Fake Birth Certificate Case: आजम खान और उनके परिवार को 7 साल की सजा, फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट केस में लगा झटका
Fake Birth Certificate Case: समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आजम खान को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रामपुर के MP-MLA कोर्ट ने बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उन्हें दोषी पाते हुए 7 साल की सजा सुनाई है।
Fake Birth Certificate Case: समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आजम खान को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रामपुर के MP-MLA कोर्ट ने बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उन्हें दोषी पाते हुए 7 साल की सजा सुनाई है। आजम के साथ ही उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को भी दोषी करार देते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई गई है। बता दें कि ये मामला 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से जुड़ा है।
क्या है मामला?
2017 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला ने स्वार सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीता था। उनके विरोधी उम्मीदवार और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता नवाब काजिम अली खान ने अब्दुल्ला की कम उम्र को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद रामपुर से भाजपा के विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में गंज थाने में अब्दुल्ला के खिलाफ 2 जन्म प्रमाण पत्र का मामला दर्ज कराया था, जिसमें आजम और तंजीम को भी आरोपी बनाया था।
अब्दुल्ला पर क्या हैं आरोप?
रिपोर्ट के मुताबिक, मार्कशीट में अब्दुल्ला की जन्म तारीख 1, जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में ये 30 सितंबर, 1990 बताई गई है। इस आधार पर अब्दुल्ला चुनाव लड़ने के लिए जरूरी आयु सीमा पूरी नहीं करते हैं। एक दूसरा आरोप 2 जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का है। अब्दुल्ला के पास एक जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका का है और एक दूसरा जनवरी, 2015 में बना हुआ है। इन दोनों में अब्दुल्ला का जन्म स्थान अलग-अलग है।
काजिम अली की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला के जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था और उनका चुनाव रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर अब्दुल्ला चुनाव लड़ने की कानूनी उम्र पूरी नहीं करते हैं और इस आधार पर उनका चुनाव रद्द किया जाता है। बता दें कि विधायक का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 25 साल होनी जरूरी है।
2019 में रामपुर से भाजपा विधायक सक्सेना ने अब्दुल्ला के 2 जन्म प्रमाण पत्र का मामला दर्ज कराया था। इसमें आजम, अब्दुल्ला और तंजीम को आरोपी बनाया गया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान आजम ने सुप्रीम कोर्ट से निचली अदालत को आदेश पारित नहीं करने और मामले को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इन मांगों को ठुकरा दिया था। अब तीनों इसी मामले में दोषी पाए गए हैं।