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Sanchar Saathi App: सरकार ने संचार साथी ऐप Mandatory रूल पर क्यों लिया यू-टर्न,? जानिए सरकार की मजबूरी

Sanchar Saathi App Mandatory Order Withdrawn: मोदी सरकार ने बुधवार को वह आदेश वापस ले लिया, जिसमें भारत में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोनों में Sanchar Saathi साइबर सिक्योरिटी ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य किया गया था।

Sanchar Saathi App: सरकार ने संचार साथी ऐप Mandatory रूल पर क्यों लिया यू-टर्न,? जानिए सरकार की मजबूरी
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By Ragib Asim

नई दिल्ली | मोदी सरकार ने बुधवार को वह आदेश वापस ले लिया जिसमें भारत में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोनों में Sanchar Saathi साइबर सिक्योरिटी ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य किया गया था। दूरसंचार विभाग (DoT) के इस फैसले के बाद अब मोबाइल कंपनियों पर यह बाध्यता नहीं रहेगी कि वे हर हैंडसेट में इस सरकारी ऐप को पहले से इंस्टॉल करें। सरकार ने यह कदम उद्योग जगत की आपत्तियों, डेटा प्राइवेसी को लेकर उठे सवालों, स्मार्टफोन में ब्लोटवेयर बढ़ने की चिंता और उपभोक्ताओं की पसंद को ध्यान में रखते हुए उठाया है।

क्या है Sanchar Saathi ऐप और सरकार इसे क्यों जरूरी मानती थी?

Sanchar Saathi ऐप और पोर्टल दूरसंचार विभाग की एक आधिकारिक सॉफ्टवेयर है जिसका मकसद मोबाइल यूजर्स को साइबर फ्रॉड और टेलीकॉम से जुड़े अपराधों से सुरक्षा देना है। इस ऐप के जरिए यूजर अपने चोरी या खोए हुए मोबाइल को ब्लॉक और ट्रैक कर सकता है, अपने नाम पर जारी फर्ज़ी या एक्स्ट्रा सिम कनेक्शन की जांच कर सकता है, KYC से जुड़ी जानकारी सत्यापित कर सकता है और फ्रॉड कॉल या डिजिटल ठगी की रिपोर्ट कर सकता है। सरकार का दावा है कि इस प्लेटफॉर्म से अब तक लाखों फोन ब्लॉक किए गए हैं और करोड़ों मोबाइल कनेक्शनों की जांच हो चुकी है, जिससे साइबर अपराध पर नियंत्रण संभव हुआ है।

विवाद कैसे शुरू हुआ और किन वजहों से बढ़ा दबाव?

DoT ने जब यह निर्देश जारी किया कि सभी स्मार्टफोन कंपनियां भारत में बिकने वाले हर नए फोन में Sanchar Saathi को डिफॉल्ट सिस्टम ऐप के तौर पर प्री-इंस्टॉल करें, तभी से विवाद शुरू हो गया था। सबसे बड़ा सवाल डेटा प्राइवेसी को लेकर उठा। टेक एक्सपर्ट्स और उपभोक्ता संगठनों ने आशंका जताई कि किसी सरकारी ऐप को अनिवार्य करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता और डिजिटल निजता पर सीधा असर डाल सकता है। दूसरी बड़ी आपत्ति ब्लोटवेयर को लेकर थी, क्योंकि प्री-इंस्टॉल सिस्टम ऐप्स को आम यूजर हटाने में सक्षम नहीं होता, जिससे फोन की मेमोरी, परफॉर्मेंस और यूजर एक्सपीरियंस प्रभावित होता है। इसके अलावा, स्मार्टफोन निर्माताओं और उद्योग संगठनों ने नीति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए और कहा कि इतने बड़े फैसले से पहले उनसे पर्याप्त परामर्श नहीं किया गया।

सरकार ने आदेश वापस लेते हुए क्या कहा?

तेज़ होते विरोध और तकनीकी हलकों में बढ़ती असहजता के बाद सरकार ने आदेश वापस ले लिया। DoT ने स्पष्ट किया कि अब Sanchar Saathi ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य नहीं होगा और यूजर इसे अपनी मर्जी से Play Store या App Store से डाउनलोड कर सकेंगे। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सरकार को यह भी महसूस हुआ कि प्राइवेसी से जुड़े मुद्दों का स्पष्ट समाधान किए बिना इस तरह का आदेश लागू करना व्यावहारिक नहीं है। साथ ही, ‘वन-साइज़-फिट्स-ऑल’ मॉडल सभी स्मार्टफोन ब्रांड्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स के लिए तकनीकी रूप से उपयुक्त नहीं माना गया।

इस फैसले से कंपनियों और उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?

अब मोबाइल कंपनियों को किसी भी सरकारी ऐप को मजबूरी में फोन में पहले से डालना नहीं होगा, जिससे उन्हें अपने सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम को अधिक लचीले ढंग से डिजाइन करने की आज़ादी मिलेगी। वहीं उपभोक्ताओं को भी यह अधिकार मिलेगा कि वे अपनी जरूरत के हिसाब से Sanchar Saathi जैसे सुरक्षा ऐप को डाउनलोड करें या न करें। सरकार अब इस ऐप को अनिवार्य टूल के बजाय एक वॉलंटरी साइबर सेफ्टी प्लेटफॉर्म के रूप में प्रमोट करेगी। सूत्रों का कहना है कि भविष्य में सरकार कंपनियों के साथ मिलकर सुरक्षा फीचर्स को सिस्टम लेवल पर इंटीग्रेट करने के विकल्पों पर दोबारा विचार कर सकती है।

डिजिटल पॉलिसी के लिहाज से यह फैसला क्यों अहम है?

Sanchar Saathi ऐप सुरक्षा के लिहाज़ से उपयोगी साबित हुआ है लेकिन इसे अनिवार्य बनाना प्राइवेसी, टेक नीति और उपभोक्ता अधिकारों से जुड़े बड़े सवाल खड़े कर रहा था। आदेश को वापस लेना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि अब सरकार डिजिटल गवर्नेंस में उपभोक्ता विकल्प, पारदर्शिता और उद्योग की भागीदारी को ज्यादा अहमियत दे रही है। यह फैसला आने वाले समय में भारत की साइबर पॉलिसी और डेटा गवर्नेंस के ढांचे को भी प्रभावित कर सकता है।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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