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कदम से कदम मिलाकर: भारत जोड़ो यात्रा में राहुल के साथ सीएम भूपेश, नारियल पानी पीने के लिए कैसे हुआ पहले आप, पहले..., देखिए वीडियो

कदम से कदम मिलाकर: भारत जोड़ो यात्रा में राहुल के साथ सीएम भूपेश, नारियल पानी पीने के लिए कैसे हुआ पहले आप, पहले..., देखिए वीडियो
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By NPG News

NPG ब्यूरो - कन्याकुमारी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो गई। देश के बारह राज्यों से होते हुए 3500 किलोमीटर की यह यात्रा 150 दिनों में पूरी होगी। यात्रा के पहले दिन छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल राहुल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते नजर आए। नारियल पानी पीने का मौका आया तो भूपेश बघेल और पार्टी महामंत्री केसी वेणुगोपाल के बीच दिलचस्प अंदाज में पहले आप...पहले आप हुआ। देखिए वीडियो...






राहुल की पदयात्रा: भारत की सियासत में पदयात्राओं के जरिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तक पहुंचे ये नेता...पढ़िए NPG की खास रिसर्च रिपोर्ट

कन्याकुमारी 02 सितंबर 2022 I 1942 में गांथी जी ने दो शब्द कहे थे अंग्रेजो भारत छोड़ो और 80 साल बाद राहुल गांधी ने दो शब्द कहे हैं भारत जोड़ो। गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत को उखाड़ फेंकने के लिए ये आंदोलन शुरू किया था। जब गांधी जी देश में व्याप्त निराशा से चिंतित होते थे तो अक्सर पदयात्राओं पर निकल जाते थे। आज 80 साल बाद राहुल भी कह रहे हैं कि देश को तोड़ने की कोशिशें हो रही हैं। देश में निराशा है।

आजादी से पहले और आजादी के बाद पदयात्राओं का समृद्ध इतिहास है। आजादी के बाद कई राजनेता लंबी पदयात्राओं के बाद मुख्यमंत्री भी बने और प्रधानमंत्री भी। खासतौर पर दक्षिण के राज्यों में पदयात्रा के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। पदयात्राएं अक्सर विपक्ष की कथित विफलता, सामाजिक सोहार्द और खुद की सियासी जमीन तलाशने और उसे पक्की करने के लिए होती रही हैं। राहुल गांधी की पदयात्रा भी सत्ताधारी भाजपा पार्टी के कथित धुर्वीकरण को लेकर है। भारत जोड़ो पदयात्रा से पहले राहुल कहते हैं मैं जानता हूं कि यह देश को जोड़ने की लंबी लड़ाई है। मैं इस लड़ाई के लिए तैयार हूं। भारत की राजनीति का ध्रुवीकरण हो गया है। हम अपनी यात्रा में लोगों को बताएंगे कि कैसे एक तरफ आरएसएस की विचारधारा है और दूसरी तरफ हम लोगों की सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा है। हम इस विश्वास को लेकर यात्रा शुरू कर रहे हैं कि भारत के लोग तोड़ने की नहीं, बल्कि जोड़ने की राजनीति चाहते हैं। जनता से टूटे संवाद के तार को जोड़ने के लिए राहुल गांधी ने 'एक तेरा कदम, एक मेरा कदम, मिल जाए तो जुड़ जाए अपना वतन' का नारा दिया है।

राहुल चलेंगे 200 दिन में 3500 किलोमीटर:- राहुल गांधी कोई आंदोलन नहीं कर रहे हैं। राहुल क एक पदयात्रा है जो 7 सितंबर से शुरू होने जा रही है। राहुल के लिए ही शब्दों में कहें तो यह यात्रा उनके लिए एक तपस्या है और वे इसे पूरा जरूर करेंगे। चाहे उनके साथ कोई चले न चले, वे अकेले चलेंगे। तो सबसे पहले कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित इस यात्रा के बारे में थोड़ा जान लेते हैं। भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू होगी और 12 राज्यों व 2 केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए करीब 200 दिनों में 3500 किमी की दूरी नापने के बाद जम्मू कश्मीर में समाप्त होगी।तो ये तो बात हुई हाल में होने जा रही भारत जोड़ो यात्रा की, अब जान लेते हैं भारत में अब तक हुई ऐसी प्रमुख पदयात्राओं की, जो वक्त के उस दौर में बड़ा बदलाव लाने में सक्षम हुईं। कभी राजनैतिक दृष्टिकोण से तो कभी सामाजिक दृष्टिकोण से।

गांधी जी ने ही समझी और समझायी पदयात्राओं की ताकत:- दरअसल, पदयात्राओं का महत्व गांधी जी समझा और समझाया था। उस वक्त सामाजिक और राजनीतिक चेतना जगाने और लोगों तक अपने विचार पहुंचाने का बेहद प्रभावशील माध्यम पदयात्रा ही था। गांधी जी ने दांडी यात्रा स्वयं सेवकों द्वारा 12 मार्च, 1930 ई. को प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था- अंग्रेज़ों द्वारा बनाये गए 'नमक क़ानून को तोड़ना'। गाँधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों के साथ साबरमती आश्रम से 358 कि.मी. दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया। लगभग 24 दिन बाद 6 अप्रैल, 1930 ई. को दांडी पहुँचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक क़ानून को तोड़ा।

चंद्रशेखर बने पीएम:- गांधी जी के बताए पदयात्रा की सियासी राह पर आजादी के बाद भी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिज्ञ खूब चले हैं। सियासी मकसद भी पूरे हुए। 1983 में जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर, जिन्होंने कन्याकुमारी से दिल्ली के राजघाट पर बापू की समाधि तक 4,000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की थी। 1990 में देश के प्रधान मंत्री बने।वाय एस राजशेखर बने सीएम वायएस राजशेखर रेड्डी ने भी जनता से जुड़ने के मकसद से 2004 में पदयात्रा प्रारंभ की और दो महीने में वे 1500 किलोमीटर चले। उसका असर यह हुआ कि वे कांग्रेस को जितवाने में सफल रहे, साथ ही 2009 में सीएम भी बने।

1700 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद चंद्रबाबू भी बने थे सीएम:- तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने 2013 में 1,700 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की। 2014 में विधानसभा चुनाव लड़ा और राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए। उन्हें भी पदयात्रा का खूब लाभ मिला था। चंद्रबाबू की पदयात्रा प्रमुख राजनीतिक घटनाओं में शुमार की जाती है।

वाईएस जगन मोहन रेड्डी चले थे 3648 किलोमीटर:- जगन रेड्डी ने 6 नवंबर, 2017 को पैदल मार्च शुरू किया और 341 दिनों में आंध्र प्रदेश के 13 जिलों के माध्यम से 3,648 किमी पैदल चले। 30 मई, 2019 को वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।अपने लिए राजनीितक जमीन तलाशने, जनता से बेहतर रिश्ते बनाने और जनता का मूड भांपने के लिए भीे पदयात्राएं हमेशा से उपयोगी रही हैं। लेकिन यह राहुल गांधी के लिए आज की स्थिति में कितनी फायदेमन्द होगी, यह आज के हालात में कहना और तय करना थोड़ा कठिन है। वजह है कि जनता के पास सूचना और कच्चे पक्के तथ्यों की भरमार है। कांग्रेस में नेताओं का का पतझड़ छाया हुआ है। कांग्रेस पार्टी से जुड़ी खबरें जनता में उम्मीद कम और निराशा ज्यादा जगाती हैं। शायद राहुल गांधी भी इससे वाकिफ हैं और कह रहे हैं कि यह लंबी लड़ाई है। कोई साथ रहे या न रहे, वे चलते रहेंगे...वे अकेले चलते रहेंगे में भी राजनीतिक संदेश है। अपनी विचारधारा पर वे अडिग हैं। पार्टी छोड़ते अपने नेताओं के पतझड़ के बाद भी वे चलते रहने का संकल्प दिखा रहे हैं। इसी संदेश के साथ वे पदयात्रा कर जनता के बीच जा रहे हैं। जनता को समझने और समझाने भी। जो रास्ता कभी महात्मा गांधी ने दिखाया था...उसी रास्ते पर। देखना है वैसा प्यार, भाव और प्रभाव जनता से राहुल को हासिल होगा या नहीं।

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