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MP Home in India : भारतीय सांसदों की ठाठ ही अलग... अन्य देशों में कहीं मिलते है दो कमरे वाले घर तो कहीं घर के लिए मोहताज सांसद

MP Home in India : दुनिया में जहां कहीं सांसदों को सरकार फ्लैट देती है, वो या तो छोटे होते हैं या फिर देती ही नहीं. उसका भत्ता दे देती है.

MP Home in India :  भारतीय सांसदों की ठाठ ही अलग... अन्य देशों में कहीं मिलते है दो कमरे वाले घर तो कहीं घर के लिए मोहताज सांसद
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By Meenu Tiwari

MP Home in India : हमारे भारत देश के सांसदों के ठाठ-बाट किसी राजा महाराजा से कम नहीं है. जैसी उनकी लग्जरी लाइफ वैसे ही उनके बंगलें और गाड़ियां होती है. बताना चाहेंगे की भारत में हाल ही में सांसदों के लिए दिल्ली में सबसे मुख्य और पॉश इलाके में 5 बेडरूम वाले कुल दस कमरों के सुसज्जित फ्लैट बनाए गए हैं. दुनिया में जहां कहीं सांसदों को सरकार फ्लैट देती है, वो या तो छोटे होते हैं या फिर देती ही नहीं. उसका भत्ता दे देती है. वहीँ भारतीय सांसदों को मिलने वाले ये फ्लैट एसी और अन्य सुविधाओं से लैस होते हैं. कहना चाहिए कि जितने शानदार तरीके से भारतीय सांसद रहते हैं और उनके जितने ठाठ-बाट हैं, उतने दुनिया में कहीं नहीं.


5000 स्क्वेयर फुट के फ्लैट

भारत में हाल ही में लुटियंस जोन में सांसदों के लिए सुविधायुक्त फ्लैट बनाए गए हैं. ये फ्लैट 5000 स्क्वेयर फुट हैं. जिसमें 5 बेडरूम समेत 10 कमरे, किचन, कई टायलेट हैं.




जापान में सांसदों को छोटे फ्लैट


जापान में सांसदों यानि उनकी संसद डायट के सदस्यों को सरकार बहुत छोटे फ्लैट उपलब्ध कराती है. इन्हें डॉरमीटरी भी कह सकते हैं. तोक्यो में लोअर हाउस यानि हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के सदस्यों को टोक्यो के अकासाका क्षेत्र में एक 28-मंजिला लक्ज़री अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में फ्लैट दिए जाते हैं. हर फ्लैट 82 वर्ग मीटर (लगभग 882 वर्ग फुट) का क्षेत्र होता है, जिसमें तीन कमरे होते हैं – लिविंग रूम, डाइनिंग और किचन. इसका मासिक किराया 92000 येन है. हालांकि इसे तीन साल पहले बढ़ाकर 124,652 कर दिया गया. ये किराया सांसदों को ही देना होता है.


कोरिया में सरकारी आवास नहीं

दक्षिण कोरिया में सांसदों को सरकारी आवास नहीं दिया जाता. उन्हें अपने मकानों की व्यवस्था खुद करनी होती है. इसका भत्ता जरूर उन्हें दिया जाता है. कोरिया के सांसदों से अपेक्षा की जाती है कि वो ज्यादातर अपने संसदीय क्षेत्रों में रहें और वहां काम करें.

चीन में भी सरकारी आवास नहीं देते

चीन में भी सांसदों या नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के सदस्यों को सरकारी आवास नहीं दिया जाता. चीन में सांसदों का संसद आना बहुत कम होता है. वो अपने अधिकांश समय गृह प्रांतों में रहते हैं, ना कि बीजिंग में किसी विशेष सरकारी आवास में. संसद सत्रों में भाग लेने के लिए समय-समय पर आते हैं. सरकारी आवास व्यवस्था केवल शीर्ष नेतृत्व के लिए है, जो पॉलितब्यूरो और महासचिव के लिए ही होती है.

पाकिस्तान में सांसदों को मिलते हैं टू बेडरूम फ्लैट

पाकिस्तान में भी सांसदों को भारत जितने बड़े आवास नहीं मिलते. पिछले दिनों पाकिस्तान में सांसदों के लिए करीब 358 परिवारिक सुइट्स बनाए . ये आमतौर पर टू बेडरूम के हैं. पाकिस्तान की नेशनल इंजीनियरिंग सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार ये फैमिली सुइट दो बेडरूम के साथ एक ड्राइंग रूम और रसोईघऱ के साथ होते हैं. ये अच्छे स्पेस वाले होते हैं. इस्लामाबाद में उन्हें ये फ्लैट दिए जाते हैं.

इन क्वार्टरों में एक सोफा सेट, ड्राइंग रूम टेबल, डाइनिंग टेबल, दो डबल बिस्तर और अन्य फर्नीचर शामिल होते हैं. इन आवासों का आकार आमतौर पर 200-500 वर्ग गज (करीब 1,600-4,000 वर्ग फुट) तक हो सकता है. सरकारी आवासों में बिजली, पानी, सुरक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाएँ शामिल होती हैं. सांसदों को ये आवास सरकारी नियमों के तहत किराए पर दिए जाते हैं, और उन्हें मामूली किराया देना पड़ता है.


नेपाल में भी कोई सरकारी आवास नहीं

नेपाल में सांसदों को सरकार द्वारा कोई सरकारी आवास नहीं दिया जाता. इसकी बजाय उन्हें आवासीय खर्च के लिए मासिक भत्ते दिए जाते हैं. संसद सचिवालय के नियमानुसार, सांसदों को मासिक रूप से घर किराया और घर मरम्मत के रूप में भत्ता मिलता है. कुल 308 सांसदों को यह सुविधा मिलती है.

अमेरिका में भी सरकार नहीं देती घर

अमेरिका में भी सीनेटरों और कांग्रेस सदस्यों को वॉशिंगटन डीसी में कोई सरकारी आवास नहीं मिलता. हां वो चाहें तो अपने हिसाब प्राइवेट घर बंगले ले सकते हैं. उन्हें आवास के लिए एक तय भत्ता मिलता है. कुछ धनी सांसद मल्टी-मिलियन डॉलर के घर खरीदते हैं.

ब्रिटेन में सांसदों को सरकारी फ्लैट नहीं

ब्रिटेन में सांसदों को सरकार कोई तय सरकारी फ्लैट या स्थायी आवास नहीं देती. इसकी बजाय यूनाइटेड किंगडम में सांसदों के लिए एकोमडेशन बजट नाम की व्यवस्था है, जिसमें अगर सांसद का मुख्य घर लंदन के बाहर है, तो वह लंदन में रहने के लिए किराये का घर या फ्लैट ले सकता है. उसका किराया संसद की खर्च व्यवस्था रिइम्बर्स होता है. सांसद होटल में ठहर सकते हैं. उसका खर्च भी तय सीमा तक मिलता है. यदि सांसद लंदन के अंदर ही रहते हैं, तो उन्हें कोई अतिरिक्त आवास भत्ता नहीं मिलता, क्योंकि वे संसद के पास रहते हैं.

ब्रिटेन में कुछ सांसदों को छोटे फ्लैट

ब्रिटेन में अब भी कुछ सांसदों को छोटे सरकारी फ्लैट मिलते हैं, लेकिन बहुत सीमित और खास परिस्थितियों में. लंदन के पास के कुछ पार्लियामेंट्री एस्टेट फ्लैट्स मौजूद हैं, ये छोटे और 1-2 बेडरूम के हैं. ये केवल उन सांसदों को मिलते हैं जिनका मुख्य घर लंदन से दूर है. जिन्हें संसद सत्र के दौरान हफ्ते में 3-4 दिन लंदन में रुकना पड़ता है. ये पूरी तरह फर्नीश्ड होते हैं. सांसद कार्यकाल खत्म होते ही खाली करना पड़ता है. ये ज्यादातर स्टूडियो अपार्टमेंट होते हैं और इनका एरिया औसतन 350–500 वर्ग फुट के होते हैं. ये ऐसे इलाकों में हैं जहां से सांसद पैदल संसद पहुंच सकता है. अब प्राथमिकता के आधार पर बुजुर्ग या सुरक्षा कारणों से विशेष व्यवस्था वाले सांसदों को ही ये फ्लैट दिए जाते हैं.

यूरोपीय देशों में क्या स्थिति

स्वीडन की संसद उन सांसदों को स्टॉकहोम में दूसरा घर रेंट-फ्री देता है, यदि उनका स्थायी निवास स्टॉकहोम से बाहर है. यदि सांसद खुद का घर लेते हैं तो उन्हें महीने का 639 यूरो यानि करीब 65000 रुपए किराया भत्ता मिलता है. सार्वजनिक अपार्टमेंट्स की मरम्मत और रख-रखाव का खर्च़ राज्य वहन करता है. पोलैंड में संसद के होटल जैसे आवास में सांसदों को ठहरने की जगह मिलती है. यदि पर्याप्त जगह नहीं है, तो सांसदों को निजी अपार्टमेंट किराए पर लेने के लिए बजट मिलता है.

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