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NPG स्पेशल : CM भूपेश की बिहान योजना ने बदल दी इन महिलाओं की जिंदगी….कभी अपने ही गांव में गुमनाम थी, आज पूरे छत्तीसगढ़ में है इनके धान के गहने की चर्चा….बिहान कैंटीन के जायके का जिले के बाहर भी लोग हैं मुरीद

NPG स्पेशल : CM भूपेश की बिहान योजना ने बदल दी इन महिलाओं की जिंदगी….कभी अपने ही गांव में गुमनाम थी, आज पूरे छत्तीसगढ़ में है इनके धान के गहने की चर्चा….बिहान कैंटीन के जायके का जिले के बाहर भी लोग हैं मुरीद
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By NPG News

बालोद 24 अप्रैल 2020 । राजधानी के मशहूर मॉल्स की आर्ट गैलरी में धान के बने आभूषण देखकर कभी आपके पैर ठिठक जायें, तो रूककर ये मत सोचने लगियेगा कि ये एक्सपोर्ट की हुई ज्वेलरी है। ये प्रोडक्ट पूरी तरह छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ी महिलाओं के द्वारा तैयार की गयी है। जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की स्वाबलंबन की सोच को बालोद की देशीला साहू और उसकी टीम बिहान योजना के माध्यम से श्रृंगार के रूप में उतार रही है। देशीला और उसकी टीम के हाथों में जादू है!…धान की बाली से चंद घंटों में वो ऐसा गहना तैयार कर देती है कि उसके आगे सोने की चमक और चांदी की दमक सब फीकीं। फिनिसिंग से लेकर डिजाइन तक सब कुछ ऐसा शानदार…कि यकीन करना मुश्किल हो जायेगा, कि क्या वाकई में हाथों में ऐसा भी हुनर हो सकता है । लेकिन आज से कुछ साल पहले तक देशीला को कोई नहीं जानता था।

उसका हुनर गुंडरदेही तो छोड़िये पैरी ग्राम पंचायत के आसपास ही कैद होकर रह गया था….फिर एक दिन उसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस योजना की जानकारी हुई, जिसके तहत वो स्वयंसहायता समूह का हिस्सा बनकर ना सिर्फ खुद की, बल्कि अपने पूरे समूह की तस्वीर संवार सकती थी। वो योजना थी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बिहान योजना। जो महिलाओं को स्वाबलंबन की प्रेरणा भी देता है और सशक्त होने के लिए आर्थिक मदद भी। आज गुंडरदेही के पैरी ग्राम पंचायत की “धनधान्य लक्ष्मी स्व-सहायता” समूह सिर्फ बालोद ही नहीं राजधानी रायपुर तक चर्चित है। राजधानी के कई बड़े मॉल में गुंडरदेही की “धनधान्य लक्ष्मी स्व-सहायता” समूह की महिलाओं के हाथों से तैयार की गयी धान की बालियों का आभूषण हाथों हाथ बिक रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्वाबलंबन के संदेश ने वाकई में बालोद के कई इलाकों की शोहरत बढ़ा दी है। यहां महिलाएं अब घर की देहरी तक सीमित नहीं हैं। वे अपने पति व बच्चे की कमाई पर आश्रित भी नहीं होना चाहती। यहां वो मेहनत और हुनर से अपनी तकदीर खुद लिख रही है। महिलाओं के हाथों का हुनर जो कभी बंद दरवाजों तक ही सिमटा था, अब वो यहां से पूरी दुनिया में मशहूर हो रहा है, जिनसे उन्हें अच्छे पैसे भी मिल रहे हैं और वो अपने क्षेत्र का व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सत्ता संभालते ही ग्रामीण परिवेश से रोजगार सृजन और महिला स्वाबलंबन से आर्थिक मजबूती की दूरदर्शी सोच रखी थी, लिहाजा आजीविका मिशन के तहत उन कामों को छत्तीसगढ़ में पूरजोर बढ़ावा भी मिला । महिला हो या पुरुष जो जिस भी विधा में पारंगत था, वो उसी दिशा में स्वरोजगार की तरफ आगे बढ़ा, तो उसका परिणाम बालोद के कई विकासखंड में मजबूत आर्थिक उन्नति के रूप दिखने लगा। जिले के डौंडी, गुंडरदेही, डौंडीलोहारा, बालोद और गुरूर जैसे क्षेत्रों ने महिलाओं ने विकास का ऐसा मॉडल तैयार किया है, जो पूरे प्रदेश के लिए एक सीख है।

आज इस इलाके में वर्मी कम्पोस्ट, चैनलिंक फेंसिंग, केन्टीन, एलोवेरा उत्पादन, गेन्दा फूल उत्पादन, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, सिलाई, दोना पत्तल, कैरी बेग, गोबर से दीया निर्माण, कुक्कुट पालन, किराना दुकान, ब्युटी पार्लर, मोबाईल दुकान, टेंट हाउस, धान से आभूषण, राशन दुकान जैसी गतिविधियां महिलाएं संचालित कर रही है और उससे अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा रही है।

बालोद कलेक्टर रानू साहू का कहना है

मुख्यमंत्री जी की हमेशा से महिला स्वाबलंबन को लेकर दूरदर्शी सोच रही है, बिहान योजना उसी सोच को साकार करने का माध्यम है। हमने जिलों में उन महिलाओं का समूह तैयार किया, जो हुनरमंद भी थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। हमने उन महिलाओं को ना सिर्फ प्रशिक्षण की व्यवस्था करायी, बल्कि उन्हें आर्थिक सहायता के साथ-साथ रोजगार और बाजार भी मुहैय्या कराया। ….और इसका परिणाम दिख रहा है। गुंडरदेही के पैरी ग्राम पंचायत की “धनधान्य लक्ष्मी स्व-सहायता समूह” और खुरसुनी ग्राम पंचायत का जगदम्बा स्व-सहायता समूह के जरिये महिलाएं काफी बेहतर काम कर रही है। महिलाओं की आय भी काफी अच्छी हो रही है और सबसे अच्छी बात ये है कि वो ये काम अपने घर के काम के साथ कर रही है। जिला प्रशासन कोशिश कर रहा है कि महिलाओं के ऐसे समूह का जिलों में और भी विस्तार किया जाये। ताकि महिलाओं को आगे लाया जा सके, उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया जा सके।

बालोद जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा है कि .

“ये महिलाएं वाकई में बेहद शानदार काम कर रही हैं, आत्मनिर्भरता और स्वाबलंबन की ये अलग पहचान प्रदेश में बन चुकी हैं। हालांकि शुरुआत में इन महिलाओं को समझाने में थोड़ी दिक्कत आयी, लेकिन जब उन्होंने मुख्यमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना बिहान के बारे में जानकारी हुई और उन्हें लगा कि इससे अच्छा खासा उन्हें मुनाफ हो सकता है, तो वो जी जान से इसमें जुट गयी। आज महिलाएं प्रति महीने 10 हजार से ज्यादा घर बैठे कमा रही है, हालांकि इनके उत्पादित सामान को और बाजार मिले, इसकी कोशिश जिला प्रशासन कर रहा है। अभी राजधानी के दो मॉलों में इनका सामान बिक रहा है, लेकिन अब कोशिश की जा रही है कि इसका बिस्तार हो, ताकि इस परंपरा को बड़ा बाजार और शोहरत मिल सके और इनता फायदा भी बढ़ सके”

“धनधान्य लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आज पूरा गांव बड़े सम्मान के साथ देखता है। समूह की अध्यक्ष देशीला साहू बताती है कि हम सभी चाहती थी कि हम भी परिवार को आर्थिक रूप से मदद करें, पर हमारे सामने सबसे बड़ा प्रशन यह था कि ग्रामीण महिलाओं पर विभिन्न बंधन के बीच यह कैसे सम्भव होगा। तभी मुख्मंत्री मुख्यमंत्री की बिहान योजना की जानकारी हुई। इस योजना के तहत गांव की महिलाओं हस्तशिल्प विकासबोर्ड से तीन माह का धान की बालियों से आभूषण बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद हमारी पूरी दुनिया बदल गयी। मुख्यमंत्री जी की इस योजना के जरिये हमारा स्वरोजगार राज्य भर में मशहूर हो गया। राज्य सरकार की तरफ से हमें प्रर्याप्त सुविधा और प्रशिक्षण की व्यवस्था करायी गयी। जिसका नतीजा ये है कि हमारा आभूषण आज ‘‘बिहान बाजार’’ के माध्यम से रायपुर के अंबुजा एवं मैग्नेटो मॉल में बेचा जा रहा है। इस आभूषण से हम करीब सवा लाख रुपये से ज्यादा कमा चुके हैं”

‘‘स्थानीय व्यंजनों का जायका -बिहान कैन्टीन’’

देशीला और उसकी टीम का आभूषण जिस तरह से चर्चित है उसी तरह गुंडरदेही के खुरसुनी ग्राम पंचायत का जगदम्बा स्व-सहायता समूह अपने जायके के लिए उतना ही मशहूर है। यहां महिलाओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बिहान योजना के जरिये ग्रामीण जायकों को घर-घर में पहुंचाकर उसे पूरे प्रदेश में मशहूर बना दिया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘‘बिहान’’ के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को विभिन्न स्वरोजगार मूलक गतिविधियों से जोड़कर आर्थिक रूप से इस कदर खुद को सशक्त कर लिया है कि यहां महिलाओं ने कमाई में गांव के कई पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया है। जनपद पंचायत गुंडरदेही परिसर बिहान कैन्टीन प्रांरभ किया गया है। जहां उनके द्वारा विभिन्न स्वादिष्ट भोजन के अतिरिक्त स्थानीय व्यंजन यथा-चीला, चैसेला, खुर्मी, ठेठरी, अरसा आदि भी बनाया जाता है।

समूह की अध्यक्ष संतोषी साहू बताती है कि यह कार्य हमारे जीविकोपार्जन का मुख्य आधार बन गया है। इस कैन्टीन के माध्यम से अब तक 1.50 लाख रू. अर्जित कर लिया गया है साथ ही हमारे द्वारा प्रति माह 20000 से 25000 रू. तक की आमदनी उक्त व्यवसाय से प्राप्त हो रही है। जिला कार्यालय बालोद में भी अन्नपूर्णा स्व-सहायता समूह झलमला द्वारा बिहान कैंटीन का संचालन किया जा रहा है जिसकी मासिक आय 30 से 40 हजार रूपये है। उक्त कैंटीन की सफलता को देखते हुए जिले के अन्य विकासखंडों में भी कैंटीन संचालन हेतु स्व-सहायता समूहों का चयन कर लिया गया है तथा आगामी दिवसों में शीघ्र प्रारंभ कर लिया जावेगा।

जिला पंचायत सीईओ लोकेंद्र चंद्राकर भी इन महिलाओं के पाक कला के मुरीद हैं…वो बताते हैं कि

“वाकई में इन महिलाओं के खाने का स्वाद लाजवाब हैं, पहले छोटे से स्तर पर इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन अब इसका विस्तार हो रहा है, लोग भी कैंटीन में आ रहे हैं, कई लोग से बाहर से सिर्फ इसी विहान में नाश्ता-खाना का स्वाद लेने पहुंच रहे हैं। कई बड़े अधिकारी भी इस कैंटीन के स्वाद और पारंपरिक व्यंजन के कायल हैं, यहां से पार्सल भी कई लोग ले जाते हैं, ये महिलाओं के स्वाबलंबन का बड़ा जरिया है इससे महिलाओं को 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह का फायदा भी हो रहा है”

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