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पुलिस की कस्टडी में मुजरिम की मौत ! कस्टोडियल डेथ के इस मामले में क्या होगा छत्तीसगढ़ पुलिस का रुख .. ?

पुलिस की कस्टडी में मुजरिम की मौत ! कस्टोडियल डेथ के इस मामले में क्या होगा छत्तीसगढ़ पुलिस का रुख .. ?
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By NPG News

रायपुर,19 जनवरी 2020। राजधानी के धरसींवा थाने में चोरी के आरोपी को न्यायालय में पेश करते ले जाते वक्त गाड़ी में ही आरोपी की तबियत बिगड़ी और जबकि उसे अस्पताल लाया गया तो चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अब इस मामले को कस्टोडियल डेथ माना जाएगा या नहीं माना जाएगा यह सवाल पुलिस महकमे को परेशान कर रहा है।
पुलिस की ओर से मिली जानकारी यह कहती है कि,धरसींवा के सिलतरा में नरेंद्र नायक शराब का आदी था, उसे आबकारी विभाग द्वारा संचालित शराब दूकान के कर्मचारी 18 जनवरी को यह कहते हुए थाना ले गए कि, वह सुबह चार बजे शराब चोरी करने दूकान में घूसा था। पुलिस ने नरेंद्र नायक के ख़िलाफ़ चोरी का मुक़दमा दर्ज कर लिया और उसे गिरफ़्तार कर लिया। थोड़ी ही देर बाद नरेंद्र नायक की पत्नी पहुँची और उसने आरोप लगाया कि, उसके पति की पिटाई की गई है। पुलिस ने चोरी के आरोपी नरेंद्र नायक का मुलाहिज़ा कराया और क़रीब तीन बजे उसे न्यायालय में पेश करने ले जा रहे थे।धनपुरी के पास नरेंद्र नायक ने बताया कि उसे चक्कर आ रहा है और वह गाड़ी में नहीं बैठ सकता। पुलिस की ओर से 108 बुलाकर उसे मेकाहारा भेजा गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस मामले में राज्य शासन के पूर्व से जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप न्यायिक जाँच कराए जाने का फ़ैसला लिया गया और पीएम कराया गया। पुलिस को PM रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।
JMFC पवन अग्रवाल इस मृत्यु की न्यायिक जाँच कर रहे हैं।
पुलिस का अब यह भी दावा है कि, जैसे ही मृतक की पत्नी ने मारपीट का आरोप लगाया था, मृतक का MLC कराया गया जिसमें चोट का उल्लेख था, लेकिन यह चोट की प्रकृति गिरने से लगी हुई है अथवा पीटने से, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है। लेकिन इस आधार पर शराब भट्टी कर्मियों के विरुद्ध मारपीट का मामला दर्ज कर लिया गया।
अब इस मौत को लेकर यह विधिसम्मत प्रश्न आ गया है कि, इस मृत्यु को कस्टोडियल डेथ माना जाए या नही। ज़ाहिर है पुलिस को यह विधिसम्मत प्रश्न क़तई पसंद नहीं आ रहा है।
विधि वेत्ताओं का इस प्रकरण पर सीधा मत है कि, यह कस्टोडियल डेथ का मामला माना जाएगा। इसके लिए विधि वेत्ता कस्टोडियल डेथ का अर्थ बताते हैं जिसके अनुसार
“कोई भी व्यक्ति जो पुलिस या जेल के प्रशासन की कस्टडी में है और उसकी मृत्यु असामान्य परिस्थितियों में होती है उसे कस्टोडियल डेथ कहा जाएगा”
अब इस अर्थ के साथ क़ानून के जानकार इस घटना को लेकर एक सवाल और उठाते है, वरिष्ठ अधिवक्ता एस के फरहान का प्रश्न है –
“जबकि उसे थाने लाया गया तो उस व्यक्ति के चोट की प्रकृति यदि प्राणघातक थी तो उसे सीधे अस्पताल पहुँचाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, पुलिस की यह दलील यदि सही माना जाए कि MLC हुआ तो तब भी पुलिस के पास चिकित्सक की क्या यह हिदायत नहीं आई कि, इसे प्राणघातक चोट है और यदि आई तो उसे एडमिट क्यों नहीं कराया गया”
इस बीच छत्तीसगढ़ में कस्टोडियल डेथ के दो मामले हैं, और दोनों में ही छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यवाही अजीबोग़रीब है,एक मामला अंबिकापुर का है जहां पूछताछ के दौरान आरोपी भागा और ख़ुदकुशी कर गया, न्यायिक जाँच रिपोर्ट और मेडिकल में पुलिस प्रताड़ना की बात खारिज कर दी गई, लेकिन अचानक टीआई समेत पाँच पुलिसकर्मियों के विरुध्द धारा 306 याने आत्महत्या के लिए दूष्प्रेरित करने का आरोपी बनाया गया, दूसरा मामला सूरजपुर ज़िले के चंदौरा का था, जहां एक व्यक्ति को थाने के लॉकअप में रखा गया, जिसको रखे जाने की कोई एंट्री थाने के अभिलेख में नहीं थी, सुबह वह व्यक्ति लॉकअप में ख़ुदकुशी कर गया, छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस मामले में धारा 342 लगाया जिसका अर्थ होता है सदोष परिरोध।
अब यह तीसरा मामला है, देखना दिलचस्प होगा कि, छत्तीसगढ़ पुलिस इस मामले में क्या रुख़ अपनाती है ? इस मामले को कस्टोडियल डेथ माना भी जाता है या नही .. नहीं माना जाता है तो आधार क्या लाए जाएंगे और माना जाता है तो धारा क्या लगाई जाएगी।

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