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कलेक्टर दीपक सोनी का “संवाद” नक्सलगढ़ में मिटा रहा प्रशासन और लोगों के बीच फासला…..कलेक्टर के साथ एक दिन गुजारने का मिलता है वक्त…..प्रशासन की कार्यशैली सीखने आये युवा IAS बनने की प्रेरणा भी लेकर जाते हैं

कलेक्टर दीपक सोनी का “संवाद” नक्सलगढ़ में मिटा रहा प्रशासन और लोगों के बीच फासला…..कलेक्टर के साथ एक दिन गुजारने का मिलता है वक्त…..प्रशासन की कार्यशैली सीखने आये युवा IAS बनने की प्रेरणा भी लेकर जाते हैं
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By NPG News

दंतेवाड़ा 26 जून 2020। …कलेक्टर दीपक सोनी यूं तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पहल के लिए हमेशा चर्चित रहे हैं…फिर चाहे उनके सूरजपुर कलेक्टर रहते शुरू की गयी…”मोर मोबाईल मोर डाक्टर”… “एक दुकान-सब्बो समान” और “संवाद सूरजपुर” कार्यक्रम की बात हो….या फिर दंतेवाड़ा की कमान संभालते ही लाल आतंक के गढ़ में प्रशासन से लोगों को जोड़ने के लिए शुरू किया गया “संवाद” कार्यक्रम हो।

दंतेवाड़ा कलेक्टर की तरफ से शुरू किया गया “संवाद- पहल प्रेरणा की” कार्यक्रम ना सिर्फ प्रशासन से आमलोगों के फासले को कम करने का जरिया बन रहा है…बल्कि आने वाले दिनों में ये कार्यक्रम कलेक्टर की प्रेरणा से जिले के युवाओं को सिविल सर्विस में जाने का माध्यम भी बन सकता है। इस कार्यक्रम में चयनित युवाओं को एक दिन का पूरा वक्त कलेक्टर के साथ गुजारने के लिए मिलता है। लिहाजा उस खुशकिस्मत युवा को ना सिर्फ कलेक्टर की कार्यशैली को करीब से जानने का मौका मिलता है, बल्कि प्रशासनिक कामों के तरीके को समझने और योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलती है।

कलेक्टर दीपक सोनी बताते हैं कि

“इस कार्यक्रम को शुरू करने के पीछे एक बड़ा मकसद मेरा ये है कि लोगों में प्रशासन को लेकर डर या खौफ ना बना रहे, लोग प्रशासन को जाने, समझे और प्रशासन से उनकी दूरी मिटे….और ये तभी संभव है जब ज्यादा से ज्यादा युवा प्रशासन की कार्यशैली को समझेंगे। हमने संवाद का सिलसिला शुरू किया है, अभी ये शुरुआत है, जिसमें प्रत्येक कार्यक्रम में हम आम लोगों में से एक प्रतिभाशाली युवा को चुनते हैं, जो या तो समाज कि लिए कुछ कर रहे हैं या फिर करना चाहते हैं, वो मेरे साथ पूरा दिन गुजारते हैं। सुबह की मीटिंग से दोपहर के लंच तक और इंस्पेक्शन से लेकर विभागों की समीक्षा तक…हम पूरे वक्त उन्हे साथ रखकर ये बताना चाहते हैं कि प्रशासन जो काम कर रहा है, वो उन्ही के लिए है…इसका फायदा वो कैसे ले सकते हैं। प्रशासन के जरिये वो अपने गांव का उत्थान और परेशानियों का समाधान कैसे कर सकते हैं…ये शुरुआत है, जैसे-जैसे युवा जुड़ेंगे इसका फायदा भी हमें दंतेवाड़ा में देखने को मिलेगा”

प्रदेश के लिए इस अनूठे कार्यक्रम का मकसद कलेक्टर और कलेक्टरेट की कार्यशैली को समझना तो है ही…एक कलेक्टर के साथ पूरा वक्त गुजारकर युवा के अंदर एक IAS की प्रेरणा भी भर जाती है…जाहिर है आने वाले वक्त में ये प्रेरणा दंतेवाड़ा को कई IAS-IPS भी दे सकता है। कलेक्टर दीपक बताते हैं…

“निश्चित ही, जब युवा किसी कलेक्टर के साथ पूरा दिन गुजारता है, तो वो प्रभावित हुए बिना तो रह ही नहीं सकता, बातचीत में वो अपने करियर से जुड़ी बातें साझा करता है, वो कलेक्टर से उनके संघर्ष और सफलता की बातें करता है, UPSC और PSC पर चर्चा करता है और फिर ये कहता है कि मैं भी IAS बनना चाहता हूं….. या फिर प्रशासन की कार्यशैली से संतुष्ट होकर मिले सुझाव और जानकारी को गांव में युवाओं संग साझा करने की बात करता है, तो लगता है कि हमारे कार्यक्रम का “संवाद” सार्थक हो गया”

संवाद : धनराज ने गुजारा एक दिन कलेक्टर के साथ

संवाद कार्यक्रम में पहले मेहमान थे धनराज। ग्रामीण क्षेत्र का ये होनहार युवा लेखक अंग्रेजी में अब तक दो किताबें लिख चुका है, जिसमें एक किताब डिप्रेशन पर है। धनराज ने पूरा दिन कलेक्टर के साथ गुजारा। गांव की समस्याएं रखी और उसके निराकरण के सुझाव भी दिये। 10वीं तक की पढ़ाई हिंदी में करने के बाद उन्होंने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई अंग्रेजी मीडियम में की और फिर दो किताबें अंग्रेजी में लिख डाली। धनराज ने कलेक्टर के साथ लंबा वक्त गुजारा, तो वहीं नोडल अफसरों ने कलेक्टर और कलेक्टरेट से जुड़ी जिम्मेदारी और कार्यशैली की जानकारी दी। अलग-अलग अधिकारियों के साथ धनराज ने बातचीत की, जिसके बाद उनसे फीडबैक लिया गया और गांव की बेहतरी के लिए उससे सुझाव मांगा गया।

अलग-अलग सेशन में चलता है “संवाद” कार्यक्रम

गांव के उन युवाओं का इस कार्यक्रम के लिए चयन किया जा रहा है, जो सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हैं या फिर गांव में जागरूक है। चयनित युवाओं को सबसे पहले सुबह 11 बजे से 12 बजे तक कलेक्टरेट में प्रशासन के अलग-अलग आयाम से परिचय कराया जाता है, इस दौरान नोडल अफसर उन्हें कलेक्टरेट घूमाते हैं। दोपहर 12 बजे के बाद वो वक्त आता है, जब चयनित युवा सीधे कलेक्टर से मुखातिब होते हैं। उनके साथ चैंबर में गुजारते हैं, बातें करते हैं, अपनी पृष्ठभूमि बताते हैं, गांव और समाज को लेकर अपनी सोच को साझा करते हैं। इस दौरान कलेक्टर की कुर्सी के ठीक बगल वाली कुर्सी में चयनित युवा को बैठाया जाता है, ताकि उन्हें अपनी अहमियत का अहसास हो। दोपहर का लंच भी युवा कलेक्टर के साथ करते हैं। जाहिर ये वो वक्त होता है, कलेक्टर और आमलोगों के बीच आम सहयोगी का बन जाता है।

कलेक्टर दीपक बताते हैं कि समाज में पारस्परिक सहयोग, प्रेरणा और प्रशासन से जुड़ाव इसका मकसद है और हमें लगता है कि ये कार्यक्रम उस कड़ी में अहम भूमिका निभायेगा।

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