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Gorakhpur Famous Devi Temple: मां दुर्गा का अनोखा मंदिर, बच्चे हो या बूढ़े मां दुर्गा का खून से करते हैं अभिषेक, शरीर के 9 अंगों से निकालते हैं रक्त

Gorakhpur Famous Devi Temple: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ऐसा अनोखा मंदिर है. जहाँ भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए फल मिठाई नहीं नहीं बल्कि रक्त चढ़ाते हैं. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

Gorakhpur Famous Devi Temple: मां दुर्गा का अनोखा मंदिर, बच्चे हो या बूढ़े मां दुर्गा का खून से करते हैं अभिषेक, शरीर के 9 अंगों से निकालते हैं रक्त
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By Neha Yadav

Gorakhpur Famous Devi Temple: सनातन धर्म के लोगों के लिए नवरात्रि के पर्व का खास महत्व है. नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्रि के आखरी यानी नौवे दिन हवन और कन्या पूजन किया जाता है. कुछ मंदिर ऐसे हैं जहाँ नवरात्रि के नौवे दिन विशेष तरह की परंपराएं निभाए जाती है. उज्जैन के माता मंदिर में माता को शराब का भोग लगाया जाता है. इसी तरह एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ माता का खून से अभिषेक किया जाता है.

बांसगांव में है मां दु्र्गा का मंदिर

जी हाँ, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ऐसा अनोखा मंदिर है. जहाँ भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए फल मिठाई नहीं नहीं बल्कि रक्त चढ़ाते हैं. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है. यहाँ मंदिर गोरखपुर के बांसगांव तहसील स्थित हैं. करीब 300 साल पहले क्षत्रियों के श्रीनेत वंश के लोगों द्वारा मंदिर में मानव रक्त चढाने की शुरुआत की गयी थी और तब से यह अनोखी परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

माता को चढ़ाया जाता है रक्त

बताया जाता है यहां पहले माता को प्रसन्न करने के लिए पशु बलि दी जाती थी. जिसे रोक कर रोककर लोग खुद का रक्त चढ़ाते हैं. मंदिर में नवमी के दिन मां दुर्गा को रक्त अर्पित किया जाता है. नवमी की सुबह से पूजा के बाद से भक्त पहुंचने लगते हैं. इस परंपरा को निभाने के लिए प्रदेश ही नहीं देशभर से भक्त आते हैं. हैरान करने वाली बात ये है नवजात हो बुजुर्ग सभी के रक्त माँ के चरणों में अर्पित किये जाते हैं.

माथे पर लगाते हैं चीरा

खून निकालने के लिए माथे पर चीरा लगाया जाता है. नवजात बच्चे के माथे पर एक जबकि 14 वर्ष की उम्र हो जाने के बाद शरीर से नौ जगहों से रक्‍त नि‍काला जाता है, उस रक्त को बेलपत्र में लेकर मां के चरणों में अर्पित किया जाता है. उसके बाद आशीर्वाद के रूप में भक्त माता रानी के चरणों से भभूत लेकर माथे पर लगाते हैं. इसके अलावा अगरबत्ती, धूप और हवन कुंड से निकलने वाली राख को चीरा लगाने वाली जगह पर लगाया जाता है.

मान्यता है माता को रक्त चढ़ाने से जीवन में आने वाली सारी परेशानी दूर हो जाती है, जीवन में सुख समृद्धि आती है. इस मान्यता के साथ लाखों श्रद्धालु इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं.

Neha Yadav

नेहा यादव रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएट करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। पिछले 6 सालों से विभिन्न मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग करने के बाद NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहीं है।

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