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लोकतंत्र की डगर पर सरगुजा राजपरिवार का सबसे युवा चेहरा उतरा.. गाँव गाँव पहुँच कर पूछ रहा है “आपकी इजाज़त हो.. आपकी अनुमति हो तो चुनाव लड़ूं” आदित्येश्वर सिंहदेव ज़िला पंचायत का लड़ेंगे चुनाव

लोकतंत्र की डगर पर सरगुजा राजपरिवार का सबसे युवा चेहरा उतरा.. गाँव गाँव पहुँच कर पूछ रहा है “आपकी इजाज़त हो.. आपकी अनुमति हो तो चुनाव लड़ूं” आदित्येश्वर सिंहदेव ज़िला पंचायत का लड़ेंगे चुनाव
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By NPG News

अंबिकापुर,2 जनवरी 2019। लोकतंत्र की खूबसूरत मगर बेहद अविश्वसनीय और ज़रा सी चूक पर फिसलन तय वाली डगर पर सरगुजा राजपरिवार का सबसे युवा चेहरा उतर गया है। पढ़ाई से मैकेनिकल इंजीनियर और विदेश में नौकरी छोड़ कर वापस अपने गाँव सरगुजा लौटा यह युवा हालिया क़रीब दो साल से लगातार अपने बड़े दाउ टी एस सिंहदेव के इर्द गिर्द उनके राजनैतिक जीवन में लगातार नुमाया होते रहा है। यही दो वर्ष हैं जबकि आदित्येश्वर ने लगातार सरगुजा में मौजुदगी रखी और तेज़ी से युवाओं के बीच अपनी स्वीकार्यता पाने की क़वायद में हैं। टीएस सिंहदेव के जनघोषणा पत्र से लेकर उनके राजनैतिक कैंपनिंग की रणनीति में आदित्येश्वर की अहम बल्कि नेपथ्य में रहते हुए केंद्रीय भूमिका रही है।

आदित्येश्वर शरण सिंहदेव, सरगुजा राज परिवार के प्रमुख और मौजुदा राज्य सरकार में स्वास्थ्य एवं पंचायत विभाग के मंत्री टी एस सिंहदेव के भतीजे हैं। आदित्येश्वर शरण सिंहदेव के पिता अरुणेश्वर सिंहदेव मध्यप्रदेश के ख्यातिलब्ध चेहरे हैं, अरुणेश्वर राजनीति से अलग स्पोर्ट्स में बेहद प्रभावी काम करते रहे हैं।

आदित्येश्वर सिंहदेव अंबिकापुर की ज़िला पंचायत क्षेत्र क्रमांक दो से चुनाव लड़ सकते हैं। वे 32 गांव वाले इस ज़िला पंचायत क्षेत्र में अब तक बीस गाँव पहुँच चुके हैं। हरेक दिन आदित्येश्वर तीन से चार ग्रामीणों के समुहों से मिल रहे हैं और उनसे संवाद करते हुए पूछ रहे है

“अगर आपकी अनुमति और समर्थन हो तो चुनाव लड़ूं”

आदित्येश्वर सिंहदेव को अब तक उत्साह भरा प्रतिसाद मिल रहा है हालाँकि यह युवा कहता है –

“दरअसल यह चुनाव एक प्रकार से दायित्व है, और बेहतर समझने की कोशिश भी.. मसला यह नहीं है कि मैं हारुंगा या जीतूँगा.. मसला है कि मैं लोगों से सीधे जूड़ कर बेहतर समझ पा रहा हूँ”

आदित्येश्वर सिंहदेव ने कहा

“मैं जब शुरु में वापस सरगुजा पहुँचा था तो यह ख़्याल था कि नॉन प्रॉफिट वाले अंदाज में बेहतर खेती और कुछ ऐसा किया जाए जो सरगुजा को और समृद्ध करे.. मुझे वो करना ही है.. इस पंचायत चुनाव के जरिए मैं अपने उस लक्ष्य के और क़रीब पहूंचूंगा”

आदित्येश्वर सिंहदेव जिस समय में पंचायत चुनाव के ज़रिए राजनीति में औपचारिक प्रवेश की क़वायद कर रहे हैं, इस वक्त की जटिलताओं को लेकर वे मुकम्मल वाक़िफ़ हैं। जिन किसानों के बेशुमार समर्थन ने कांग्रेस को सरकार में ला खड़ा किया, आदित्येश्वर के रोज़ाना के दौरे में धान ख़रीदी केंद्र शामिल होते हैं जहां वे किसानों के बीच लंबा समय गुज़ारते हैं, जिन किसानों के हवाले से यह खबरें आती रही हैं कि धान ख़रीदी को लेकर अफ़सरशाही का रवैया असहयोगी है।

जिस ‘महल’ की पृष्ठभूमि से आदित्येश्वर आते हैं और जो टी एस सिंहदेव की विरासत का वारिस है उसे लेकर समर्थक भले जीत को बहुत कठिन ना मानें लेकिन यह मैकेनिकल इंजीनियर जानता है कि, यह दौर पारिवारिक पृष्ठभूमि का कम और निरंतर सहज सरल संपर्क और अनवरत काम करने के साथ विनम्र और ईमानदार होने का है। आदित्येश्वर ने NPG से कहा

“ पैलेस निश्चित रुप से विरासत है, पर यह दौर युवाओं का है, आप उनसे यह अपेक्षा करें कि, वे आपके काम को तवज्जो ना दें, आपके व्यवहार को ना देखें, बस विरासत को देखें तो यह सोच ग़लत है.. विरासत अपनी जगह है लेकिन बड़े दाउ की यह नसीहत बेहद अहम है जो कि वे कहते हैं ‘काम काम और काम के साथ अनवरत संपर्क और सबसे संवाद’ यही काम आता है और यही काम आएगा.. और मैं यही कर रहा हूँ”

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