Mehngai News: दाल-रोटी खाना हुआ महंगा, टमाटर से नाता खटाई में, अदरक का फ्लेवर पाना भी हुआ मुश्किल , लुटती कमाई से परेशान आम आदमी
Mehngai News: सादी सी दाल भी सीधी चाल नहीं चल रही, दाम हैं कि सरपट भागे जा रहे हैं। अब तो रोटी-चटनी के भी सुर बदल गए। गरीब से सीधे मुंह बात करने को नहीं तैयार, आखिर आटा और टमाटर दोनों ही जो महंगे हुए जा रहे।
Mehngai News: सादी सी दाल भी सीधी चाल नहीं चल रही, दाम हैं कि सरपट भागे जा रहे हैं। अब तो रोटी-चटनी के भी सुर बदल गए। गरीब से सीधे मुंह बात करने को नहीं तैयार, आखिर आटा और टमाटर दोनों ही जो महंगे हुए जा रहे। आदमी के सस्ते 'एनर्जी ड्रिंक' चाय से भी फ्लेवर जाता रहा। अदरख़ वाली गर्मागर्म चाय की प्याली जो आम आदमी की सच्ची हमजोली हुआ करती थी, उसका छोटा सा टुकड़ा भी 15-20 रुपये से कम नहीं आ रहा। कुल मिलाकर जेब पर बढ़ता वजन आम आदमी की कमर तोड़ रहा है और रोज़ाना की ज़िन्दगी जीना भी मुश्किल हो रहा है। आइए देखते हैं आम आदमी की थाली के मौजूदा विलेन कौन हैं?
दाल
सुनते आए हैं ' दाल - रोटी खाओ, प्रभू के गुण गाओ।' यानी सादा जीवन - सुखी जीवन। लेकिन अब उल्टा मामला होने लगा है। दाल खानी है तो प्रभू के आगे अर्जी लगाओ कि हे प्रभू, सादा खाना तो हमसे न छीनो। रोज़ के खाने में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली अरहर की दाल लोकल दुकानों में 140 से 150 रुपये किलो में मिल रही है और एक किलो दाल को उठने में वक्त ही कितना लगता है। उड़द और मूंग के दामों में भी बढ़त जारी है।
आटा
रोटी के बिना तो आदमी का गुज़ारा ही नहीं है। लेकिन गेहूं के रेट भी ऊंचे से ऊंचे ही होते जा रहे हैं। खराब मौसम से अच्छी फसल न होने का हवाला देकर विक्रेता 40 रुपये से कम प्रति किलो में ठीक-ठाक गेंहूं नहीं दे रहे हैं। नतीजा ये है कि आटा भी महंगा होता जा रहा है। अभी पांच- छह महीने तक पांच किलो आटा 150 रुपये के रेट पर यानी 30 रुपये प्रति किलो में मिल जा रहा था। पर अब लोकल चक्की में भी आटा 40-42 रुपये किलो से कम में नहीं मिल रहा है। पैकिंग वाला तो और भी महंगा है। दाल और गेहूं के बढ़ते रेट देखकर सरकार की पेशानी पर भी बल पड़ गए हैं और थोक और फुटकर विक्रेताओं के पास इनके स्टाॅक की अधिकतम सीमा तय कर दी गई है।
टमाटर
टमाटर के रेट भी सरपट भागने लगे हैं। एक किलो टमाटर 50 रुपये से कम में किसी भी रोड साइड दुकान पर आपको नहीं मिलेगा। क्वालिटी बढ़िया हो तो रेट और ज्यादा। नतीजतन एक किलो लेने वाले आधा किलो पर, और आधा किलो लेने वाले एक पाव पर आ गए हैं। सब्ज़ी विक्रेताओं का कहना है कि अभी रेट और चढ़ेगा। 70-80 तक जल्दी ही जाएगा। यानी आम आदमी चटनी और सलाद तो भूल ही जाए और बिना टमाटर के बनने वाली सब्जियाँ इंटरनेट पर ढूंढना एक बार फिर शुरू कर दे।
अदरख
आम आदमी का 'एनर्जी ड्रिंक' तो चाय ही है। थकान उतारना हो, मूड बदलना हो, या सुबह-शाम की चुस्कियों की तलब मिटानी हो, अदरख वाली गर्मागर्म चाय आम आदमी के लिए संजीवनी है। लेकिन अदरख का रेट ऐसे चढ़ा कि वह आम आदमी के लिए दुर्लभ हो गई। हाल ये है कि अदरख की तरफ हाथ बढ़ाने में आम लोगों को हिचक होने लगी है। फुटकर रेट की बात करें तो इस समय 15 रुपये में करीब 60 ग्राम अदरख मिल रही है। और ऐसे में वही होता है 'ज़रूरी नहीं है, तो छोड़ देते हैं लेना'... तो छोड़ भले दिया पर मनचाहा स्वाद भी हिस्से से बाहर हो गया।
गाजर
टमाटर के बाद गाजर भी रेट से समझौता करने को तैयार नहीं। चिल्हर में इसके दाम 20 रुपये पाव तक वसूले जा रहे हैं। 15 में कहीं- कहीं मुश्किल से मिल रही है। यानी सलाद की प्लेट से लाल- नारंगी रंग तो विदा ही हो गया समझिए। विटामिनों की चिंता पैसे वालों को मुबारक।
हरी सब्ज़ी
हरी सब्ज़ियां भी इस लिस्ट में पीछे रहने के मूड में नहीं हैं। आमतौर पर भिंडी, बैंगन, बरबटी जैसी सब्ज़ियां भी 40 रुपये प्रति किलो से कम नहीं हैं। करेला, गोभी 50से 60 रुपये किलो में बिक रहे हैं।छत्तीसगढ़ के लोगों की पसंदीदा सब्जी मुनगा 20 रुपये पाव और पालक भाजी 15 रुपये पाव मिल रही है। वहीं शिमला मिर्च 80 रुपये किलो जा पहुंची है। कद्दू- लौकी ही हमेशा की तरह शराफत दिखा रहे हैं। सब्ज़ियों के रेट आगे और बढ़ने का अंदेशा है। पानी और आवक की कमी से आने वाले दिनों में इनके दामों में और आग लग सकती है।