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ललितपुर में बड़ा फर्जीवाड़ा: जीजा की डिग्री पर साला बना कार्डियोलॉजिस्ट, 3.5 साल तक मरीजों का इलाज करता रहा, शिकायत मिलते ही हुआ फरार
Lalitpur Fake Doctor Case: यूपी के ललितपुर में आरोपी अभिनव सिंह ने बहनोई की मेडिकल डिग्री पर कार्डियोलॉजिस्ट बनकर जिला अस्पताल में मरीजों का उपचार किया। शिकायत के बाद खुलासा, जांच जारी।

Lalitpur Fake Doctor Case: उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग को हिलाकर रख देने वाला सनसनीखेज फर्जीवाड़ा सामने आया हुआ है। यहां एक साला अपने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट बहनोई की डिग्री और पहचान का इस्तेमाल कर जिला अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट बन बैठा और करीब साढ़े तीन साल तक मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करता रहा। मामला तब सामने आया जब आरोपी की ही बहन ने अमेरिका से शिकायत भेजी। इसके बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया और आरोपी इस्तीफा देकर फरार हो गया।
कैसे खुला फर्जी डॉक्टर का राज? बहन ने भेजी शिकायत
अमेरिका के टेक्सास स्थित बेलटोन में रहने वाली डा. सोनाली सिंह ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को पत्र लिखकर बताया कि उनका भाई अभिनव सिंह, उनके पति डा. राजीव गुप्ता की डिग्री का उपयोग कर जिला चिकित्सालय में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में नौकरी कर रहा है। जबकि डा. राजीव गुप्ता स्वयं अमेरिका में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। सोनाली ने अपने पति की मूल डिग्रियां और दस्तावेज अधिकारियों को सौंप दिए। शिकायत की भनक लगते ही आरोपी अभिनव सिंह ने मां की मृत्यु का बहाना बनाकर इस्तीफा दिया और तुरंत गायब हो गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने जिलाधिकारी और CMO को जानकारी भेजी, जिसके बाद जिलाधिकारी सत्य प्रकाश ने उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर दी।
बीटेक, IRS अफसर, जेल और फिर कार्डियोलॉजिस्ट बनकर तैनाती
जांच टीम एडीएम अंकुर श्रीवास्तव, CMO डॉ. इम्तियाज अहमद और प्राचार्य डॉ. मयंक शुक्ल ने जब दस्तावेज खंगाले तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सूत्रों के मुताबिक, शिकायतकर्ता सोनाली ने टीम को बताया कि उसका भाई अभिनव सिंह ITI रुड़की से B.Tech है। 1992 में उसका IRS में चयन हुआ था और मद्रास तथा बाद में मुंबई में कस्टम ऑफिसर के रूप में तैनाती मिली। मुंबई में उसने कथित रूप से फर्जीवाड़ा और अनियमितताएं कीं, पकड़ा गया और जेल भी भेजा गया।
जेल से निकलने के बाद उसने अपने बहनोई डॉ. राजीव गुप्ता के शैक्षिक दस्तावेज निकलवाए, उनके नाम से आधार सहित पहचान पत्र बनवाए और 7 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के NCD सेल में कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर नौकरी हासिल कर ली।
साढ़े तीन वर्षों में उसने ईसीजी, ईको और हार्ट-रिलेटेड जांचों के जरिए मरीजों का इलाज जारी रखा और किसी को भी उसके फर्जी होने की भनक नहीं लगने दी।
मेडिकल सिस्टम में हलचल, अब बड़े स्तर पर होगी जांच
जांच समिति ने संबंधित सभी अभिलेख कब्जे में ले लिए हैं और पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच आगे बढ़ाई जा रही है। यह मामला मेडिकल सिस्टम की सुरक्षा और सत्यापन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़ा करता है कि कैसे एक गैर-चिकित्सक व्यक्ति लंबे समय तक कार्डियोलॉजिस्ट बनकर मरीजों का इलाज करता रहा। अभी तक आरोपी फरार है और स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन दोनों ही इस मामले को अत्यंत गंभीरता से देख रहे हैं।
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