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एक ऑटो वाली बेटी ने ऐसे तैयार किया SEX बिजनेस का सबसे बड़ा कारोबार…..कॉलगर्ल का कारोबार कॉरपोरेट स्टाइल में चलाने वाली सोनू ने ऐसे तैयार की अरबों की संपत्ति…. एक्ट्रेस, मॉडल, एयरहोस्टेस सभी थी टीम में, देश भर में फैलाया जिस्म का कारोबार

एक ऑटो वाली बेटी ने ऐसे तैयार किया SEX बिजनेस का सबसे बड़ा कारोबार…..कॉलगर्ल का कारोबार कॉरपोरेट स्टाइल में चलाने वाली सोनू ने ऐसे तैयार की अरबों की संपत्ति…. एक्ट्रेस, मॉडल, एयरहोस्टेस सभी थी टीम में, देश भर में फैलाया जिस्म का कारोबार
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By NPG News

नयी दिल्ली 23 जुलाई 2020। कॉलगर्ल की काली दुनिया की सालों तक सरताज रही सोनू पंजाबन 24 साल के लिए जेल भेजी गयी है। सोनू ने देश विदेश में जिस्मफरोशी को एक इंडस्ट्री के तौर पर चलाया। जिसमें कॉलगर्ल सिर्फ एक रात की हिस्सेदार नहीं थी, बल्कि वो पेड इम्पॉलयी थी। सोनू ने कॉलगर्ल का कारोबार पूरे कॉरपोरेट स्टाइल में चलाया। सोनू पंजाबन उसका असल नाम नहीं था, बल्कि जिस्मफरोशी के कारोबार में आने के बाद उसका नाम सोनू पंजाबन पड़ा। सोनू पंजाबन का असल नाम गीता अरोड़ा था।

रोहतक की रहने वाली गीता अरोड़ा के पिता रोजगार की तलाश में दिल्ली आए थे. वह ऑटो रिक्शा चलाते थे. 10वीं पास करने के बाद ही उसने ब्यूटी पार्लर खोल लिया. 17 साल में उसकी शादी विजय सिंह से हुई, वह एक हिस्ट्रीशीटर था. श्रीप्रकाश शुक्ला से उसके संबध बताए जाते थे. 2003 में यूपी एसटीएफ ने उसे मार गिराया. गीता को पैसों की किल्लत होने लगी. ब्यूटी पॉर्लर की कमाई से न घर चल रहा था न महात्वाकांक्षाएं पूरी हो रही थीं. परिस्थितियां ऐसी बदलीं कि वह कॉलगर्ल बन गई. विजय सिंह के साथ की वजह से उसे पावर की अहमियत पता थी.

इस वक्त तक गीता अरोड़ा अपराध की दुनिया में आ चुकी थी। पति की मौत के बाद गीता नजफगढ़ के एक मशहूर वाहन चोर दीपक के संपर्क में आई लेकिन 2003 में असम पुलिस ने दीपक को भी एनकाउंटर में ढेर कर दिया। दीपक की मौत के बाद उसने दीपक के ही भाई हेमंत सोनू से शादी रचा ली। कहा जाता है कि पति के नाम से सोनू निकालकर उसने अपने नाम के आगे लगा लिया और सरनेम अरोड़ा यानि पंजाबी संप्रदाय की वजह से वहां पंजाबन जोड़ दिया, जिसके बाद वो सोनू पंजाबन बन गयी। साल 2006 में पुलिस ने हेमंत सोनू को भी मौत के घाट उतार दिया।

सैलरी पर रखी जाती थी कॉलगर्ल

लड़कियों के देह के धंधे में उतारने के लिए सोनू पंजाबन ने कुछ लोगों को काम पर रखा. इनकी सैलरी 25000 से लेकर 75000 रुपये महीने होती थी. इन लोगों का काम होता था पब और बार में जाना और ऐसी लड़कियों की तलाश करना जो यहां आना तो पसंद करती हैं लेकिन उनकी हैसियत ऐसी नहीं है. उनके किसी दोस्त ने यहां पार्टी दी है, किसी साथी का बर्थडे है इसलिए आ गईं लेकिन यहां उन्हें अच्छा लगा. महंगे कपड़े और महंगे फोन उन्हें आकर्षित करते. लंबी गाड़ियों को वो ललचाई नजरों से देखतीं. सोनू पंजाबन के पैरोल पर रखे लड़के-लड़कियां ऐसे लोगों को ताड़ते. पहले किसी बहाने से उनसे दोस्ती की जाती. फिर उन्हें सब्जबाग दिखाए जाते. उनका ब्रेनवॉश किया जाता, उन्हें उनकी देह की कीमत बताई जाती, उन्हें समझाया जाता कि इस धंधे की लंबी उम्र नहीं होती. उनसे कहा जाता कि एक बार करके देखो मन नहीं करेगा तो अगली बार परेशान नहीं करेंगे और धीरे-धीरे उन्हें दलदल में उतार दिया जाता.

एक्ट्रेस से लेकर एयर होस्टेस व मॉडल भी थी टीम में

सोनू पंजाबन का धंधा चल निकल पड़ा था, डिमांड बढ़ती जा रही थी. इसी हिसाब से सोनू की फीस भी. 10वीं पास सोनू पंजाबन ने टीवी एक्ट्रेस से लेकर एयरहोस्टेस तक, मॉडल्स से लेकर स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों तक को रैकेट में शामिल कर लिया. लेकिन असली शिकार वो मासूम ही होती थीं जो तात्कालिक जरूरतों के लिए गिरोह के चंगुल में फंस जाती थीं. ऐसा नहीं था कि पुलिस सोनू पंजाबन की करतूतों से अनजान थी लेकिन उसे पुख्ता प्रमाण नहीं मिल रहे थे. जानकारों का कहना है कि सोनू बड़े नौकरशाह, नेताओं, उद्योग से जुड़े ऐसे-ऐसे लोगों को लड़कियां सप्लाई करती थी कि पुलिस उस पर हाथ डालने से कतराती थी.इधर कारिंदों की हरकतें बढ़ती जा रही थीं. अब गिरोह देहव्यापार से आगे जाकर मासूम लड़कियों की खरीद फरोख्त में शामिल हो गया. सोनू पंजाबन को 2007 में प्रीत विहार पुलिस ने और 2008 में साकेत पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गई और फिर से कंपनी चलाने लगी. हालांकि जेल में रहने के दौरान भी उसके धंधे पर असर नहीं पड़ता था.

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