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ई-स्कूटर से दुर्घटनाओं के मामले बढ़े: शोध में खुलासा, बच्चों और किशोरों में चोट लगने की संख्या में 71 प्रतिशत की वृद्धि

ई-स्कूटर से दुर्घटनाओं के मामले बढ़े: शोध में खुलासा, बच्चों और किशोरों में चोट लगने की संख्या में 71 प्रतिशत की वृद्धि
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By Sandeep Kumar

नईदिल्ली। इलेक्ट्रिक स्कूटर तेजी से परिवहन का लोकप्रिय साधन बनते जा रहे हैं। एक शोध से यह बात सामने आई है कि हेलमेट का प्रयोग न करने से 18 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों और किशोरों में चोट लगने की संख्या में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

दो साल की अध्ययन अवधि में अमेरिकी आपातकालीन विभागों ने बाल चिकित्सा आबादी के भीतर ई-स्कूटर से संबंधित 13,557 चोटों की सूचना दी।

चोटों की संख्या 2020 में 5,012 से 71 प्रतिशत बढ़ गई, जबकि 2021 में यह 8,545 थी। इन दुर्घटनाओं में सबसे आम प्राथमिक निदान फ्रैक्चर था, और इसमें सिर पर ज्‍यादा चोटें देखने को मिली।

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिकल छात्रा राधिका गुप्ता ने कहा, ''चूंकि अधिक से अधिक बच्चे और किशोर इलेक्ट्रिक स्कूटर का उपयोग करने लगे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि चिकित्सक, नीति निर्माता और शोधकर्ता सुरक्षित सवारी प्रथाओं और उचित बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए मिलकर काम करें जैसे कि सवारी के दौरान हेलमेट के उपयोग को लागू करना और अधिक बाइक और स्कूटर लेन की स्थापना करना।''

जिन मामलों में हेलमेट का उपयोग बताया गया, उनमें से केवल 32 प्रतिशत ने चोट के समय हेलमेट पहनने की सूचना दी। शोध में बताया गया कि सिर की चोट वाले मरीजों में लगभग 67 प्रतिशत ने चोट के समय हेलमेट नहीं पहना था।

राधिका गुप्ता ने कहा, ''इसके अतिरिक्त सभी मामलों में से लगभग 15 प्रतिशत में मोटर वाहन की भागीदारी का उल्लेख किया गया है और लगभग 10 प्रतिशत मामलों में जमीन या गड्ढों जैसी बाधाओं से टकराने का उल्लेख किया गया है। चूंकि, अधिक से अधिक बच्चे और किशोर इलेक्ट्रिक स्कूटर का उपयोग करने लगे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि चिकित्सक, नीति निर्माता और शोधकर्ता सुरक्षित सवारी प्रथाओं और उचित बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए मिलकर काम करें।''

'2023 एएपी राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी' में प्रस्तुत शोध में पाया गया कि ज्यादातर चोटें किशोरों को लगीं। पेपर के वरिष्ठ लेखक और फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक सर्जन टॉड लॉरेंस ने कहा, ''यह शोध ई-स्कूटर सवारों के बीच हेलमेट के उपयोग को बढ़ावा देने और मोटर वाहन चालकों को सुरक्षित दूरी बनाए रखने के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।''

शोध में कहा गया, ''परिवहन के लागत प्रभावी पर्यावरण अनुकूल साधन के रूप में साझा माइक्रोमोबिलिटी विकल्प तेजी से विस्तार कर रहे हैं। चूंकि, इनमें से कई स्कूटर वयस्कों के लिए बनाए गए हैं। ई स्कूटर से होने वाली दुर्घटनाओं बाद से जांच नहीं की गई है।''

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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