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सेक्स वर्कर्स पर सबसे ज्यादा असर पढ़ रहा है कोरोना वायरस का… इस 26 साल की लड़की ने बताई आपबीती…

सेक्स वर्कर्स पर सबसे ज्यादा असर पढ़ रहा है कोरोना वायरस का… इस 26 साल की लड़की ने बताई आपबीती…
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By NPG News

नई दिल्ली 23 मई 2020 ब्राजील के रियो डी जेनेरो शहर की गलियां खाली हैं और सड़कें सूनसान हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से लोग एक-दूसरे से दूर रह रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा असर सेक्स वर्करों पर पड़ रहा है, खासतौर से ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर पर. ट्रांसजेंडर के मामले में ब्राजील पहले से ही सबसे खतरनाक देश माना जाता है. यहां ट्रांसजेंडर सेक्स वर्करों पर कोरोना वायरस की दोहरी मार पड़ी है

ग्राहक और आमदनी ना मिलने की वजह से यहां ट्रांस सेक्स वर्कर्स को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर-पूर्वी ब्राजील की 44 साल की एल्बा तवरेज का कहना है, ‘आप खाली सड़कें, बंद दुकानें और गिरती हुई अर्थव्यवस्था देख सकते हैं. मैं अब वेश्यावृत्ति की उस दौड़ में नहीं हूं लेकिन हां, मैं अब भी ये काम करती हूं. यहां अब बहुत कम ग्राहक हैं.’

ब्राजील में डर और पक्षपात की वजह से कई ट्रांसजेंडर देह व्यापार करने पर मजबूर हैं लेकिन उनके लिए ये राह आसान नहीं है. एल्बा तवरेज का कहना है, ‘यहां सिर्फ वही जिंदा रह सकता है जो मजबूत हो और मैं बहुत कमजोर हूं. गरीब और ट्रांसजेडर होना मुझे और कमजोर बना देता है. हालांकि अगर मैं गरीब ना भी होती लेकिन ट्रांस रहती तब भी ये भेदभाव जारी रहता.’

ट्रांसजेंडर के लिए काम करने वाले एक संगठन Transgender Europe के अनुसार ब्राजील में इन लोगों के लिए कई आंदोलन चलाए जाते हैं लेकिन फिर भी यह ट्रांसजेंडर लोगों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है. पूरी दुनिया में ट्रांसजेंडरों की हत्या की सबसे ज्यादा दर यहीं है.

26 साल की स्टेफनी गोनक्लेव दक्षिणपूर्वी ब्राजील में एक ट्रांस सेक्स वर्कर हैं. स्टेफनी का कहना है कि रियो में कोरोना वायरस फैलने के बाद जिंदगी बहुत कठिन हो गई है. वो कहती हैं, ‘यह वास्तव में मुश्किल है क्योंकि सड़क पर लगभग कोई नहीं है… मैं एक सेक्स वर्कर हूं और यह मेरे लिए बहुत भयानक है. ग्राहक की तलाश में मैं अब भी बाहर जाती हूं क्योंकि अगर मैं अपने काम पर नहीं गई तो मैं भूख से मर जाऊंगी.’

स्टेफनी का कहना है, ‘सेक्स वर्क के अलावा मैंने कभी कोई और काम नहीं किया है. शुक्र है कि यहां कुछ लोग ऐसे हैं जो हमारी मजबूरी समझते हैं और मुझे खाना देकर जाते हैं. हालांकि ऐसे लोग बहुत कम हैं.’ स्टेफनी ने कहा, ‘ट्रांसजेंडर होने की वजह से हमारे लिए पहले भी कम मुश्किलें नहीं थीं और अब ये और भी ज्यादा हो गई हैं. कोरोना का खतरा हम लोगों को ज्यादा है इसलिए अब मैं घर पर ही हूं.’

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