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Khairagarh- Chhuikhadan-Gandai district: खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिले को जानिए, जिले का इतिहास और सामान्य परिचय...

Khairagarh- Chhuikhadan-Gandai district: खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिले को जानिए, जिले का इतिहास और सामान्य परिचय...
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By NPG News

Khairagarh- Chhuikhadan-Gandai district - खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिला 2022 में अस्तित्व में आया। पहले यह राजनांदगांव जिले का हिस्सा हुआ करता था । यह दुर्ग संभाग में आता है। 'छत्तीसगढ़' शब्द का प्रथम प्रयोग खैरागढ़ के ही कवि दलपत राव ने किया था। राज्य का सबसे पुराना और गायन-वादन, नृत्‍य, नाट्य आदि ललित कलाओं की विधिवत शिक्षा देने वाला इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय राज्य को अलग ही पहचान देता है। वहीं गंडई 15वीं शताब्दी से पूर्व शैव धर्म और बौद्ध धर्म का केन्द्र था। यह एक महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल है जहाँ 9वीं से 14वीं शताब्दी के शिव व बौद्ध मंदिर मिलते हैं।और छुईखदान को अपना यह नाम छुई मिट्टी (एक प्रकार की सफेद मिट्टी) की खदानें मिलने के कारण मिला। जिला खनिज संसाधनों के मामले में समृद्ध है। खैरागढ़ को खैर वृक्षों और छुईखदान को पान की खेती के लिए जाना जाता है। जिले के बारे में और जानकारी आपको लेख में आगे मिलेगी।

इतिहास

खैरागढ़ में नागवंश का शासन था। यह 14 देसी रियासतों में से एक था। यह ब्रिटिश भारत के पूर्व एक सामंती राज्य था। कहा जाता है कि खैरागढ़ मराठा शासकों को क्षेत्र में सर्वाधिक नज़राना देता था।पन्दद छत्तीसगढ़ के सबसे ऐतिहासिक स्थानों में से एक है जो खैरागढ़ से 8 किलोमीटर दूर है। वहीं इतिहासकारों के मुताबिक छुईखदान में वैरागी वंश का शासन था।

जिले की प्रशासनिक जानकारी

जिले का कुल राजस्व क्षेत्रफल 1, 55, 197 हेक्टेयर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 3, 68, 444 है।इसके अंतर्गत 5 तहसील, 3 विकासखंड, 3 नगरीय निकाय, 221 ग्राम पंचायत और 494 गांव हैं।

कृषि

छुईखदान पान की खेती के लिए जाना जाता है। वहीं कोदो, कुटकी, रागी, धान, गेहूं, चना आदि जिले की प्रमुख फसलें हैं।

अर्थव्यवस्था

खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला खनिज संसाधनों के मामले में समृद्ध है। खैरागढ़ क्षेत्र में क्वार्टजाईट, सिलिका, सेण्ड, चूना पत्थर जैसे खनिज उपलब्ध हैं।वहीं छुईखदान क्षेत्र में मुख्य खनिज चूना पत्थर है।

जिला के सघन वनों में लघु वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। खैर, कोदो, कुटकी, रागी, भेलवा, बहेड़ा, कालमेघ, लाख, माहुल पत्ता का संग्रहण कर लघु वनोपज संग्राहक आय अर्जित करते हैं। यहां वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र भी स्थापित किया गया है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

प्रमुख काॅलेज

० रानी रश्मि देवी सिंह शासकीय महाविद्यालय

० शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

० रानी अवंती बाई लोधी कृषि महाविद्यालय एवम अनुसंधान केंद्र

० वीरांगना अवंती बाई शासकीय महाविद्यालय

प्रमुख स्कूल

० स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल

० केंद्रीय विद्यालय

० गवर्नमेंट गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल

० गवर्नमेंट मल्टी पपर्ज़ हायर सेकंडरी स्कूल ० विवेकानंद पब्लिक स्कूल

० माइलस्टोन पब्लिक स्कूल

० सरस्वती शिशु मंदिर

० अवन्ति पब्लिक स्कूल

जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल

बेताल रानी घाटी

यह घाटी छत्तीसगढ़ की सबसे खतरनाक घाटियों में शुमार है। इसके मोड़ हेयरपिन की तरह बताए जाते हैं जिनपर होकर सकुशल गुजरना चुनौती से कम नहीं। एडवेंचर के लिए ही लोग इस घाटी से होकर गुजरना पसंद करते हैं। इससे राजा-रानी की एक रोमांचक ऐतिहासिक कथा जुड़ी हुई है।

मंदीप खोल गुफा

मंदीप खोल गुफा जिले का अनोखा और धार्मिक-पर्यटन स्थल है। यहाँ गुफा के भीतर महाकाल स्थापित हैं। परम्परा अनुसार अक्षय तृतीया के पहले सोमवार को, साल में केवल एक दिन गुफा का द्वार खोला जाता है। पहले ठाकुर टोला राजपरिवार शिवलिंग की पूजा-अर्चना करता है। इसके बाद इसे आम लोगों के दर्शन के लिए खोला जाता है। यहां श्वेत गंगा कुंड में डुबकी लगाने के बाद ही लोग महाकाल के दर्शन के लिए गुफा में जाते हैं। कहते हैं कि इस कुंड में पूरे साल भर पानी रहता है। ऐसी भी मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने से कुष्ठ रोग दूर होता है।

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

यह एशिया का पहला विश्वविद्यालय है जो गायन, वादन, नृत्य, नाट्य आदि ललित कलाओं के लिए प्रमुखतया स्थापित किया गया है।यहाँ कुछ अन्य विषयों की भी शिक्षा मिलती है।1956 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। खैरागढ़ रियासत के तत्कालीन शासक राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने संगीत और ललित कला विश्वविद्यालय खोलने के लिए अपना महल दान में दिया था। उन्होंने अपनी बेटी 'इंदिरा' के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा था।

कैसे पहुँचे

प्लेन से

राजधानी रायपुर का विवेकानंद एयरपोर्ट निकटतम प्रमुख एयरपोर्ट है जो यहां से करीब 100 किमी की दूरी पर है।

ट्रेन से

निकटवर्ती प्रमुख रेलवे स्टेशन राजनांदगांव में है। जहां बहुत सी प्रमुख ट्रेन रुकती हैं।

सड़क मार्ग से

NH 53 और SH 5 यहां से होकर गुज़रते हैं। निकटवर्ती प्रमुख शहरों से सड़कों की कनेक्टिविटी अच्छी है।

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