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Man Mum Trend In China: क्यों ट्रैंड कर रहा है चीन में 'मैन मम' का काॅन्सेप्ट? जानिए गले लगने पर क्यों मिलता है इतना सुकून...

Man Mum Trend In China: क्यों ट्रैंड कर रहा है चीन में 'मैन मम' का काॅन्सेप्ट? जानिए गले लगने पर क्यों मिलता है इतना सुकून...

Man Mum Trend In China: क्यों ट्रैंड  कर रहा है चीन में मैन मम का काॅन्सेप्ट?  जानिए गले लगने पर क्यों मिलता है इतना सुकून...
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By Divya Singh

Man Mum Trend In China: सफल होने का जुनून या अपने काम में परफेक्शन की चाहत कितनी भी तगड़ी क्यों न हो, किसी न किसी पल में इंसान ठहराव चाहता है,सुकून चाहता है। दो मिनट आंखें बंद कर किसी के गले लगकर शब्दहीन हो जाना, सब कुछ भूल जाना कितनी बड़ी राहत दे सकता है, इसे सिर्फ वही जान सकता है जिसने इस पल को चाहा है और जिया है। आज चीन का ' मैन मम' का काॅन्सेप्ट चर्चा में है। मैन मम ऐसे पुरुष हैं जो स्ट्रांग है और सिर्फ चंद पल किसी महिला को गले लगाकर उसे मानसिक-शारीरिक थकान से राहत देते हैं, माँ जैसा अपनत्व देते हैं। चीन में खासकर ऐसी महिलाएं मैन मम को बहुत पसंद कर रही हैं जिनके पास काम, सफलता और ऑनलाइन सोशल नेटवर्क तो है लेकिन नज़दीक में अपना कहने लायक ऐसा कोई नहीं जिसके गले लग कर स्पर्श की भावनात्मक ताकत को महसूस किया जा सके फिर भले ही वह अजनबी ही क्यों न हो। आइए जानते हैं हग करने या गले लगने में ऐसी क्या ताकत है जिसने 'मैन मम' को गढ़ा।

चीन में ट्रैंड कर रहा है मैन मम काॅन्सेप्ट

चीन में मैन मम का काॅन्सेप्ट ट्रैंड कर रहा है। वहां भावनात्मक उथल-पुथल या मानसिक थकान से पीड़ित महिलाएं ऐसे अजनबी पुरुषों से बस 5 मिनट गले लगने का कांट्रैक्ट कर रही हैं जिनकी बाजुओं में दम हो और जो उन्हें गले लगाकर माँ सा अपनत्व दें। यह 5 मिनट का आलिंगन उन्हें अर्से से दिल में जमा

एकाकीपन की पीड़ा से राहत दे रहा है। वे किसी की मजबूत बाहों में खुद को शांत और सुरक्षित महसूस कर रही हैं। वे उन्हें मैन मम कह रही हैं क्योंकि उनके गले लग कर उन्हें अपनी माँ की बाहों का वह सुरक्षित घेरा याद आ रहा है जिसमें समाकर वे अपनी सारी पीड़ा भूल जाती थीं। इस अपनेपन के बदले वे उन्हें कुछ भुगतान कर रही हैं। इसका एक फायदा यह भी है कि मेल और फीमेल दोनों पर इस संबंध को किसी रिश्ते में बदलने का दबाव नहीं है और वे अपने सिंगल स्टेटस को जारी रख सकते हैं।

चंद मिनटों के इस आलिंगन के लिए चीन की महिलाएं किसी पब्लिक प्लेस का चयन करती हैं जैसे मेट्रो स्टेशन या माॅल आदि। जहां पर बहुत सारे अन्य लोगों की उपस्थिति हो और वे किसी परेशानी में ना पड़ें। स्पर्श सीमा में रहे और फिर वे दोनों लोगों के समंदर में समा जाएं जिसमें एक दूसरे के प्रति कोई जवाबदेही ना हो। इससे दोनों ही पक्षों के बीच कोई भावनात्मक पीड़ा भी नहीं पनपने पाती। सीमित समय का यह कॉन्सेप्ट इसलिए चीन की महिलाओं को बहुत पसंद आ रहा है।

अब जाने कि क्यों है गले लगना एक थैरेपी जैसा

ऐसा स्पर्ष जिसमें भावनाओं का समंदर बह जाए, ऐसा मौन जिसमें इतनी ताकत हो कि वह आपके भीतर चल रही उथल-पुथल को शांत कर दे, ऐसा आश्वासन, जो माँ की याद दिला दे कि मेरे बच्चे, यहां तुम सुरक्षित हो... कितना दुर्लभ हो जाता है जब आप अकेले हों! गले लगकर आपकी यह तड़प शांत होती है। आपके अंदर ऐसे हार्मोन बहने लगते हैं जो आपको ठहराव देते हैं इसलिए गले लगना एक थैरेपी की तरह बन जाता है।

गले लगने से शरीर में होते हैं ये परिवर्तन

गले लगने से होने वाले फायदों का अपना एक विज्ञान है। दरअसल जब आप पूरी शिद्दत से किसी के गले लगते हैं तो तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का बहना कम हो जाता है। वहीं हैप्पी हार्मोन जैसे ऑक्सिटोसिन,डोपामाइन और सेरोटोनिन का सिक्रीशन बढ़ जाता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कॉरिलोना जैसे बड़े शैक्षणिक संस्थानों ने भी गले लगने पर शरीर में होने वाले बदलावों पर रिसर्च की और इसकी पुष्टि भी की है।

जापान में भी हैं सशुल्क गले लगाने की अनुमति देने वाले कैफे

चीन की तरह जापान में भी ऐसे कैफे हैं जहां आप अनुबंध के बाद किसी अजनबी को गले लगा सकते हैं। यहां आप शुल्क देकर 20 मिनट से लेकर पूरी रात तक भी चुपचाप किसी अजनबी के गले लगकर बिता सकते हैं।

काॅन्सेप्ट क्या बताता है?

मैन मम का ट्रैंडिग काॅन्सेप्ट कहीं न कहीं यह भी बताता है कि डिजिटल हाइपर कनेक्टिविटी के दौर में मनुष्य अकेला होता जा रहा है। वह खूब कमा रहा है, सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है और टैक्नोलाॅजी में तेज़ी से होते बदलावों के साथ ताल मिला रहा है लेकिन स्पर्ष और अपनत्व, करुणा और आश्वासन जैसी इंसान की मूलभूत आवश्यकताएं और इच्छाएं आज भी वहीं की वहीं हैं और अपनी अहमियत बता रही हैं।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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