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Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हक

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के हक में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं और संवैधानिक रूप से उन्हें यह हक प्रदान किया गया है।

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हक
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By S Mahmood

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के हक में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं और संवैधानिक रूप से उन्हें यह हक प्रदान किया गया है। कोर्ट ने कहा, "अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा, "अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं।" बेंच ने स्पष्ट किया, "हिंदू विवाह अधिनियम में जिस विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिली हो, उससे पैदा हुए बच्चों की भी माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी होगी। यह निर्णय केवल हिंदू उत्तराधिकार कानून द्वारा शासित हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्तियों पर ही लागू होगा।"

कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, "हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 में हिंदू मिताक्षरा संपत्ति में सहदायिकों के हित को उस संपत्ति के हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है, जो संपत्ति का विभाजन होने पर उन्हें आवंटित किया गया होता है।" इसके अलावा बेंच ने कहा, "अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे ऐसी संपत्ति के हकदार हैं, जो उनके माता-पिता की मृत्यु पर विभाजन के बाद हस्तांतरित होगी।"

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही पुराने फैसले को पलटा

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उसके पहले के एक फैसले के उलट है, जिसमें कहा गया था कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों का केवल अपने माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति पर ही अधिकार है। तब कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा था, "अमान्य विवाह से पैदा हुआ बच्चा माता-पिता की पैतृक संपत्ति पर दावा करने का हकदार नहीं है, लेकिन वह उनके द्वारा अर्जित संपत्तियों में हिस्सेदारी का दावा करने का हकदार है।"

इस महीने की शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश (CJI) की बेंच ने 2011 की इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका में पूछा गया था कि क्या अमान्य विवाह से पैदा बच्चे हिंदू कानूनों के तहत माता-पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी के हकदार हैं। कोर्ट को यह भी तय करना था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इन बच्चों का अधिकार माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्तियों तक ही सीमित है या वे पैतृक संपत्ति के भी हकदार हैं।

ये मामला हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 16 की व्याख्या से संबंधित है, जो अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को वैधता प्रदान करता है। इस अधिनियम की धारा 16 (3) में यह भी कहा गया है कि ऐसे बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार हैं और इनका पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16(3) का दायरा पैतृक संपत्ति तक बढ़ जाएगा।

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