का उपयोग होता था। कई दिनों से मादा भालू दो शावकों के साथ वहाँ और कई बार ज़िला मुख्यालय के किनारे क्षेत्रों में देखी जाती रही है, हालाँकि कभी कोई नुक़सान मादा भालू और उसके दोनों शावकों ने नहीं पहुँचाया था। पर्री के उस घर को मादा भालू और उसके दोनों शावकों ने नियमित ठौर बना लिया था, दूर्घटना की आशंका से वन अमले ने वहाँ पिंजरा लगा दिया। सुबह चार बजे दो शावकों में से एक शावक उस पिंजरे में फँस गया। वन अमले को लगा था कि दिन होगा तो मादा भालू हट जाएगी लेकिन सबको हैरत में डालते हुए मादा भालू एक अन्य शावक के साथ वहाँ डट गई।
मादा भालू किसी सूरत अपने छौने को छोड़ दूर जाने की बात अलग रही वहाँ से हटने को तैयार नहीं हुई। बल्कि उसे जैसे ही आशंका होती थी कि कोई पिंजरे की तरफ़ आ रहा है वह आक्रामक होकर सामने चली आती।
पूरे बारह घंटे तक यह क़वायद चलती रही, और आख़िरकार वन अमले ने पिंजरे को खोल दिया, पिंजरा खूलते ही बेहद ग़ुस्से में आगबबूला मादा भालू एकदम शांत हो गई और अपने शावक को दुलारते हुए चुपचाप चली गई।
लेकिन विशेषज्ञ इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चिंतित हैं। मादा भालू और उसके दोनों शावक लंबे अरसे से शहर के किनारे और ग्रामीण इलाक़ों में हैं लेकिन अभी तक कोई हिंसक स्वरुप उन्होंने नहीं दिखाया था, अब दोनों शावकों को लेकर मादा भालू स्वाभाविक रुप से क्रोध और ज़्यादा सतर्क रहेगी। वन अमले को यदि उन तीनों को दूर हटाना था तो उसके लिए थोड़ा बेहतर तरीक़ा अपनाना था, पिंजरे में शावक को पकड़ना मादा भालू को यदि अब आक्रामक कर जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए,क्योंकि उसके शावक को बारह घंटे बाद भले छोड़ा गया लेकिन बारह घंटे तक वह डटी भी रही।