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Father's Day (18 June 2023): पापा जो कहते हैं-करते हैं, उसका छुपा अर्थ समझते हैं आप? पापा को समझिए, बस यही गिफ्ट काफी होगा...

Fathers Day (18 June 2023): पापा जो कहते हैं-करते हैं, उसका छुपा अर्थ समझते हैं आप? पापा को समझिए, बस यही गिफ्ट काफी होगा...
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By Divya Singh

Father's Day (18 June 2023) : पापा.... बच्चों का भरोसा, उनका विश्वास। बच्चों को मालूम है कि जहां ज़रूरत पैदा हुई, किसी बात पर गाड़ी अटकी या पेंच फंसा, पापा आकर सब संभाल लेंगे। पर क्या आप बच्चों को पता है कि आपका रोल मॉडल और सुपरमैन बनने के लिए पापा को कितना संघर्ष करना पड़ता है? अमूमन सारे पापा धनाढ्य नहीं होते। अपनी छोटी-छोटी बचतों से से वे बच्चों की छोटी-बड़ी तमाम ज़रूरतें पूरी करते हैं। बच्चों की मुस्कुराहटों और सफलताओं के पीछे उनका पसीना, उनका धैर्य, उनका अनवरत संघर्ष छुपा होता है...बस वे इसे ज़ाहिर नहीं होने देते। आप पापा को प्यार तो खूब करते हैं, पर क्या उन बातों को समझ पाते हैं, जिन्हें वे बड़े सलीके से छुपा जाते हैं? जानिए पापा के इन शब्दों का मर्म...

यही ड्रैस मुझे सोबर बनाते हैं...

ऑफ व्हाइट शर्ट और ग्रे या ब्लैक ट्राउज़र्स, पापा कितनी बार ये ड्रैस रिपीट करते हैं? प्रायः न। मासिक खर्चे, आपकी स्कूल, काॅलेज, ट्यूशन-कोचिंग की फीस जमा करते- करते पापा के मन में अपने लिए शाॅपिंग का ख्याल भी कई बार नहीं आता। जैसे अपने ऊपर खर्च करके वे पैसे बर्बाद कर देंगे। कभी आप टोक भी दें कि आप तो हमेशा एक से कपड़ों में दिखते हैं तो वे कह देंगे कि 'ऐसे ही कपड़े मुझे सोबर बनाते हैं।' पर ये आपके ध्यान रखने की बात है कि जबरन पापा के लिए कभी नया ड्रैस बनवाएं।

ये तला-भुना खाने की अब मेरी उम्र नहीं...

अभाव को छुपा जाते हैं पापा। हो सकता है वे खाने के लिए कुछ अच्छा सा लाएं , पर वो थोड़ा कम हो। पापा अपने हाथ पीछे खींच कर कह देते हैं " तुम लोग खा लो। अब ये तला-भुना खाने की मेरी उम्र नहीं। " दिन-रात मेहनत करने वाला शरीर स्वाद के दो निवाले ले ले तो कोई हर्ज नहीं। पापा को पीछे पड़के कम से कम स्वाद ज़रूर चखवाएं। न, न भले करें पर आप ज़बरदस्ती खिलाएंगे तो उनको अच्छा लगेगा।

तुम लोग अपनी पढ़ाई करो, मैं पानी ले लूंगा

कभी आपकी माँ घर पर न हों और पापा काम से लौटें। आप पढ़ाई छोड़कर उनके लिए दरवाज़ा खोलें, पानी लेने जाएं तो पापा कह देते हैं ' तुम अपनी पढ़ाई करो, मैं बाकी देख लूंगा।' तो कहीं आप सच तो नहीं मान लेते। आप पानी और कुछ नाश्ता ला देंगे, दिन भर की दो-चार बातें सुन-बोल लेंगे तो उनको बहुत अच्छा लगेगा। उन्होंने आपकी पढ़ाई की चिंता की, आप उनकी थकान की चिंता कर लीजिए। उनका मन थोड़ा हल्का कर दीजिए। उन्हें घर लौटने का आनंद आ जाएगा।

और कभी कह दें- मैं कब तक ज़िम्मेदारी उठाऊंगा?

आमतौर पर पिता को सख़्त, कड़क शब्दों का इस्तेमाल करने से परहेज ना करने वाला माना जाता है। जब वे आपको मोबाइल और दोस्तों के साथ ज़रूरत से ज़्यादा समय बर्बाद करते देखते हैं तो कई बार आपा खो देते हैं। और चिल्ला देते हैं " मैं भी थक रहा हूं, आखिर कब तक तुम्हारी ज़िम्मेदारी उठाऊंगा। "

आप इसे दिल पर लेकर बैठ जाते हैं कि आपको बोझ समझा गया। पापा से चिढ़ भी जाते हैं। असल में पापा आपको मोटिवेट करना चाहते हैं। उन्होंने दुनिया देखी है। उम्र भर परिवार चलाने के लिए हड्डियां गलाई हैं।और आप बेटा हों या बेटी, आपको भी खुद को इतना ही खर्च करना है क्योंकि ज़िंदगी अपने साथ ज़िम्मेदारियों का पुलिंदा लेकर आती है। पापा के उलाहने का सही अर्थ लगाएं और एक उम्र के बाद खुद के प्रति गंभीर हो जाएं।

ध्यान रहे पापा से नाराज़ होकर कभी उल्टा जवाब न दे दें कि' ये आप की ज़िम्मेदारी थी। कौन सा अनोखा काम कर दिया। सबके पेरेंट्स यही करते हैं।' ऐसे कठोर शब्द मुंह पर मत आने दीजियेगा। पापा का दिल टूट जाएगा। उन्हें अपना जीवन ही व्यर्थ लगने लगेगा। जब आप पालक बनेंगे तब जानेंगे कि बच्चों की परवरिश कितना समर्पण मांगती है। बस पापा को समझिए, कृतज्ञ होइए, उनका सम्मान बरकरार रखिए, यही फादर्स डे का परफेक्ट गिफ्ट होगा।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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