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BEO पर गिरी सस्पेंशन की गाज, अब जल्द गिरफ्तारी की भी अटकलें : स्वीपरों के करोड़ों रुपये हड़पने मामले में सस्पेंड……पहले खुद ही चेक में कांट-छांटकर करोड़ों निकालवाये….भांडा फूटा को दो सफाईकर्मियों को ही भेजवा दिया था जेल…. बीईओ के चौकाने वाले भ्रष्टाचार, सुनकर दंग रह जायेंगे

BEO पर गिरी सस्पेंशन की गाज, अब जल्द गिरफ्तारी की भी अटकलें : स्वीपरों के करोड़ों रुपये हड़पने मामले में सस्पेंड……पहले खुद ही चेक में कांट-छांटकर करोड़ों निकालवाये….भांडा फूटा को दो सफाईकर्मियों को ही भेजवा दिया था जेल…. बीईओ के चौकाने वाले भ्रष्टाचार, सुनकर दंग रह जायेंगे
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By NPG News

रायपुर 16 जनवरी 2020। सफाई कर्मचारियों के पैसे हड़पने वाले बीईओ आखिरकार नप ही गये। राज्य सरकार ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी को सस्पेंड कर दिया है। मामला दो साल पुराना है, लेकिन अब इस मामले में कार्रवाई राज्य सरकार ने की है और BEO के सस्पेंसन आर्डर जारी किया है। जानकार मानते हैं इस मामले में ना सिर्फ सस्पेंशल बल्कि जल्द ही बीईओ को गिरफ्तार भी किया जा सकता है, वहीं मामले में हमराज और संलिप्त सहायक ग्रेड-3 के कर्मचारी पर भी जल्द ही निलंबन और गिरफ्तारी की कार्रवाई हो सकती है।

पूरा प्रकरण समझने के लिए आपको पांच साल पीछे जाना होगा। शिक्षा विभाग ने विकासखंड स्तर स्कूलों में स्वीपर व सफाईकर्मियों की नियुक्ति का आदेश दिया था। सफाईकर्मियों की अंशकालीक नियुक्ति हुई तो बिलासपुर के बिल्हा विकासखंड शिक्षा अधिकारी की लाटरी लग गयी। मानदेय भुगतान के नाम पर बीईओ एमएल पटेल ने करोड़ों के वारे न्यारे शुरू कर दिये।

2015-17 के बीच स्वीपर के मानदेय के नाम पर दो करोड़ 83 लाख रुपये निकाल लिये। कमाल की बात ये है कि इसका भुगतान सफाईकर्मियों को किया ही नहीं गया। दरअसल 2017 में जब ये प्रकरण सामने आया तो एक जांच कमेटी गठित की गयी। जांच कमेटी की रिपोर्ट विभाग को मिलने के बाद ही ये कार्रवाई की गयी है। आरोप है कि शिक्षा विभाग की तरफ से स्वीपरों की नियुक्ति का आदेश बीईओ को दिया गया था, जिनके मानदेय भुगतान के लिए बीईओ को अधिकृत किया गया था। इस अधिकार के बाद बिल्हा के बीईओ ने इसका जमकर बेजा फायदा उठाना शुरू किया। मानदेय के लिए मिले बजट से हर माह पैसे निकाले तो गये, लेकिन वो पैसे स्वीपरों को दिये नहीं गये।

कमाल की बात ये रही कि चेक में कांट-छांट कर कई बार उसमें रकम की बढ़ोत्तरी कर दी गयी। 12 हजार रुपये को 2 लाख 12 हजार कर दिया और पैसे की निकासी कर ली गयी। इस तरह गड़बड़ी के फर्जीवाड़े की रकम पौने तीन करोड़ से ज्यादा हो गया। इस पूरे मामले में बीईओ ने स्वीपरों के नेताओं को अपने पक्ष में मिला लिया और चेक में कांट-छांटकर उनसे ही पैसे का आहरण कराते रहे। लेकिन वो पैसा कार्यरत सफाईकर्मियों को नहीं दिया गया। सफाई कर्मचारी जब भी पैसे की मांग करते, तो उन्हें शासन से पैसे नहीं मिलने की बात कहकर भगा दिया जाता।

साल 2017 में जब इस प्रकरण का भांडाफोड़ हुआ तो बीईओ को पकड़ाने का डर सताने लगा। इसी बीच नई तरकीब लगाते हुए बीईओ ने खुद ही जांच का आदेश दे दिया। हद तो ये हुई कि जिन सफाईकर्मियों से पैसे निकलवाये गये थे, उन्ही दो सफाईकर्मचारी को आरोपी बनाते हुए जेल भेजवा दिया। बाद में जांच आगे बढ़ी तो खुद बीईओ ही पूरे प्रकरण के मास्टर माइंड निकले।

अभी विभाग की तरफ से सिर्फ सस्पेंशन आर्डर जारी किया गया है, जबकि जिस तरह की कारगुजारी इन अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा किया गया है, उससे साफ है कि बीईओ और सहायक ग्रेड के कर्मचारियों को जेल भी जल्द जाना पड़ सकता है।

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