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इलाज में मरीजों से धोखाधड़ी पर “स्टेट एंटी फ्राड यूनिट” अस्पतालों में कसता है शिकंजा…. छह महीने में 40 लाख जुर्माने की हो चुकी है अस्पतालों से वसूली….80 लाख का जारी हो चुका है नोटिस…

इलाज में मरीजों से धोखाधड़ी पर “स्टेट एंटी फ्राड यूनिट” अस्पतालों में कसता है शिकंजा…. छह महीने में 40 लाख जुर्माने की हो चुकी है अस्पतालों से वसूली….80 लाख का जारी हो चुका है नोटिस…
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By NPG News

रायपुर 7 जनवरी 2020। प्रदेश में लंबे समय से चल रहीं उपचार संबंधी योजनाओं के अनुभव का लाभ लेते हुए राज्य नोडल एजेंसी ने स्टेट एन्टी फ्राड यूनिट (साफू) का गठन लगभग छह माह पहले कर लिया था। अस्पतालों द्वारा उपचार के दौरान किये जाने वाले फ्राड (धोखाधड़ी) के खिलाफ कार्यवाही के लिए दिषा-निर्देष तय कर लिये गये हैं। इस प्रावधान के हिसाब से कार्यवाही भी की जा चुकी है।

राज्य सरकार द्वारा संचालित डाॅ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना एवं मुख्यमंत्री विषेष सहायता योजना के लिए स्टेट एन्टी फ्राड यूनिट (साफू) का गठन लगभग छह माह पहले ही किया जा चुका है। यह यूनिट मरीज के साथ होने वाली धोखाधड़ी पर अलग-अलग स्तर पर कार्यवाही कर रही है।

सजा के पैरामीटर

अस्पतालों द्वारा अतिरिक्त राषि लिया जाना, अनावष्यक उपचार देना (राषि के लालच में), बिना जरूरत के उपचार लाभ देना, गुणवत्तायुक्त उपचार न देना यह पाॅच पैरामीटर राज्य नोडल एजेंसी द्वारा तय किये गये है। षिकायत मिलने पर इन पैरामीटरों में परीक्षण कर कार्यवाही की जाती है।

चालीस लाख वसूल, अस्सी लाख का नोटिस

तय पैरामीटरों के तहत् कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है। अभी तक तय दिषा-निर्देष के विरूद्ध काम करने वाले छह अस्पतलों के खिलाफ अर्थदण्ड कर राषि भी वसूल की जा चुकी है। इन अस्पतालों ने 40 लाख रूपये से अधिक राषि राज्य नोडल एजेंसी के खाते में जमा भी करा दी है। इसके अलावा दो दन्त चिकित्सालयों को 80 लाख रूपये राषि जमा करने के लिए नोटिस भेजा जा चुका है। गलती पाये जाने पर छह अस्पतालों को निलंबित किया गया और तीन को अपील करने पर सुनवाई के बाद फिर से योजनाओं में काम करने का मौका दिया गया है। महासमुन्द जिले में स्थित एक अस्पताल को योजनाओं से बर्खास्त किया जा चुका है।

अर्थदण्ड, निलंबन, बर्खास्तगी का प्रावधान

मरीजों के साथ अलग-अलग मापदण्डों में धोखाधडी करने वाले अस्पतालों के विरूद्ध नियमों के अनुसार कार्यवाही के अलग-अलग प्रावधान है। तय नियमों के अनुसार परिस्थतियाॅ देखकर तकनीकि समिति से विचार-विमर्ष कर अर्थदण्ड, निलंबन और बर्खास्तगी भी की जाती है। कई स्थितियों में अनुबंधित अस्पतालों को ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकता है।

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