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Acharya Satyendra Das Death: नहीं रहे अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी, 85 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, जानिए टीचर से पुजारी बनने तक के सफर के बारे में ...

Acharya Satyendra Das Death:उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया है. 12 फरवरी सुबह 7 बजे लखनऊ PGI में उन्होंने ने 80 साल की उम्र में आखिरी सांस ली,

Acharya Satyendra Das Death: नहीं रहे अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी, 85 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, जानिए टीचर से पुजारी बनने तक के सफर के बारे में ...
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By Anjali Vaishnav

Acharya Satyendra Das Death: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया है. 12 फरवरी की सुबह 7 बजे लखनऊ PGI में उन्होंने 80 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. आचार्य सत्येंद्र दास को 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद अयोध्या से लखनऊ रेफर किया गया था.

आचार्य सत्येंद्र दास लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. जिसके बाद 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद अयोध्या से लखनऊ रेफर किया गया था. इलाज के दौरान 12 फरवरी की सुबह आचार्य सत्येंद्र दास ने 80 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, गौरतलब है कि 4 फरवरी को UP के सीएम योगी ने PGI में सत्येंद्र दास से मुलाकात की थी.

अयोध्या से 98 किमी दूर हुआ था जन्म

सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई, 1945 में अयोध्या से 98 किमी दूर संत कबीरनगर में हुआ था, बताया जाता है कि वे बचपन से ही भक्ति भाव में रहते थे. अयोध्या में उनके पिता अभिराम दास जी के आश्रम में आते थे, वो भी अपने पिता के साथ अक्सर अयोध्या घूमने जाया करते थे.

अभिराम दास से प्रभावित हुए थे सत्येंद्र दास

अभिराम दास वही थे, जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था. इन्हीं मूर्तियों के आधार पर आगे की लड़ाई लड़ी गई. रामलला के प्रति सेवा देखकर सत्येंद्र दास बहुत प्रभावित हुए. उन्हीं के आश्रम में रहने के लिए उन्होंने संन्यास लेने का फैसला लेते हुए 1958 में घर छोड़ दिया.

आचार्य से पुजारी बनने का सफर

अभिराम दास के आश्रम में पहुंचने के बाद सत्येंद्र दास ने संस्कृत की पढ़ाई शुरू कर दी. गुरुकुल पद्धतिं से पढ़ने के बाद 12वीं तक की संस्कृत से ही पढ़ाई पूरी की. पूजा-पाठ करते-करते आचार्य सत्येंद्र दास ने अयोध्या में नौकरी की तलाश की. 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक टीचर की नौकरी मिल गई. इस दौरान वे राम जन्मभूमि भी आया जाया करते थे. इसी बीच 1992 में राम मंदिर वो बतौर पुजारी नियुक्त किए गए. इस दौरान सिर्फ उन्हें 100 रुपए तनख्वाह मिलती थी, हालाँकि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका वेतन बढ़ा दिया गया. वहीँ, 30 जून 2007 को वे अध्यापक के पद से रिटायर हुए. अध्यापक के पद से रिटायर हुए.

राम लला को गोद में लेकर भागे थे आचार्य सत्येंद्र दास

जानकारी के मुताबिक 6 दिसंबर, 1992 को हुए बाबरी विध्वंस में मंच पर लाउडस्पीकर से नेताओं ने कहा- पुजारी जी रामलला को भोग लगा दें और पर्दा बंद कर दें. गुस्साए कारसेवक इस गुंबद को भी तोड़ने लगे, गुंबद के बीचो बीच बड़ा सुराख हो गया, ऊपर से रामलला के आसन पर मिट्टी और पत्थर गिरने लगे. तब सत्येंद्र दास रामलला, भरत और शत्रुघ्न भगवान की मूर्तियां को गोद में लेकर निकल गए और बाद से रामलला टेंट में गए. अब फिर वर्तमान में रामलला वापस मंदिर में विराजमान हैं.

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