20 किलो सोना का गहना पहनने वाले गोल्डन बाबा नहीं रहे…. गारमेंट के बड़े कारोबारी थे, गुनाहों का प्रायश्चित कर बने थे बाबा…..गुनाह की लंबी कहानी उनके नाम थी दर्ज
नयी दिल्ली 1 जुलार्ई 2020। सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा (Sudhir Kumar Makkar alias Golden Baba) का एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया है। गोल्डन बाबा गंभीर बीमारी के कारण 18 मई से एम्स में भर्ती थे। 30 जून की रात 9:53 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वह पंचदशनाम जूना अखाड़ा, बरेली के महंत थे। कांवड़ यात्रा में 20 किलो तक सोना पहनकर निकलने के कारण बाबा चर्चित थे।
गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्कड़ है. वह मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले थे. बताया जाता है कि संन्यासी बनने से पहले सुधीर कुमार मक्कड़ दिल्ली में गारमेंट्स का कारोबार करते थे. अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए सुधीर कुमार मक्कड़ गोल्डन बाबा बन गए. गांधी नगर के अशोक गली में गोल्डन बाबा का आश्रम है.
गोल्डन बाबा इंदिरापुरम जीसी ग्रैंड सोसाइटी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। बताया जा रहा है कि लंबे समय से उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। इसके चलते उनका इलाज चल रहा था। समस्या बढ़ने पर 18 मई को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। सोसायटी के लोगों के अनुसार तभी से उनकी पत्नी दिल्ली स्थित उनके आवास में ही थी। जीसी ग्रैंड के ए ओ ए अध्यक्ष अमरीश गर्ग ने बताया कि सोसाइटी के लोगों को आज सुबह ही उनके निधन की सूचना मिली है। फिलहाल उनके फ्लैट में ताला लगा है।
क्यों कहा जाता है गोल्डन बाबा
सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा को 1972 से ही सोना पहनना पसंद था. बताया जाता है कि वह सोने को अपना ईष्ट देवता मानते थे. बाबा हमेशा कई किलो सोना पहने रहते हैं. बाबा की दसों उंगलियों में सोने की अंगूठी, बाजुबंद, सोना का लॉकेट है. बाबा की सुरक्षा में हमेशा 25-30 गार्ड तैनात रहते थे.
पुराने हिस्ट्रीशीटर थे गोल्डन बाबा
गोल्डन बाबा पूर्वी दिल्ली के पुराने हिस्ट्रीशीटर थे. हिस्ट्रीशीट का मतलब थाने में खोला गया बाबा के नाम का वो बही-खाता जिसमें उनके तमाम छोटे-बड़े गुनाहों का पूरा हिसाब-किताब दर्ज हैं. इन मुकदमों में अपहरण, फिरौती, जबरन वसूली, मारपीट, जान से मारने की धमकी जैसे तमाम छोटे-बड़े गुनाह शामिल हैं.