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बड़ी खबर: अब AI के इस्तेमाल पर बनेगा सख्त नियम; फोलो करने होंगे ये रूल्स, नहीं तो जाना पड़ सकता है जेल

AI के खिलाफ सख्त नियम बनाने की मांग उठ रही है, ताकि इसके खतरनाक इस्तेमाल को रोका जा सके..

बड़ी खबर: अब AI के इस्तेमाल पर बनेगा सख्त नियम; फोलो करने होंगे ये रूल्स, नहीं तो जाना पड़ सकता है जेल
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(NPG FILE PHOTO)

By Ashish Kumar Goswami

नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI ने हाल के दिनों में जितनी तारीफें बटोरी हैं, उतनी ही चिंता भी बढ़ाई है। एक तरफ इसके जरिए काम आसान हो रहे हैं, नई खोजें हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके दुरुपयोग से समाज पर खतरे मंडराने लगे हैं। इसी को लेकर न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र की हाई लेवल वीक में दुनिया भर के 200 से ज्यादा नेताओं, वैज्ञानिकों और नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने AI पर सख्त नियम बनाने की मांग की है।

इस मांग को ‘ग्लोबल कॉल फॉर AI रेड लाइन्स’ नाम से पेश किया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि, 2026 तक सभी देशों को मिलकर ऐसे नियम बनाने चाहिए, जो तय करें कि, AI का इस्तेमाल कहां तक किया जा सकता है। इस फैसले पर AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने भी हामी भरी, इसके पहले भी उन्होंने AI के खतरों को लेकर चेतावनी दी थी। इस बार उन्होंने साफ कहा कि, अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो आगे चलकर AI मानवता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

ये सभी दिग्गज रहे शामिल

इसके अलावा नोबेल विजेता जेनिफर डाउडना, डैरन एसेमोग्लू और जियोर्जियो पारिसीने भी इस मांग के समर्थन में हैं। लेखक युवाल नोआ हरारी ने भी कहा कि, AI अगर बेकाबू हो गया, तो यह हमारी सोच, स्वतंत्रता और मानव अधिकारों को खत्म कर सकता है।

AI से जुड़ी बड़ी चिंताएं

AI के बढ़ते इस्तेमाल से कई तरह के खतरे सामने आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि, अगर इसे कंट्रोल नहीं किया गया, तो बेरोजगारी बढ़ सकती है, बच्चों पर मानसिक असर पड़ सकता है और यहां तक कि महामारी जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि, किशोर बच्चों में AI चैटबॉट्स और नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की वजह से आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। साथ ही, AI का इस्तेमाल हथियार बनाने, फेक न्यूज फैलाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन में भी हो रहा है।

दुनिया भर की सरकारों से अपील

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया रेसा ने इस स्टेटमेंट को पेश करते हुए कहा कि, अब वक्त आ गया है कि दुनिया की सरकारें मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय समझौता करें। इसमें यह तय किया जाए कि, AI का इस्तेमाल किन चीजों के लिए किया जा सकता है और किन चीजों के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि, AI की रफ्तार बहुत तेज है, लेकिन अगर हम मिलकर इसके लिए नियम बना लें, तो इसका फायदा भी उठा सकते हैं और नुकसान से भी बच सकते हैं।

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