उत्तराखंड में 'जल प्रलय' का कहर: देहरादून में बादल फटने से मची भारी तबाही, चारों ओर जीवन अस्त-व्यस्त
उत्तराखंड में देहरादून के सहस्रधारा क्षेत्र में सोमवार रात बादल फटने की घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि अचानक बादल फटने से कारलीगाढ़ नदी में बाढ़ आ गई...

Dehradun Cloudburst News (NPG file photo)
देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून में बीते सोमवार रात हुई भारी बारिश और बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी है। मशहूर पर्यटन स्थल सहस्रधारा और आसपास के क्षेत्रों में अचानक आई बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कारलीगाढ़ नदी में पानी का बहाव इतना तेज था कि अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को बहा ले गया। इस प्राकृतिक आपदा में कई लोग लापता हो गए हैं, जबकि जान-माल का भारी नुकसान हुआ है।
सीएम ने लिया जायजा
इस आपदा की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात का जायजा लिया और अधिकारियों को बचाव व राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि किसी भी प्रभावित परिवार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्हें तुरंत रहने की जगह, भोजन, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराई जाएं।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी फोन पर मुख्यमंत्री धामी से पूरी स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने उत्तराखंड को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि केंद्र सरकार इस मुश्किल घड़ी में राज्य के साथ मजबूती से खड़ी है। मुख्यमंत्री धामी ने इस समर्थन के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आभार व्यक्त किया।
नदी के किनारे बनी संपत्तियां हुईं तबाह
तेज बारिश के कारण नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया, जिससे कई पुल टूट गए और नदी के किनारे बनी दुकानें, होटल और मकान पूरी तरह से ढह गए या बह गए। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, दर्जनों दुकानें और दो होटल पानी के तेज बहाव में बह गए हैं। मालदेवता क्षेत्र में 100 मीटर लंबी सड़क पूरी तरह से बह गई, जबकि फन वैली और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के पास का एक पुल भी ध्वस्त हो गया।
बचाव और राहत कार्य जारी
आपदा की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, SDRF और NDRF की टीमें तुरंत मौके पर पहुंच गईं। उन्होंने रात में ही बचाव कार्य शुरू कर दिया। जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम चल रहा है और लापता लोगों की तलाश जारी है। एसडीआरएफ की टीमों ने अब तक 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बचाया है, जिसमें देवभूमि इंस्टीट्यूट के छात्र भी शामिल हैं।
देहरादून के पौंधा स्थित देवभूमि इंस्टिट्यूट परिसर में जलभराव के कारण करीब 200 छात्र फंस गए थे, जिन्हें एसडीआरएफ की टीम ने सुरक्षित बाहर निकाला। इसी तरह, निमी नदी के पास एक कॉलेज हॉस्टल में फंसे छात्रों को भी NDRF और SDRF की टीमों ने रेस्क्यू किया।
जान-माल का भारी नुकसान
इस आपदा में कई लोगों की जान गई है। विकासनगर में आसन नदी के तेज बहाव में मजदूरों से भरी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली बह गई, जिससे 8 लोगों की मौत हो गई और 4 लोग अभी भी लापता हैं। सहस्रधारा के कार्लीगाढ़ और मज्याड गांव में पहाड़ गिरने से 5 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इसके अलावा, मसूरी में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया।
पौराणिक मंदिर को भी नुकसान
देहरादून में स्थित पौराणिक टपकेश्वर महादेव मंदिर भी इस जल प्रलय से नहीं बच पाया। मंदिर के बाहर लगी पीतल की शिव मूर्ति पानी के बहाव में बह गई और माता वैष्णों देवी गुफा को जोड़ने वाला 1962 में बना पुल भी ध्वस्त हो गया। कई इलाकों में घरों और दुकानों में पानी घुस गया है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
स्कूलों में छुट्टी का ऐलान
लगातार हो रही बारिश और खराब मौसम को देखते हुए देहरादून और नैनीताल जिलों के सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए हैं। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और आधिकारिक निर्देशों का पालन करने की अपील की है। फिलहाल, राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और सरकार का पूरा ध्यान प्रभावित परिवारों की मदद करने पर है।
