7 महीने बाद कोर्ट के आदेश पर हो सका 87 लाशों का अंतिम संस्कार, जानिए क्यों?
Manipur Dead Body Row: प्रधानमंत्री दुखी हैं. उप राष्ट्रपति को लेकर मिमिक्री हो रही है. टीवी स्टूडियो में दिन रात मिमिक्रीगान चल रहा है. पीएम के आंसुओं से पहले टीवी पर चमकते चेहरे बुक्का फाड़कर रोने लगते हैं...

Manipur Violence
Manipur Dead Body Row: प्रधानमंत्री दुखी हैं. उप राष्ट्रपति को लेकर मिमिक्री हो रही है. टीवी स्टूडियो में दिन रात मिमिक्रीगान चल रहा है. पीएम के आंसुओं से पहले टीवी पर चमकते चेहरे बुक्का फाड़कर रोने लगते हैं.
देश दुनिया किधर जा रही किसी को कोई मतलब खबर नहीं लगने दी जा रही है. उधर मणिपुर में लाशों का अम्बार लगा है. मजाल है कोई टीवी अखबार वाला झूठा कैमरा ही चमका दिखा दे. शुतुर्गमुर्ग की तरह रेत में गर्दन दाब लेते हैं. डर बड़ी चीज है भाई.
मान लीजिये आपका कोई करीबी मारा जाए, उसकी लाश किसी मुर्दाघर में 7 महीनों तक पड़ी रहे, आप उस मुर्दाघर में पहुंच भी न सकें। और 7 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद आपको अपने परिजनों की लाश दफनाने के लिए मिले। ये कल्पना नहीं है। ये हकीकत है। मणिपुर में ऐसा हुआ है।
जब मई 2023 में हिंसा शुरु हुई तो कई लोग मारे गए। कुकी समुदाय के लोगों की लाशें इम्फाल के मुर्दाघर में पड़ी रहीं। विभाजन ऐसा कि कोई अपने घर वालों की लाश देख भी न सके, उसे हासिल कर पाना तो दूर की बात है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये लाशें अपने घरवालों के पास पहुंचीं। कल चुराचांदपुर में एक साथ 87 लोगों को दफनाया गया। उनकी मौत के लगभग सात महीने बाद।
प्रियंका गांधी ने X पर लिखा है कि, 'जरा सोचिए कि मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों को आठ महीने बाद जाकर दाह संस्कार नसीब हुआ। मणिपुर को लेकर जब संसद में सवाल पूछे गए तो सरकार ने जिम्मेदारी लेने की जगह अनर्गल जवाब दिए।
अब तो वह संसद भी सुरक्षित नहीं रही, जिसमें प्रधानमंत्री खुद बैठते हैं, लेकिन सवाल पूछने पर करीब 150 सांसदों को बर्खास्त कर दिया गया। भाजपा के राज में संसद, सरहद, सड़क, समाज कुछ भी सुरक्षित नहीं है।'