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32-bit Microprocessor ‘Vikram’ Launch: भारत ने लॉन्च किया पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘Vikram-32’, अंतरिक्ष व रक्षा तकनीक में ऐतिहासिक छलांग

32-bit Microprocessor ‘Vikram’ Launch: भारत ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। देश का पहला पूरी तरह से स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘Vikram-32’ लॉन्च किया गया है। इस उपलब्धि ने न केवल भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को नई दिशा दी है बल्कि यह कदम भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर प्रतिस्पर्धा में भी एक मजबूत स्थान प्रदान करेगा।

32-bit Microprocessor ‘Vikram’ Launch: भारत ने लॉन्च किया पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘Vikram-32’, अंतरिक्ष व रक्षा तकनीक में ऐतिहासिक छलांग
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By Chirag Sahu

32-bit Microprocessor ‘Vikram’ Launch: भारत ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। देश का पहला पूरी तरह से स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘Vikram-32’ लॉन्च किया गया है। इस उपलब्धि ने न केवल भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को नई दिशा दी है बल्कि यह कदम भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर प्रतिस्पर्धा में भी एक मजबूत स्थान प्रदान करेगा।

Vikram-32 के विकास और पृष्ठभूमि की कहानी

Vikram-32 (VIKRAM3201) को इसरो (ISRO) की सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी, चंडीगढ़ में तैयार किया गया और इसका डिजाइन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) द्वारा विकसित किया गया। यह चिप भारत की लंबी रिसर्च और विकास यात्रा का परिणाम है। इससे पहले ISRO ने Vikram-1601 (16-बिट) माइक्रोप्रोसेसर तैयार किया था, जो 2009 से लॉन्च वाहनों में उपयोग हो रहा है। Vikram-32 उसी का उन्नत और आधुनिक संस्करण है।

Vikram-32 की विशेषताएँ और क्षमताएँ

यह माइक्रोप्रोसेसर पूरी तरह 32-बिट आर्किटेक्चर पर आधारित है और इसमें उच्च स्तरीय गणनाओं के लिए floating-point सपोर्ट दिया गया है। साथ ही Ada प्रोग्रामिंग भाषा और robust instruction set architecture (ISA) इसे अंतरिक्ष, रक्षा और एयरोस्पेस जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उपयोग के योग्य बनाता है।

सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह चिप -55°C से 125°C तक के अत्यधिक तापमान को झेल सकती है। इसे विशेष रूप से अंतरिक्ष अभियानों और लॉन्च वाहनों की कठोर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।

अंतरिक्ष में परीक्षण और सफलता

Vikram-32 की विश्वसनीयता को साबित करने के लिए इसे PSLV-C60 मिशन के दौरान POEM-4 मॉड्यूल में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया। इसने मिशन मैनेजमेंट कंप्यूटर के रूप में अपनी भूमिका निभाई और अंतरिक्ष में बेहतरीन प्रदर्शन दिया। यह परीक्षण इस चिप की गुणवत्ता और मजबूती को सिद्ध करता है।

प्रोसेसर का निर्माण और तकनीक

इस प्रोसेसर का निर्माण SCL, मोहाली की 180nm CMOS फैब्रिकेशन यूनिट में किया गया है। यह तकनीक भले ही अत्याधुनिक न हो, लेकिन इसकी परिपक्वता और विश्वसनीयता अंतरिक्ष और रक्षा जैसे मिशन-क्रिटिकल क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसी भरोसे ने भारत को पहली बार पूरी तरह से स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर बनाने में सक्षम बनाया।

राष्ट्रीय महत्व और आत्मनिर्भर भारत

यह उपलब्धि केवल एक तकनीकी प्रगति नहीं है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के अंतर्गत देश ने तीन-ढाई वर्षों में डिजाइन से निर्माण तक की यात्रा पूरी की है। वर्तमान में देश में पाँच सेमीकंडक्टर यूनिट्स पर काम चल रहा है और 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश इस क्षेत्र में हो चुका है।


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