NIOS डीएलएड के विरोध में कल होगा डीएड/बीएड संगठन का एकदिवसीय धरना प्रदर्शन…. कई खेमों में बटे बेरोजगार… आखिर कैसे लगेगी शिक्षक भर्ती की नईया पार
रायपुर 18 फरवरी 2020। 26 जनवरी 2019 को जब प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने खुले मंच से ऐलान किया था कि अब प्रदेश में शिक्षाकर्मी नहीं बल्कि नियमित शिक्षकों की भर्ती होगी और वह भी एक दो नहीं बल्कि 15000 पदों पर तो बेरोजगारों की उम्मीदों को पंख लग गए थे और उन्हें ऐसा लगा मानो शिक्षक बनने के उनके सपने को अब धरातल पर आने से कोई नहीं रोक सकता इसके बाद होनहार छात्रों ने जमकर पढ़ाई भी की और अच्छे रैंक के साथ व्यापमं की परीक्षा पास भी की लेकिन जल्द नौकरी पाने का उनका सपना धरा का धरा रह गया और आज 1 साल गुजरने के बाद भी एक भी बेरोजगार को नौकरी नहीं मिल सका है । इधर जैसे जैसे समय आगे बढ़ते जा रहा है वैसे-वैसे मुद्दों को लेकर लड़ाई धरातल पर उतरते जा रही है और ऐसा लग रहा है मानो भर्ती प्रक्रिया अखाड़ा बन गई हो जहां एक दूसरे को पटखनी देने के लिए वह तमाम दांव पेच अपनाए जा रहे हैं जिससे यदि खुद की नौकरी न लगती हो तो कम से कम दूसरे की भी न लगे । “कौवा कान ले गया” की तर्ज पर खुद से ही बेरोजगार एक दूसरे के दुश्मन हो गए हैं और जिनका अच्छा रैंक आया है उनके पास सिवाय इस तमाशे को देखने के और कुछ भी नहीं है ।
किन-किन मुद्दों को लेकर जारी है लड़ाई
सबसे पहले बेरोजगारों में सीजी टेट और सी टेट को लेकर तलवारे खिंची , इसमें सीजी टेट परीक्षा दिलाने वालों का मानना था कि सीटेट पास बेरोजगारों को किसी भी कीमत पर नौकरी न दी जाए , इसके बाद स्थानीय भर्ती को लेकर विवाद खड़ा हुआ और उसमें सरकार द्वारा बाद में जारी किए गए नोटिफिकेशन ने आग में घी डालने का काम किया अभी भी वह आग सुलग रही है और बस्तर सरगुजा संभाग समेत कोरबा जिले के स्थानीय अभ्यर्थी खुद को उस नियम का लाभ दिलवाने के प्रयास में लगे हुए हैं , इसके बाद एक ही सत्र में डिग्री और डिप्लोमा धारी बेरोजगार चाहते हैं कि उन्हें नौकरी दी जाए और छत्तीसगढ़ नियमित डीएड बीएड संगठन इसके पक्ष में है । अब ताजा लड़ाई एनआईओएस के जरिए डीएलएड करने वालों के विरोध में है और इसके विरोध में संगठन ने बूढ़ा तालाब रायपुर में कल 19 फरवरी को धरना प्रदर्शन का आयोजन किया है जिसमें प्रमुख रुप से एनआईओएस डीएलएड को मान्यता न दिए जाने की मांग की जाएगी साथ ही शिक्षक एवं सहायक शिक्षक भर्ती के दूसरे वेरिफिकेशन में अभ्यर्थियों को 1:3 या 1:4 में बुलाए जाने की मांग रखी जाएगी ।
भर्ती प्रक्रिया में लेट होना तय…. विभाग भी फंसा उलझन में
इधर जिस प्रकार से अलग-अलग मुद्दे को लेकर बार-बार बेरोजगारों का संगठन और अलग-अलग झुंड लोक शिक्षण संचालनालय और राज्यपाल के पास ज्ञापन देने पहुंच रहे हैं उससे अधिकारी भी नाराज है और फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं, भले ही प्रतिक्रिया में लेट क्यों न हो वह किसी भी तरीके से अपनी कलम नहीं फंसने देना चाहते क्योंकि जमीनी लड़ाई के साथ-साथ न्यायालय में भी प्रकरण जाने का डर रहता है और कई केस पहले से ही नियमित भर्ती परीक्षा को लेकर न्यायालय में लगाए जा चुके हैं ऐसे में एक भी चूक उनके गले की फांस बन सकती है इस लिहाज से वह प्रक्रिया को जल्द निपटाने के फेर में नहीं है और इसके पीछे उनके पास अपना सटीक तर्क भी है क्योंकि बेरोजगार ही कहीं न कहीं भर्ती प्रक्रिया को लेट करते जा रहे हैं और अधिकारी चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि जिन जिन मामलों में न्यायालय का निर्णय आता जाएगा उस हिसाब से भर्ती प्रक्रिया में संशोधन करना उनकी मजबूरी हो जाएगी । बहरहाल कुल मिलाकर इस पूरे दांवपेच में उन बेरोजगारों को नुकसान हो रहा है जिनकी नौकरी हर हाल में फिक्स है क्योंकि जब तक भर्ती प्रक्रिया संपन्न नहीं हो जाएगी वह बेरोजगार के बेरोजगार ही रहेंगे भले ही मेरिट सूची में उनका नाम पहले नंबर पर क्यों न हो …. बहरहाल “न खाता न बही जो मैं बोल दूं वह सही’ की तर्ज पर हो रहे आंदोलनों के बीच बेरोजगारों ने खुद अपने संगठन का ही विरोध करना शुरू कर दिया है और उन्हें इस पूरे प्रदर्शन में संगठन की राजनीति दिखाई दे रही है ।