संजय के दीक्षित
तरकश, 7 फरवरी 2021
मछली के कांटे आमतौर पर गले में फंसता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ के एक मंत्री के दांत में मछली का ऐसा कांटा फंसा कि उसकी तकलीफ से वे उबर नहीं पा रहे। मंत्रीजी गए थे डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी का दर्शन करने। रोपवे से उतरने के बाद वे रेस्ट हाउस पहुंचे। अफसरों ने उनकी खिदमत में कई तरह के मांसाहारी व्यंजनों का इंतजाम किया था। मंत्रीजी को पहले से भूख लगी थी…नानवेज देखने के बाद और तेज हो गई। बताते हैं, जल्दी के चक्कर में मछली का एक बड़ा कांटा उनके दांत में फंस गया। अब मामला मंत्री का था, सो वहां मौजूद अधिकारियों के हाथ-पांव फुल गए। आनन-फानन में डेटिस्ट को बुलाया गया। डेंटिस्ट ने काफी कोशिश की….नाकाम होने के बाद बोला, कांटा मसूड़े के बेस में घूस गया है…हास्पिटल में आपरेट कर निकालना पड़ेगा। मंत्रीजी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। डेंटिस्ट ने हालांकि, कांटा निकाल दिया। किन्तु मंत्रीजी की तकलीफ दूर नहीं हुई है। अलबत्ता, मंदिर में दर्शन के बाद मछली खाने को लेकर सोशल मीडिया में मंत्रीजी का जमकर मजाक उड़ा। शायद यही वजह है कि मंत्रीजी के स्टाफ ने विभाग के अधिकारियों को फरमान जारी कर दिया है….मंत्रीजी अगर किसी मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो उसके बाद खाने में अनिवार्य रूप से शाकाहारी भोजन की व्यवस्था की जाए, मांसाहारी नहीं।
रोक्तिमा रिलीव, केडी कब?
आईएएस अवार्ड होने के बाद डिप्टी सिकरेट्री रोक्तिमा यादव राजभवन से रिलीव हो गई। उन्हें दो महीने पहिले राजभवन से हटाकर मंत्रालय भेजा गया था। मगर किन्हीं कारणों से इस पर अमल नहीं हो सका। जीएडी वाले आदेश निकालकर भूल गए और रोक्तिमा राजभवन में बनी रहीं। लेकिन, आईएएस अवार्ड होने के बाद रोक्तिमा की पोस्टिंग का आदेश निकला और वे मंत्रालय की रवानगी डाल दी। परन्तु, राजभवन में ज्वाइंट सिकरेट्री बनाए गए केडी कुंजाम का अभी कोई पता नहीं है। रोक्तिमा को राजभवन से हटाने वाले आदेश में ही कुंजाम को ज्वाइंट सिकरेट्री बनाया गया था। उस समय न रोक्तिम हटीं और न कुंजाम आए। लेकिन, अब रोक्तिमा हट गई हैं तो सवाल उठता है कुंजाम राजभवन का चार्ज कब लेंगे।
6 करोड़ का सफेद हाथी
छत्तीसगढ़ बनने के बाद फस्र्ट सीएम अजीत जोगी ने नए राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए छत्तीसगढ़ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेेंट कारपोरेशन याने सीआईडीसी गठित किया था। बीजेपी सरकार मेें करीब 2005 तक यह कारपोरेशन ठीक-ठाक काम करता रहा। इसी ने टाटीबंध से तेलीबांधा तक और शास्त्री चैक से रेलवे स्टेशन तक फ्लाई ओवर का प्लान तैयार किया था। लेकिन, उसके बाद काडा और फिर एनआरडीए बनने के बाद सीआईडीसी को सरकार ने सफेद हाथी बनने पर मजबूर कर दिया। अमर अग्रवाल जब तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे, सीआईडीसी में बैठते रहे। उनके बाद में कोई झांकने नहीं गया। आज इस निगम में 60 अधिकारी, कर्मचारी हैं। छह करोड़ का सलाना बजट है, जो सिर्फ वेतन पर खर्च होता है। लेकिन आपको यह जानकार ताज्जुब होगा कि यह छह करोड़ रुपए विशुद्ध तौर पर पानी में जा रहा है। क्योंकि, इस निगम के पास कोई काम नहीं है। अफसर, कर्मचारी आफिस आते हैं और हाजिरी लगाकर घर चल देते हैं। चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन कभी इसके एमडी रह चुके हैं। उन्हें सीआईडीसी के लिए कोई काम निकालने चाहिए ताकि, राज्य की जनता की जेब का पैसा इस तरह पानी में न जाए।
फर्स्ट आईएफएस
सब कुछ ठीक रहा तो कांकेर के सीसीएफ एसएसडी बड़गैया प्रमोट होकर जल्द ही एडिशनल पीसीसीएफ बन जाएंगे। राज्य वन सेवा से आईएफएस बनने वाले वे पहले अफसर होंगे, जो एडिशनल पीसीसीएफ की कुर्सी तक पहुंचेंगे। अभी तक कम-से-कम मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसी प्रमोटी आईएफएस को यह मौका नहीं मिला है। दरअसल, कम उम्र और फस्र्ट चांस में सलेक्शन होने के फायदे आखिरी समय में मिलते हैं। 96 बैच के आईएफएस बड़गैया अविभाजित मध्यप्रदेश में 20 साल की उम्र में एसीएफ सलेक्ट हो गए थे। इसी तरह आईपीएस राजीव श्रीवास्तव ने डीजी बनने का रिकार्ड बनाया था। राजीव डीजी के पद तक पहुंचने वाले देश के दूसरे प्रमोटी आईपीएस बन गए थे। ये रिकार्ड आज भी उनके नाम है।
कलेक्टरी के दावेदार
कलेक्टरों की लिस्ट निकलने की चर्चाएं तेज होती जा रही है। हालांकि, अभी ये हंड्रेड परसेंट नहीं है कि सरकार बजट सत्र के बाद लिस्ट निकालेगी या उससे पहिले। फिर भी दावेदारों में बेचैनी बढ़ रही है। अभी 2013 बैच पूरा नहीं हुआ है। छह में से सिर्फ विनीत नंदनवार और नम्रता गांधी कलेक्टर बन पाई हैं। चार बचे हैं। सीनियर लेवल पर बात करें तो 2006, 07 और 08 बैच के एक-एक आईएएस रायपुर, जांजगीर और रायगढ़ में कलेक्टर हैं। 2009 बैच में प्रियंका शुक्ला, सौरभ कुमार और समीर विश्नोई सिर्फ एक-एक जिले की कलेक्टरी किए हैं। समीर कोंडागांव में मात्र 11 महीने रह पाए। 2010 बैच में चार आईएएस हैं। इसमें से डाॅ0 सारांश मित्तर बिलासपुर और जयप्रकाश मौर्य धमतरी कलेक्टर हैं। कार्तिकेय गोयल हाल ही में महासमुंद कलेक्टर से रायपुर लौटे हैं। इस बैच की रानू साहू जरूर दो जिले की कलेक्टर रही हैं। लेकिन, दोनों जिले मिलाकर मुश्किल से डेढ़ साल। कांकेर में छह महीने और बालोद में करीब साल भर। 2011 बैच के भास्कर संदीपन एक महीने कलेक्टर रहे हैं। प्रमोटी में 2011 बैच में जितेंद्र शुक्ला भी हैं। बहरहाल, सवाल यह है कि लिस्ट में इनमें से कुछ अफसरों का नम्बर लग पाएगा?
फ्रंटफुट पर अफसर?
छत्तीसगढ़ में सरकार के दो बरस हो गए हैं। अब काम करने के लिए कुल जमा दो साल बचे हैं। पांचवा साल तो इलेक्शन ईयर होता है। उसमें काम होते नहीं। सिर्फ घोषणाएं होती हैं। वैसे भी, सरकार के दो साल में से एक साल महामारी में निकल गया। ऐसे में, अफसरों को अब फ्रंटफुट पर आकर बैटिंग करने की जरूरत है। खासकर कुछ चुनिंदा योजनाओं को लेकर। नरवा जैसी योजना छत्तीसगढ़ के लिए वरदान बन सकती है। छत्तीसगढ़ में 72 फीसदी से अधिक बारिश का पानी बहकर नदियों में चला जाता है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री पं0 श्यामाचरण शुक्ला के बाद छत्तीसगढ़ के वाटर रिसोर्सेज पर ध्यान नहीं दिया गया। नरवा योजना के तहत काम तो हो रहा मगर अभी उसे माॅडल के शेप में ही कहा जा सकता है। इससे काम नहीं चलेगा। भारत सरकार के पास वाटरशेड की कई योजनाएं होती हैं। सवाल है कि अफसर आगे बढ़े तब तो? इसके लिए कायदे से एक बोर्ड बना देना चाहिए। जब शौचालय बनाने के लिए आईएएस को डायरेक्टर बनाया जा सकता है तो नरवा जैसी योजना का जिम्मा किसी सीनियर आईएएस को क्यों नहीं दिया जा सकता।
अद्भुत नेता, अद्भुत काम
रायगढ़ के पूर्व विधायक रोशन अग्रवाल नहीं रहे। पत्रकार से नेता बने रोशन न केवल अद्भुत शख्शियत थे बल्कि होम वर्क भी उनका अद्भुत था। जो भी आदमी उनके आफिस गया, उनके फाइल वर्क को देखकर मुरीद बन गया। सीनियर पोजिशन से रिटायर एक आईएएस, जो रायगढ़ में एडिशनल कलेक्टर रह चुके हैं, उनकी माने तो रोशन जैसा जमीनी और फाइल वर्क वाले नेता उन्होंने नहीं देखा। वे बताते हैं, एक बार पूर्व सीएम डाॅ0 रमन सिंह रायगढ़़ के दौरे में रोशन के आफिस गए थे चाय पीने। रायपुर लौटकर उन्होंने कहा था….अपने विधानसभा क्षेत्र की कंप्लीट जानकारी रखने वाला रोशन जैसा आफिस मेरा भी नहीं है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या बीजेपी के पुरंदेश्वरी के जवाब में कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया तीन दिनों के प्रवास पर छत्तीसगढ़ आए हैं?
2. बीजेपी सांसद सरोज पाण्डेय को केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा, इस खबर में कितनी सत्यता है?