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छत्तीसगढ़ में कलेक्टर द्वारा रेप की दूसरी घटना, पाठक से पहले एमआर सारथी को रेप केस में हुई थी जेल की सजा…जेल में ही मौत हो गई

छत्तीसगढ़ में कलेक्टर द्वारा रेप की दूसरी घटना, पाठक से पहले एमआर सारथी को रेप केस में हुई थी जेल की सजा…जेल में ही मौत हो गई
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By NPG News

जशपुर कलेक्टर एमआर सारथी को रेप के मामले में सात बरस की सजा हुई थी। जेल में ही उनकी मौत हो गई। बिलासपुर के एडिशनल कलेक्टर विनोद काटेला पर भी नौकरानी ने लगाई थी रेप का आरोप

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रायपुर, 3 जून 2020। ब्यूरोक्रेसी से जुड़ी आज एक शर्मनाक घटना सामने आई है। जांजगीर के पूर्व कलेक्टर जनकराम पाठक पर एक एनजीओ संचालिका ने अपने चेम्बर में रेप करने का आरोप लगाया है। पाठक को हफ्ते भर पहिले 27 मई को सरकार नेे कलेक्टर से हटा कर राजधानी बुला लिया था।
एनजीओ संचालिका पूर्व जनपद सदस्य रह चुकी है। उसका पति शिक्षाकर्मी है। एनजीओ के काम के सिलसिले में जांजगीर कलेक्टर से उसकी अक्सर मुलाकात होती थी। इस दौरान कलेक्टर से उसके ताल्लुकात बढ़ते गए। महिला का आरोप है कि कलेक्टर ने एनजीओ का काम दिलाने का झांसा देकर अपने चेम्बर में ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। कलेक्टर ने उसके पति को भी ट्रांसफर कर जांजगीर में पोस्टिंग देने का आश्वासन दिया था। महिला का आरोप है कि कलेक्टर ने उसे घोखा दिया। न एनजीओ का काम दिलाया और न ही उसकी पति की पोस्टिंग कराई। उपर से उसे वे प्रताड़ित करने लगे।
महिला आज पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर के पास पहुंचकर अपनी फरियाद की। आईएएस पर रेप के आरोप से ब्यूरोक्रेसी स्तब्ध रह गई। कलेक्टर जिले का न केवल मुखिया होता है बल्कि जिला दंडाधिकारी होता है। ब्यूरोक्रेट्स भी मानते हैं कि शर्मनाक घटना है। इसकी जल्द-से-जल्द जांच होनी चाहिए। उधर, एसपी ने उच्चाधिकारियों से परामर्श लेकर महिला की रिपोर्ट लेकर जांच का निर्देश दे दिया है।
छत्तीसगढ़ में कलेक्टर पर रेप का यह दूसरा मामला है। जशपुर के तत्कालीन कलेक्टर एमआर सारथी पर 2002 में वहां की आदिवासी हाॅस्टल की अधीक्षिका ने रेप का आरोप लगाई थी। तब छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की सरकार थी। सरकार ने इस घटना की जांच के लिए उस समय के डीआईजी डब्लूएम अंसारी को जशपुर भेजा था। अंसारी ने एक हफ्ते कैंप कर जांच की और अपनी रिपोर्ट में रेप की घटना को सही ठहराते हुए सारथी को दोषी ठहराया था। लेकिन, सरकार को यह रिपोर्ट नागवार गुजरी। किन्हीं कारणों से सरकार सारथी को बचाना चाहती थी। आईएएस लाॅबी भी उस समय काफी स्ट्रांग थी। सरकार और आईएएस लाॅबी के चलते सारथी पर निलंबन की भी कार्रवाई नहीं हुई। जबकि, आदिवासी महिला न्याय की गुहार लगाती रही।
सारथी के खिलाफ कड़ाई से जांच करने की कीमत डीआईजी अंसारी को चुकानी पड़ी। सरकार ने उन्हें उस नए जिले में दंतेवाड़ा का डीआईजी बनाकर भेज दिया, जहां डीआईजी की कोई पोस्ट ही नहीं थी।
उधर, सारथी के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चला। जशपुर की निचली अदालत ने सारथी को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई। सारथी ने इसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन, दोनों अदालतों ने निचली अदालत की सजा बरकरार रखी। आखिकार, सारथी को रायपुर जेल जाना पड़ा। जेल के दौरान ही बीमारी से उनकी मौत हो गई।
इससे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान 1998 में बिलासपुर के अपर कलेक्टर विनोद काटेला पर उनकी नौकरानी ने रेप करने का आरोप लगाया था। नौकरानी ने पुलिस में शिकायत की थी आईएएस ने शादी का झांसा देकर डेढ़ साल में अनेक बार दैहिक संबंध कायम की। काटेला का बाद में जबलपुर ट्रांसफर हो गया था।

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