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मुन्ना क़ुरैशी और गब्बर सिंह नेगी की बहादुरी मौत के मुंह से खींच लाई 41 जानें

Uttarkashi Tunnel Rescue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा ढहने के कारण फँसे 41 मज़दूरों को आख़िरकार 17 दिनों की मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया है...

मुन्ना क़ुरैशी और गब्बर सिंह नेगी की बहादुरी मौत के मुंह से खींच लाई 41 जानें
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Uttarkashi tunnel rescue 

By Manish Dubey

Uttarkashi Tunnel Rescue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा ढहने के कारण फँसे 41 मज़दूरों को आख़िरकार 17 दिनों की मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया है. दिवाली के बाद से ही पूरे देश की निगाहें सिलक्यारा में बन रही इस सुरंग पर टिकी थीं. स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी लगातार इस मामले को कवर कर रहा था.

इस बचाव अभियान का सबसे मुश्किल हिस्सा था, आख़िर के 10 से 12 मीटर में खुदाई करके रास्ता बनाना और इसमें अहम भूमिका निभाई 'रैट-होल माइनर्स' ने.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दिल्ली की एक कंपनी में काम करने वाले 'रैट-होल माइनर' मुन्ना क़ुरैशी वो पहले वो शख़्स थे, जो बुधवार शाम सात बजकर पांच मिनट पर सुरंग के अंदर फँसे लोगों तक पहुँचे और उनका अभिवादन किया.

मुन्ना उन खदान कर्मियों में से एक थे, जो ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज़ कंपनी के लिए दिल्ली की सीवर और पानी के पाइपों को साफ़ करने का काम करते हैं. बचे हुए 12 मीटर से मलबा हटाने के लिए इन्हें सोमवार को सिलक्यारा लाया गया था.

इनका कहना था कि उन्होंने सोमवार को शाम सात बजे मलबा हटाना शुरू किया और 24 घंटे से भी कम समय में यह काम पूरा कर लिया.

एचटी की ख़बर के अनुसार, मुन्ना क़ुरैशी ने सुरंग से बाहर निकलने के बाद बताया, “मैंने आख़िरी चट्टान हटाई और उन्हें देखा. इसके बाद मैं निकलकर दूसरी ओर गया. उन्होंने मुझे गले से लगाया, तालियां बजाईं और मेरा शुक्रिया अदा किया.”

समाचार एजेंसी एएनआई से एनडीआरएफ़ (नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फ़ोर्स) के कर्मी मनमोहन सिंह रावत टनल के भीतर पहुँचने पर अपना अनुभव साझा किया है.

मनमोहन सिंह रावत ने कहा, ''जब मैं टनल के भीतर पहुँचा तो जो मेरे श्रमिक भाई थे, वो ख़ुशी से उछल पड़े. उनकी ख़ुशी देखते बन रही थी. मैंने उनसे कहा कि एनडीआरएफ़ की टीम पहुँच गई है और बाहर निकलना है. हमारे लिए यह काफ़ी चुनौतीपूर्ण था लेकिन चीज़ें प्लान के मुताबिक़ हुईं. टनल के भीतर श्रमिकों के मानसिक संतुलन बनाए रखने, हम उनका हौसला बढ़ाते रहते थे.''

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