Google को कोर्ट का बड़ा आदेश: अब प्रतिद्वंदियों के साथ शेयर करें अपना सीक्रेट डेटा, जानिये क्या है पूरा विवाद
टेक दिग्गज कंपनी गूगल को अब क्रोम वेब ब्राउजर को बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। अमेरिकी संघीय न्यायाधीश अमित मेहता ने यह फैसला सुनाया है।

नई दिल्ली। अमेरिकी अदालत ने टेक दिग्गज कंपनी Google को एक बड़े एंटीट्रस्ट केस में राहत दी है। पहले ऐसी खबरें थीं कि Google को अपना क्रोम ब्राउज़र बेचना पड़ सकता है, लेकिन अब कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है। हालाँकि, कोर्ट ने एक सख्त शर्त रखी है: Google को अब अपने प्रतिद्वंदियों के साथ सर्च डेटा शेयर करना होगा, ताकि बाज़ार में सही प्रतिस्पर्धा बनी रहे।
पूरा मामला क्या है?
यह पूरा मामला पिछले साल शुरू हुआ था, जब Google पर आरोप लगा था कि उसने ऑनलाइन सर्च बाज़ार में अपना अवैध एकाधिकार बना लिया है। अभियोजकों का कहना था कि Google ने Apple और Samsung जैसी कंपनियों को अरबों डॉलर दिए ताकि उनके डिवाइस पर Google डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन रहे। इसी वजह से Google अमेरिका के 90% सर्च बाज़ार पर कब्ज़ा करने में कामयाब हो गया था।
कोर्ट का क्या फैसला आया?
अमेरिकी जज अमित मेहता ने बीते मंगलवार (2 सितंबर) को फैसला सुनाते हुए कहा कि Google को क्रोम ब्राउज़र या एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम बेचने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने अभियोजकों की इस मांग को अतिशयोक्ति बताया। हालांकि, कोर्ट ने यह ज़रूर कहा कि Google अब Apple जैसे डिवाइस निर्माताओं के साथ कोई विशेष समझौता नहीं कर पाएगा, जिसमें वह अपने सर्च इंजन को डिफ़ॉल्ट बनाने के लिए भारी-भरकम भुगतान करता था।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, Google को अब अपने सर्च इंजन का डेटा और जानकारी अपने प्रतिद्वंदियों के साथ भी साझा करनी होगी। यह डेटा शेयरिंग इसलिए ज़रूरी है ताकि Bing या DuckDuckGo जैसी छोटी कंपनियां भी Google से मुकाबला कर सकें।
इस फैसले का क्या मतलब है?
Google के लिए राहत: कंपनी को अपना सबसे बड़ा और लोकप्रिय ब्राउज़र (Chrome) और ऑपरेटिंग सिस्टम (Android) नहीं बेचना पड़ेगा।
प्रतिस्पर्धियों के लिए मौका: अब छोटी कंपनियों को भी Google के डेटा तक पहुँच मिलेगी, जिससे वे अपने सर्च इंजन को बेहतर बना पाएँगी।
निवेशकों की खुशी: इस फैसले के बाद Google के शेयरों में उछाल आया, क्योंकि निवेशकों ने इसे कंपनी के पक्ष में माना।
इस फैसले पर कुछ संगठनों ने निराशा भी जताई है। अमेरिकन इकोनॉमिक लिबर्टीज प्रोजेक्ट जैसे समूहों का कहना है कि एकाधिकार का दोषी होने के बाद भी Google पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। आने वाले समय में, Google को ऑनलाइन विज्ञापन से जुड़े एक और मामले का सामना करना पड़ सकता है।
