UP BJP News HIndi: यूपी में लोकसभा चुनाव में हार का कारण? भाजपा ने पेश की रिपोर्ट, आंतरिक कलह का हुआ खुलासा
UP BJP News HIndi: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की चुनावी हार पर आई रिपोर्ट ने कई कारणों को उजागर किया है। इसमें पेपर लीक, संविदात्मक कर्मियों की भर्ती और प्रशासन की कठोरता को प्रमुख कारण बताया गया है, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल गया।
UP BJP News HIndi: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की चुनावी हार पर आई रिपोर्ट ने कई कारणों को उजागर किया है। इसमें पेपर लीक, संविदात्मक कर्मियों की भर्ती और प्रशासन की कठोरता को प्रमुख कारण बताया गया है, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल गया।
43 सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन की जीत
इस लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने 80 में से 43 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि बीजेपी गठबंधन (एनडीए) को केवल 36 सीटें मिलीं, जो 2019 की 64 सीटों से काफी कम है। इसके बाद यूपी बीजेपी ने 15 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी, जिसमें चुनावी विफलताओं की वजहों को विस्तार से बताया गया।
रिपोर्ट में 8% वोट शेयर की गिरावट
रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपी में बीजेपी के वोट शेयर में 8% की कमी आई है। 40,000 लोगों से मिली फीडबैक के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें अयोध्या और अमेठी जैसे प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट ने केंद्रीय नेतृत्व से अपील की है कि भविष्य में चुनावों को वर्गों के बीच के संघर्ष तक सीमित होने से रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाए जाएं।
अंदरूनी मतभेद और प्रशासनिक कठोरता
यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और इस मुद्दे पर चर्चा की। रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी हार का कारण 'अति आत्मविश्वास' बताया था, जिसे केशव मौर्य ने खारिज करते हुए कहा कि पार्टी और संगठन व्यक्ति से बड़े हैं।
पेपर लीक और संविदात्मक भर्ती
रिपोर्ट में पिछले तीन सालों में 15 पेपर लीक की घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जिससे विरोधी दलों ने बीजेपी पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया। इसके साथ ही, सरकारी नौकरियों में संविदात्मक कर्मियों की भर्ती ने भी विपक्षी दलों के आरोपों को बल दिया।
क्षेत्रीय समर्थन में कमी
रिपोर्ट के अनुसार, कुर्मी और मौर्य जातियों का समर्थन भी बीजेपी से दूर हो गया है और दलित वोटों में भी कमी आई है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के वोट शेयर में 10% की गिरावट और कांग्रेस के कुछ क्षेत्रों में प्रदर्शन सुधारने से भी चुनाव परिणाम प्रभावित हुए।
केंद्रीय नेतृत्व की प्रतिक्रिया
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लखनऊ में राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं से विचार-विमर्श किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी के भीतर मतभेदों को जल्दी सुलझाया जाए और जमीनी स्तर पर काम शुरू किया जाए ताकि "आगादा बनाम पिछड़ा" (उच्च जाति बनाम पिछड़ी जातियां) संघर्ष न हो।
स्थानीय मुद्दों को समझने की जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी नेताओं को यूपी के स्थानीय मुद्दों को समझना चाहिए और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए। चुनावी हार के बाद अब पार्टी नेतृत्व आगामी उपचुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
बीजेपी की राज्य इकाई ने केंद्रीय नेतृत्व को चेताया है कि पार्टी के भीतर के मतभेदों को जल्द सुलझाया जाए और कार्यकर्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। पार्टी को आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए रणनीति में सुधार की जरूरत है।