ट्रेनों में होगा अब बड़ा बदलाव…..3-AC कोच में 72 की जगह 83 सीटें होंगी…..देखिये और क्या कुछ होने जा रहा है बदलाव
नयी दिल्ली 12 फरवरी 2021। रेलवे अब ट्रेनों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। ऐसे में एसी कोच में सफर अब आसान हो जायेगा। थ्री एसी कोच में सफर करना अब और भी सुविधाजनक के साथ सस्ता होगा. रेलवे ने अपने पहले वातानुकूलित थ्री-टियर इकोनॉमी क्लास कोच की शुरुआत कर दी है. थ्री-टायर एसी कोच के नए डिजाइन में कई नई सुविधाएं हैं और इसमें 72 की जगह 83 बर्थ हैं.
थ्री-टियर इकोनॉमी क्लास कोच को ‘दुनिया में सबसे सस्ते और सर्वोत्तम एसी यात्रा का पर्याय’ बताया जा रहा है. इस लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच को आगामी परीक्षण के लिए रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) कपूरथला से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) लखनऊ में ले जाया गया.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने 38 सेकंड के वीडियो को शेयर करते हुए नई इकोनॉमी एसी कोच की कुछ दिलचस्प विशेषताओं को बताया. पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, ‘पंजाब के कपूरथला में रेल कोच फैक्ट्री में निर्मित इनोवेटिव एसी 3 टियर इकॉनमी क्लास कोच में कई सुविधाएं है.’
थ्री-टियर इकोनॉमी क्लास कोच की 10 विशेषताएं:
1) इस नए यात्री कोच में सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही सीटों को भी बढ़ाया गया है. अब एक कोच में 72 की जगह 83 बर्थ होंगे.
2) हर सीट/बर्थ के लिए एसी वेंट दिया गया है ताकि हर यात्री को एसी सफ़र का फायदा मिल सके. फिलहाल कोच के सिर्फ टॉप पर AC वेंट होता है
3) प्रत्येक बर्थ के लिए अलग-अलग रीडिंग लाइट लगाई गई हैं.
4) आपातकालीन स्थिति विशेषकर आग लगने के दौरान बचाव के लिए आधुनिक फायर सेफ्टी इंतजाम किए गए हैं.
5) प्रत्येक कोच में दिव्यांग-अनुकूल शौचालय के साथ ही दिव्यांगों के लिए खास रूप से कोच में एंट्री और एग्जिट की व्यवस्था की गई है. शौचालय डिजाइन को भारतीय और पश्चिमी-शैली में बनाया गया है.
6) मध्य और ऊपरी बर्थ तक पहुंचने के लिए सीढ़ी का एक नया डिज़ाइन किया गया है. मध्य और ऊपरी बर्थ में एक बढ़ी हुई हेडरूम है.
7) हर बर्थ पर मोबाइल और यूएसबी पॉइंट चार्ज करने के लिए व्यक्तिगत सॉकेट की व्यवस्था की गई है.
8) साइड बर्थ के साथ स्नैक टेबल की भी व्यवस्था की गई है. पानी की बोतलों, मोबाइल फोन और पत्रिकाओं आदि के लिए स्नैक टेबल बनाए गए है.
9) कोच के इंटीरियर में रात की रोशनी के साथ इंटीग्रेटेड बर्थ इंडिकेटर्स में ल्यूमिनेसेंट आइज़ल मार्कर हैं।
10) भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कोच को 160 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ने के अनुरूप बनाया गया है.