महिला तड़पती रही और डॉक्टर सतरेंगा में मनाते रहे पिकनिक, नर्स के कॉल करने के बाद भी कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा इमरजेंसी में, हो गई मौत
कोरबा 6 जुलाई 2021। सरकारी अस्पताल में एक महिला मरीज की तड़प-तड़प कर सांसे उखड़ती रही, परिवार के लोग गिड़गिड़ाते रहे…. नर्स विशेषज्ञ डाॅक्टर के मोबाईल पर इमरजेंसी काॅल मिलाती रही……..लेकिन डाॅक्टर साहब पिकनिक मनाने में मशगुल रहे, वही डयूटी पर मौजूद जवाबदार डाॅक्टर महिला की मौत का तमाशा देखते रहे। दरअसल पूरा मामला कोरबा के इंदिरा गांधी जिला अस्पताल का है, जो कि अब मेडिकल कालेज बन चुका है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनो तबियत बिगड़ने पर पत्थरी पारा निवासी आर.डी.लक्ष्मी नामक महिला को 28 जून को परिजनों ने हार्ट में तकलीफ होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 2 जुलाई तक जिला अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक डाॅ.विशाल सिंह राजपूत और डॉ प्रिंस जैन अस्पताल में भर्ती महिला का ईलाज किया।
मृतिका महिला…
4 जुलाई की सुबह अचानक बीमार महिला की हालत गंभीर हो गयी। हाॅस्पिटल से नर्स ने महिला की बिगड़ती हालत को देख सुबह 11 बजे के लगभग आनन-फानन में एम.डी.मेडिसीन डाॅ.प्रिस जैन को मोबाईल पर इमरजेंसी काल कर पेसेंट की हालत बिगड़ने की जानकारी दी गयी। नर्स की माने तो इमरजेंसी कॉल पर डाॅक्टर ने कुछ देर में अस्पताल पहुंचने का आश्वासन दिया, लेकिन वो अस्पताल न पहुंचकर दूसरे मेडिकल स्टाफ के साथ पिकनिक मनाने सतरेंगा चले गये। उधर पीड़ित महिला की सांसे उखड़ने लगी, महिला को तड़पता देख परिजन मरीज को बचाने की गुहार लगाने लगे, इसके बाद भी कोई सुनवाई न होने और डॉक्टर के नही आने पर परिवार वालो का गुस्सा फूट पड़ा। परिजनों के नाराज होने पर गुस्साई नर्स ने परिजनों को अस्पताल में मौजूद केजुअल्टी डाॅ. आर.एस.पैकरा के पास भेज दिया।
परिजनों की गुहार के बाद डाॅ. पैकरा मरीज के पास पहुचे और मरीज की बिगड़ती हालत को देख ईलाज के लिए विशेषज्ञ डाॅक्टर को फौरन बुलाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया……बस फिर क्या था, वक्त के साथ-साथ महिला की तबियत बिगड़ती गयी और दोपहर डेढ़ बजें के लगभग डाॅक्टरों की संवेदनहीनता के कारण महिला का ईलाज के अभाव में मौत हो गया। मामला यहीं खत्म नही होता है, इसके बाद मृतिका के डेथ सर्टिफिकेट के लिए फिर से विशेषज्ञ डाॅक्टर को बुलावा भेजा गया, लेकिन विशेषज्ञ डाॅ.प्रिस जैन घर में ना होकर ट्रामा कोविड हास्पिटल के स्टाफ के साथ सतरेंगा में पिकनिक मनाने में मशगुल थे। ईलाज के अभाव में मौत की नींद सोने वाली महिला के परिजनो को शाम 4 बजें तक डेथ सर्टिफिकेट के लिए डाॅक्टरों के पीछे-पीछे घूमना पड़ा तब जाकर उन्हे डेथ सर्टिफिकेट मिल सका।
– डाॅक्टरों ने मामले की डीन से की शिकायत
इस पूरे मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब मेडिकल काॅलेज के कैजुअल्टी डाॅक्टरो ने संयुक्त रूप से इस घटना की शिकायत 5 जुलाई को डीन से की है। डाॅक्टरों ने महिला मरीज की मौत एमडी मेडिसीन डाॅ.प्रिंस जैन की लापरवाही के कारण होने की शिकायत डीन से की है। इस पूरे मामले पर डीन डाॅ. वाय.डी. बड़गैयया ने जांच शुरू कर दी है, एनपीजी से चर्चा में डाॅ.बड़गैयया ने इस घटना को काफी गंभीर बताया है, उन्होने सपष्ट कहा है कि मामले की जांच की जा रही है और जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
– डीन के आदेश के बाद डाॅक्टर दो फाड़ में बटे
कोरबा मेडिकल काॅलेज के डीन डाॅ. वाय.डी.बड़गैयया के एक आदेश के बाद रेग्युलर डाॅक्टर और डीएमएफ से पदस्थ विशेषज्ञ डाॅक्टरों के बीच दो फाड़ हो गया है। डीन डाॅ. बड़गैयया ने 26 जून को एक ओदश जारी कर सभी विभाग प्रभारी चिकित्सकों को ओपीडी में आने वाले मरीजो का ईलाज के साथ ही उनके अस्पताल में भर्ती और डिस्चार्ज के साथ ही डेथ सर्टिफिकेज जारी करने का आदेश दिया गया था, जबकि मेडिकल कालेज में पदस्थ अन्य एमबीबीएस डाॅक्टरों को केजुअल्टी डयूटी करने का निर्देश दिया गया था। यहीं वजह है कि 4 जुलाई को जब पेसेंट आर.डी.लक्ष्मी की हालत गंभीर हुई तो उसके ईलाज के लिए डीन के आदेशानुसार विशेषज्ञ डाॅक्टर प्रिंस जैन को नर्स ने हास्पिटल से इमरजेंसी डयूटी काॅल किया था, लेकिन डाॅ.प्रिस जैन अस्पताल नही पहुंचे, वही अस्पताल में मौजूद कैजुअल्टी डाॅक्टर आर.एस.पैकरा को जानकारी मिलने के बाद भी उन्होने विशेषज्ञ डाॅक्टर का मामला होने की बात कहकर अपना हाथ पीछे खींच लिया।
4 जुलाई को हुए इस घटनाक्रम के बाद डीन ने आनन-फानन में उसी दिन देर शाम संसोधित आदेश जारी कर दिया, जिसमें सभी केजुअल्टी मेडिकल आफिसर को अस्पताल में भर्ती मरीज की गंभीर स्थिति होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों का इंतजार ना कर तत्काल उपचार प्रारंभ करने का निर्देश देने के साथ ही दुर्भाग्यवश मरीज की मौत होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र भी केजुअल्टी के चिकित्सक ही जारी करेने का आदेश जारी किया गया । कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरबा मेडिकल कालेज खुलने के साथ ही राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है। यहां डाॅक्टरों के दो गुटो में बटने का खामियाजा अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को झेलना पड़ रहा है।