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टॉपर-4 : PSC के लिए 2 महीने में ही छोड़ दी थी बैंक अफसर की नौकरी …. अब दूसरे प्रयास में हासिल कियी DSP का पद… .नौकरी छोड़ने की वजह से सुनने पड़ते थे दोस्तों व करीबियों से उलाहनेे…

टॉपर-4 : PSC के लिए 2 महीने में ही छोड़ दी थी बैंक अफसर की नौकरी …. अब दूसरे प्रयास में हासिल कियी DSP का पद… .नौकरी छोड़ने की वजह से सुनने पड़ते थे दोस्तों व करीबियों से उलाहनेे…
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By NPG News

बैंक PO की नौकरी, गोवा जैसे ड्रीम स्टेट में पोस्टिंग…..लेकिन PSC का ख्वाब ना तो सोने देता था और ना ही काम पर दिल लगाने देता…फिर एक दिन ऐसा हुआ कि बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़कर राहुल ने बिलासपुर की राह पकड़ ली…किसी ने इसे बचकाना कदम बताया तो किसी ने बावला कहा…लेकिन जुनून जब सर चढ़कर बोल रहा हो तो फिर कहां PSC दूर जाने वाला था… मंगलवार की देर रात जारी हुए रिजल्ट में बिलासपुर के राहुल शर्मा ने चौथा स्थान हासिल किया … राहुल के लिए नौकरी छोड़ संघर्ष की राह चुनने का फैसला कितना कठिन था… पढ़िये उनके बारे में

रायपुर 22 जनवरी 2020। PSC का सपना यूं ही पूरा थोड़े ना पूरा होता है…उन सपनों को जीना होता है…जुनून की हद तक मेहनत करनी होती है…मंजिल से ऊंची नजर रखनी होती है…संघर्ष-त्याग और मेहनत का मजबूत जज्बा रखना होता है…तब जाकर खाकी की वर्दी और बाजू पर अशोक स्तंभ का तमगा सज पाता है…संघर्ष की एक ऐसी ही मिसाल हैं बिलासपुर के राहुल शर्मा…जिन्होंने PSC के लिए बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ दी…सीजी पीएससी के रिजल्ट में उन्हें चौथा स्थान मिला है और उन्हें डीएसपी का पद मिलना पक्का हो गया है। NPG से अपने संघर्ष के दौर को याद करते हुए राहुल शर्मा बताते हैं कि करियर को संजीदगी से लेना उन्होंने साल 2015 से शुरू किया। हालांकि शुरुआती वक्त में उनकी शुरूआत बतौर एक ट्यूशन टीचर के तौर पर हुई।

इसी दौरान उन्होंने 2015 में बैंक पीओ का फार्म भर दिया…2016 में उनकी ज्वाइनिंग IDBI बैंक में बतौर PO हो गया। लेकिन पिता राजेश शर्मा से प्रशासनिक अफसर बनने की मिली नसीहत उन्हें ज्वाइनिंग के बाद भी बैचेन करता रहा। फिर एक दिन SECL में पोस्टेड पिता राजेश शर्मा के सपनों सच करने राहुल ने बैंक की नौकरी छोड़ दी। महज 3 महीने के भीतर ही बैंक पीओ से रिजाइन कर वो बिलासपुर लौट आये। राहुल बताते हैं

“शुरू में ऐसा लगा कि बैंक की नौकरी के साथ पीएससी की तैयारी भी हो जायेगी, लेकिन बैंक के जॉब में रहते तैयारी का बिल्कुल वक्त ही नहीं मिल पा रहा था, कंम्फर्ट स्थिति नहीं थी, इसलिए नौकरी छोड़ दी, हालांकि ये फैसला उतना आसान नहीं था, बैंक के सीनियर्स ने समझाया, दोस्तों ने भी मना किया, लेकिन मुझे पीएससी का सपना पूरा करने के लिए ये रिश्क लेना ही था और फिर मैंने रिजाइन कर दिया”

बिलासपुर लौटकर राहुल ने फिर से तैयारी शुरू की, प्रारंभिक तैयारी SSC से शुरू हुई। 2017 में महज एक महीने के वक्त के बीच PSC की परीक्षा दी, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं कर पाये। इस नाकामी को राहुल ने चुनौती के तौर पर लिया और सबकुछ झोंक दिया। राहुल बताते हैं कि

“मेरे लिए नौकरी छोड़ने के बाद के तीन साल काफी मुश्किल भरे थे, हर दिन खुद से लड़ना पड़ता था, तैयारी के दौरान कई दफा याद आता था कि नौकरी छोड़ने का फैसला कहीं गलत तो नहीं था, लेकिन हर बार खुद ले लड़कर फिर तैयारी में जुट जाता और आज नतीजा आपसब के सामने है। मैं 20-20 दिन तक घर से निकलता नहीं था, ना किसी दोस्त से मिलता था और किसी त्योहार व समारोह में शिरकत करता”

राहुल पीएससी को लेकर किस कदर जुनूनी हो गये थे, कि उन्होंने तैयारियों के लिए इंटरनेट व यू-ट्यूब की मदद तो ली, लेकिन व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक व इंस्टाग्राम को हाथ तक नहीं लगाया। वो बताते हैं कि

“ट्विटर पर एकाउंट था पर उसे चलाया नहीं, फेसबुक और व्हाट्सएप को तो यूनिस्टाल ही कर दिया था, जबकि इंस्टाग्राम को तो लंबे से चलाया ही नहीं, हालांकि अब 31 दिसंबर को इंटरव्यू के बाद फिर से व्हाट्सएप को चलाना शुरू किया हूं”

राहुल को कुल 928 अंक मिले हैं। इंटरव्यू में राहुल को उनकी ट्रेवलिंग हावी के बारे में पूछा गया। उनसे उनके पसंदीदा टूरिस्ट प्लेस के बारे में पूछा गया, जिसका जवाब उन्होंने शिमला के तौर पर दिया। वहीं छत्तीसगढ़ के संदर्भ में सवालों से उनके इंटरव्यू की शुरुआत हुई, जिसमें साक्षरता दर व वन क्षेत्र से जुड़े सवाल थे।

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