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भारत की इस बेटी के हाथ में हैं अमेरिका में एटम बम की कमान……ट्रंप के साथ आयी है दौरे….कहा जाता है- ट्रंप की डेलीगेशन की सबसे ताकतवर महिला … जानिये उनके बारे में

भारत की इस बेटी के हाथ में हैं अमेरिका में एटम बम की कमान……ट्रंप के साथ आयी है दौरे….कहा जाता है- ट्रंप की डेलीगेशन की सबसे ताकतवर महिला … जानिये उनके बारे में
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By NPG News

नयी दिल्ली 25 फरवरी 2020। डोनाल्ड ट्रंप अपने दो दिवसीय दौरे पर भारत आये हैं। भारत में उनके दौरे के दौरान उनका डेलीगेशन भी है। उस डेलीगेशन में एक बेहद ताकतवर महिला भी शामिल है। इस महिला को इसलिए ट्रंप के डेलीगेशन में सबसे ताकतवर कहा जा रहा है, क्योंकि उसी के पास परमाणु ताकत की कमान है। यूपी की रहने वाली रीता बरनवाल अमेरिका में परमाणु ऊर्जा विभाग की चीफ है। वहीं परमाणु विभाग, जिसके बारे में कहा जाता है, कि अमेरिकी राष्ट्रपति जहां जाते हैं, एक फुटबॉल साथ लेकर जाते हैं, जहां से वो युद्ध का कमांड कभी भी किसी को जारी कर सकते हैं।

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रीता के पिता कृष्ण चन्द्र बरनवाल 1968 में पीएचडी करने के लिए अमरीका गए थे। वह चार भाई थे। उन्‍होंने आईआईटी खड़गपुर से टाप किया था। पीएचडी पूरी करने के बाद उन्‍होंने अमरीका में ही बतौर प्रोफेसर अपना कॅरियर शुरू किया। फिर स्‍वदेश लौटे, शादी की और एक बार फिर अमरीका चले गए। इस बार अपनी पत्‍नी के साथ। उनकी तीन बेटियां हुईं। रीता ने एमआईटी से पदार्थ विज्ञान और अभिांत्रिकी में बीए करने के बाद मिशिगन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। उन्‍हें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रस्ताव पर जून 2019 में प्रमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। वह राष्ट्रपति ट्रंप के डेलिगेशन के साथ भारत दौरे पर आयी है।

इस खबर से उनके पिता के गांव बहादुरपुर में जबरदस्‍त खुशी है। उनकी चाची जानकी बरनवाल बार-बार भावुक हो जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बड़े देवर कृष्ण चन्द्र बरनवाल हर तीन साल पर घर आते थे। वह अपनी बेटी को भी साथ लाते थे। उन्‍हें अपने गांव से बहुत लगाव था। अमरीका में इतने साल रहे लेकिन जब कभी यहां आते, यहीं के होकर रह जाते। गांव के लोगों से मिलना-जुलना, खाना-पीना सब पहले जैसा ही रखते। उनके आने पर घर पर गांववाले जुटते थे। खूब हंसी-ठिठोली, गाना-बजाना होता था। बच्‍चे मुझे मां कहते थे। सब एक साथ फोटो खिंचवाते और फिर छुटि़टयां खत्‍म होने पर जब वे लौट जाते तो हम उन तस्‍वीरों को देखकर उन्‍हें याद करते थे। बड़ी होने के बाद रीता और उनकी बहनें पढ़ाई में व्‍यस्‍त हो गईं। उनका गांव आना रुक गया। बाद में कृष्ण चन्द्र बरवनवाल की तबियत खराब हो गई। कुछ साल पहले उनका निधन हो गया।

गांववालों और परिवार वालों का कहना है कि रीता बरनवाल 2008 में भी गांव आई थीं। इसके बाद फोन पर हुई बातचीत में वह कहती थीं कि जब भी भारत आएंगी तो गांव जरूर आएंगी। अब जब वह अमरीकी राष्‍ट्रपति के साथ भारत आ रही हैं तो गांववालों की चाहत है कि वह अपने गांव भी जरूर आएं। परिवार के सदस्‍यों ने कहा कि यह बहादुरपुर गांव ही नहीं सारे देश के लिए गर्व की बात है कि रीता आज इस मुकाम पर पहुंची हैं और वह अमरीकी राष्‍ट्रपति के साथ अपने देश आ रही हैं।

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