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क्या कह गए BJP नेता साय: छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी नेता ने प्रेस कांफ्रेंस में पूछा - आदिवासियों की आवाज को अभी भी दबाया जाएगा क्या? ये तो गड़बड़ बात है...

भारतीय जनता पार्टी रायपुर छत्तीसगढ़ के पेज से वीडियो लाइव किया गया, फिर हटा दिया गया।

क्या कह गए BJP नेता साय: छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी नेता ने प्रेस कांफ्रेंस में पूछा - आदिवासियों की आवाज को अभी भी दबाया जाएगा क्या? ये तो गड़बड़ बात है...
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By NPG News

रायपुर। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में पांच राज्यों की कई जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला किया गया। ये सभी आदिवासी वर्ग से हैं, लेकिन मात्रा में त्रुटि के कारण इन्हें अनुसूचित जनजाति वर्ग का नहीं माना गया, इसलिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जनजाति वर्ग के विकास के लिए जो योजनाएं चलाई जाती हैं, उसका लाभ नहीं मिल रहा है। मोदी कैबिनेट के फैसले से अब लाभ मिलने लगेगा।

यह फैसला कितना बड़ा है, इसका अंदाज ऐसे लगाइए कि छत्तीसगढ़ के 20 लाख लोगों को इस फैसले का फायदा मिलेगा। जाहिर है कि फैसला बड़ा है और बड़े वर्ग को प्रभावित करता है, इसलिए हर कोई श्रेय लेना चाहता है। भाजपा ने भी लिया और कांग्रेस नेताओं ने भी यह दावा किया कि सीएम भूपेश बघेल की पहल पर यह संभव हुआ। खैर, हम इस पर नहीं जा रहे कि श्रेय किसका है, क्योंकि दोनों ही दलों के नेताओं ने पहल की थी। मांग जायज थी, इसलिए केंद्र सरकार ने उनके हित में फैसला दिया।

हम आपका ध्यान आज हुई घटना की ओर दिलाना चाहते हैं। भाजपा के कई आदिवासी नेता, जिनमें वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय, पूर्व मंत्री और नवनियुक्त प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप, जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम आदि भाजपा दफ्तर में इस ऐतिहासिक फैसले के संबंध में मीडिया से चर्चा करने जुटे थे। बातचीत की शुरुआत हुई तो माइक में दिक्कत आने लगी। आवाज नहीं आ रही थी, इसलिए मीडिया की ओर से बार बार आपत्ति की गई। इस स्थिति से वरिष्ठ नेता साय, प्रदेश महामंत्री कश्यप और अन्य नेता असहज महसूस कर रहे थे। आखिरकार, साय ने को यह कहना पड़ा कि आदिवासियों की आवाज को अभी भी दबाया जाएगा क्या? ये तो गड़बड़ बात है...। साय ने हंसते हुए यह बात कही, लेकिन उनकी भाव भंगिमा के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

क्या भाजपा से नाराज है आदिवासी समाज

छत्तीसगढ़ में क्या आदिवासी समाज भाजपा से नाराज है। फ्लैशबैक में जाकर देखें तो 2018 का चुनाव परिणाम ऐसा इशारा करता है, क्योंकि बस्तर और सरगुजा संभाग से भाजपा का सफाया हो गया। जशपुर में जहां वनवासी कल्याण आश्रम का मुख्यालय है, वहां भी एक भी सीट भाजपा को नहीं मिली। अब ताजा मामला विश्व आदिवासी दिवस का है, जब भाजपा ने आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसके बाद वे भाजयुमो के हल्ला बोल और अमित शाह के कार्यक्रम में नहीं आए। इसे लेकर आदिवासी समाज में भी नाराजगी की बात आ रही है। उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने भी इसे लेकर भाजपा पर तंज किया है।

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