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Uttarakhand Bhagavad Gita schools: सीएम धामी का बड़ा ऐलान, उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अब अनिवार्य होगा गीता पाठ, प्रार्थना सभा में पढ़ाया जाएगा भगवद गीता श्लोक
Uttarakhand schools Bhagavad Gita: उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला। सभी सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में भगवद गीता का श्लोक पढ़ाया जाएगा। NEP 2020 के तहत गीता और रामायण पाठ्यक्रम में शामिल।

Uttarakhand schools Bhagavad Gita: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में भगवद गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य करने की घोषणा की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब स्कूलों की सुबह की प्रार्थना सभा में प्रतिदिन भगवद गीता का एक श्लोक पढ़ा जाएगा और उसका सरल मीनिंग भी छात्रों को समझाया जाएगा। सरकार का कहना है कि इस पहल का मकसद छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना और उनमें नैतिक मूल्यों का विकास करना है।
NEP 2020 के तहत पाठ्यक्रम में गीता और रामायण
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक लिया गया है। इसके तहत भगवद गीता और रामायण को उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इन्हें धार्मिक ग्रंथ के रूप में नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, नैतिक शिक्षा और भावनात्मक विकास के माध्यम के तौर पर पढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी पहले भी उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन की बात करते रहे हैं।
फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
मुख्यमंत्री के इस फैसले पर अलग-अलग वर्गों से प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के मुफ्ती शमून कासमी ने इसे सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने वाला कदम बताते हुए समर्थन किया है। वहीं, कुछ शिक्षक संगठनों ने इस निर्णय पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में धार्मिक ग्रंथों का पाठ अनिवार्य करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ हो सकता है और इससे धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा मिलने का संदेश जा सकता है।
महाकौथिग कार्यक्रम में भी संस्कृति पर जोर
इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नोएडा में पार्वतीय कल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित महाकौथिग सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी संबोधित किया। उन्होंने राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंडियों की लोक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने के प्रयासों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम लोक कला, परंपराओं और मूल्यों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं और इन्हें लगातार होते रहना चाहिए।
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