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देह व्यापार अपराध नहीं, किसी भी वयस्क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकार….. हाईकोर्ट ने जिस्मफरोशी में छुड़ायी लड़कियों ने छोड़ने का भी दिया आदेश

देह व्यापार अपराध नहीं, किसी भी वयस्क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकार….. हाईकोर्ट ने जिस्मफरोशी में छुड़ायी लड़कियों ने छोड़ने का भी दिया आदेश
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By NPG News

मुंबई 27 सितंबर 2020। बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि वेश्‍यावृत्ति कानूनन जुर्म नहीं है, न ही यह दंडनीय अपराध है लेकिन सार्वजनिक जगहों पर ऐसा करना जुर्म है। हाई कोर्ट ने लोअर कोर्ट के उन आदेशों को पलट दिया जिनमें तीन महिलाओं को एक साल से सुधारगृहों में रख गया था। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि तीनों को जल्‍द रिहा किया जाए।पिछले साल मलाड के एक गेस्‍ट हाउस से तीन महिलाओं को पुलिस ने पकड़ा था। इन तीनों को पीड़‍ित बताते हुए एक दलाल को भी पकड़ा और देह व्‍यापार रोकथाम अधिनियम के तहत इन पर केस दर्ज किया था।

जस्टिस पृथ्‍वीराज चव्‍हाण ने गुरुवार को दिए आदेश में कहा, ‘कानून के तहत व्यवसायिक उद्देश्य के लिए यौन शोषण करना या सार्वजनिक जगह पर अशोभनीय हरकत को अपराध माना गया है।’ कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि व्‍यस्‍क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकार है। उसे उसकी सहमित के बिना सुधारगृह में नहीं रखा जा सकता।

2019 में छुड़ाई गई थी तीनों युवतियां

मुंबई पुलिस की समाज सेवा शाखा ने सितंबर 2019 में तीनों युवतियों को छुड़ाया था। इसके बाद इन्हें सुधारगृह में भेज दिया था। कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों को देखने के बाद इन तीनों युवतियों को इनकी माताओं को सौंपने से भी इनकार कर दिया था और इन्हें प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश भेजने का निर्देश दिया था। निचली अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया था कि ये तीनों युवतियां ऐसे समुदाय से हैं जहां देह व्यापार इनकी वर्षों पुरानी परंपरा है।

निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ तीनों युवतियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि तीनों युवतियां बालिग हैं। उन्हें अपनी पसंद की जगह रहने व पेशा चुनने का अधिकार है। न्यायमूर्ति ने कहा कि इन तीनों युवतियों को हिरासत में भेजने से पहले युवतियों की इच्छा को जानना चाहिए था। न्यायमूर्ति ने निचली अदालत के दोनों आदेश को निरस्त कर दिया और तीनों युवतियों को सुधारगृह से मुक्त करने का निर्देश दिया।

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