अब AI तकनीक से जन्म लेगी गाय: MP में पशुपालकों को इतना सब्सिडी देगी सरकार, जानें क्या है ट्रिपल एस टेक्नोलॉजी?
राजधानी भोपाल स्थित केंद्रीय वीर्य स्टेशन में फिलहाल 2 लाख सेक्स सॉर्टेड सीमन तैयार किए गए हैं, इसके माध्यम से नस्ल को सुधारने में मदद मिलेगी। यह खबर पशुपालकों और किसानों के लिए बहुत अच्छी है। आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करता है।

भोपाल। आज की दुनिया में तकनीक हर जगह अपनी जगह बना रही है, और अब यह हमारे पशुपालन के तरीके को भी बदल रही है। मध्य प्रदेश में दूध उत्पादन बढ़ाने और गायों की नस्ल सुधारने के लिए एक नई और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब Artificial Intelligence (AI) और एक खास तकनीक की मदद से सिर्फ बछिया पैदा होंगी, बछड़े नहीं। मध्य प्रदेश ऐसा करने वाला उत्तराखंड के बाद भारत का दूसरा राज्य बन गया है।
क्या है यह खास तकनीक?
इस तकनीक को सेक्स सॉर्टेड सीमन (Sex Sorted Semen - SSS) कहते हैं। जैसा कि हम जानते हैं, नर पशु के वीर्य में दो तरह के क्रोमोसोम होते हैं - 'X' और 'Y'। 'X' क्रोमोसोम से मादा (बछिया) और 'Y' क्रोमोसोम से नर (बछड़ा) पैदा होता है। सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करके वीर्य से 'Y' क्रोमोसोम को हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद जो सीमन बचता है, उसमें सिर्फ 'X' क्रोमोसोम होते हैं। जब इस सीमन को गाय के गर्भाशय में डाला जाता है, तो 90 से 95 प्रतिशत मामलों में सिर्फ बछिया ही पैदा होती हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा लक्ष्य रखा है। अगले 5 सालों में, वे 25 लाख सेक्स सॉर्टेड सीमन तैयार करना चाहते हैं। फिलहाल, भोपाल में स्थित केंद्रीय वीर्य स्टेशन में 2 लाख सीमन तैयार किए गए हैं।
क्यों है यह तकनीक फायदेमंद?
गाय पालन करने वाले किसानों और पशुपालकों के लिए यह तकनीक बहुत काम की है। इसके कुछ मुख्य फायदे इस तरह हैं:
दूध उत्पादन में बढ़ोतरी: दूध सिर्फ गाय ही देती है, बछड़े नहीं। इस तकनीक से जब ज़्यादातर बछिया पैदा होंगी, तो आने वाले समय में दूध देने वाली गायों की संख्या बढ़ेगी। इससे मध्य प्रदेश में दूध का उत्पादन काफी बढ़ जाएगा। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश को एक दिन में 50 लाख लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य दिया है, और यह तकनीक इस लक्ष्य को पूरा करने में बहुत मददगार साबित होगी।
नस्ल सुधार: यह तकनीक सिर्फ बछिया पैदा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे अच्छी नस्ल वाली गायों की संख्या भी बढ़ेगी। इससे दूध की क्वालिटी और मात्रा दोनों में सुधार होगा।
लागत में कमी: बछड़ों की तुलना में बछियों को पालना ज़्यादा फायदेमंद है क्योंकि वे आगे चलकर दूध देती हैं। इससे किसानों का खर्च भी कम होगा और उनकी कमाई बढ़ेगी।
सब्सिडी और सरकार की मदद
मध्य प्रदेश सरकार ने इस योजना को और भी सफल बनाने के लिए भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, जो किसान बड़े स्तर पर डेयरी फार्मिंग करना चाहते हैं, उन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी।
25 दुधारू पशुओं की यूनिट लगाने के लिए सरकार 42 लाख रुपये तक का लोन देगी।
SC-ST वर्ग के किसानों को लगभग 14 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी।
सामान्य और OBC वर्ग के किसानों को लगभग 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी।
यह योजना उन किसानों के लिए एक बड़ा मौका है जो डेयरी क्षेत्र में अपना काम बढ़ाना चाहते हैं।
तकनीक की मदद से पशुपालन के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है। इससे न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी। यह दिखाता है कि कैसे AI और अन्य आधुनिक तकनीकें हमारे पारंपरिक कामों में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।
