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PR Sreejesh Biography in Hindi: जानिए श्रीजेश भारतीय हॉकी गोलकीपर का जीवन परिचय, श्रीजेश की बायोग्राफी, उम्र, जीवनी, परिवार और व्यवसाय

PR Sreejesh: श्रीजेश परट्टू रवींद्रन वर्तमान भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर हैं जो हॉकी के क्षेत्र में अपने असाधारण कौशल, दृढ़ संकल्प के कारण 2011 से भारतीय हॉकी टीम का मुख्य आधार हैं। उन्होंने कई बार महत्वपूर्ण समय पर अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारतीय हॉकी टीम को संकट से उबारा है और इसी वजह से उन्हें भारतीय हॉकी टीम की दीवार (THE WALL OF INDIAN HOCKEY) भी कहा जाता है।

PR Sreejesh Biography in Hindi: जानिए श्रीजेश भारतीय हॉकी गोलकीपर का जीवन परिचय, श्रीजेश की बायोग्राफी, उम्र,  जीवनी, परिवार और व्यवसाय
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By Anil

PR Sreejesh: श्रीजेश परट्टू रवींद्रन वर्तमान भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर हैं जो हॉकी के क्षेत्र में अपने असाधारण कौशल, दृढ़ संकल्प के कारण 2011 से भारतीय हॉकी टीम का मुख्य आधार हैं। उन्होंने कई बार महत्वपूर्ण समय पर अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारतीय हॉकी टीम को संकट से उबारा है और इसी वजह से उन्हें भारतीय हॉकी टीम की दीवार (THE WALL OF INDIAN HOCKEY) भी कहा जाता है। श्रीजेश ने दिनांक 1 जून 2023 तक भारत के लिए 284 मैच खेलें हैं।

प्रारंभिक जीवन

8 मई, 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले के कीज़हैककंबलम गाँव में एक मलयाली किसान परिवार में जन्मे श्रीजेश की दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर बनने की यात्रा कड़ी मेहनत और समर्पण की एक प्रेरक कहानी है। उनकी माता श्रीमती उषा गृहिणी और पिता श्री पी.वी. रवींद्रन एक साधारण किसान हैं।

कीज़हैककंबलम में अपनी प्राथमिक शिक्षा सेंट एंटनी लोअर प्राइमरी स्कूल और कक्षा 6 सेंट जोसेफ हाई स्कूल के बाद, उन्होंने 12 साल की उम्र में तिरुवनंतपुरम के जी वी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में प्रवेश लिया।

हॉकी गोलकीपर बनने से पहले, उन्होंने लंबी कूद, स्प्रिंट और वॉलीबॉल में भी हाथ आजमाया।

रमेश कोलप्पा जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल के हॉकी कोच जयकुमार की नजर श्रीजेश पर पड़ी और उनकी सलाह पर श्रीजेश हॉकी गोलकीपिंग करने लगे। और यहीं से हॉकी में एक चमकता सितारा उभरा। स्कूल में जय कुमार के साथ रमेश कोलप्पा भी इनके कोच थे ।

उन्होंने श्री नारायण कॉलेज, कोल्लम, केरल से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

खेल जीवन

अंतरराष्ट्रीय

श्रीजेश ने 2004 में पर्थ में जूनियर वर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया। श्रीजेश की प्रतिभा और प्रदर्शन ने जल्द ही चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा और उन्हे 2006 कोलंबो में दक्षिण एशियाई खेलों में सीनियर राष्ट्रीय टीम में शामिल कर लिया गया।

हैदराबाद, भारत में आयोजित जूनियर एशिया कप 2008 में भारत की जीत में उनके असाधारण प्रदर्शन के कारण उन्हें 'टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर' घोषित किया गया था।

इसके बाद वे छह साल तक भारतीय टीम का अनियमित हिस्सा रहे। कभी वह टीम में होते थे और कभी उनको शामिल नहीं किया जाता था । भारतीय टीम के नियमित सदस्य नहीं होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मैदान पर अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया। इस दौरान उन्हें कभी सीनियर गोलकीपर एड्रियन डिसूजा तो कभी भरत छेत्री के साथ ही मौका मिला.

चीन के ऑर्डोस शहर में पाकिस्तान के खिलाफ 2011 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में अपने मैच विजयी प्रदर्शन के बाद से, वह भारतीय हॉकी टीम के नियमित सदस्य रहे हैं।

श्रीजेश ने लंदन में 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में खेला।

इसके बाद भारतीय टीम ने 2013 एशिया कप, इपोह मलेशिया में रजत पदक जीता, उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने एक बार फिर उन्हें 'टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर' का पुरस्कार दिलाया।

2014 के विश्व कप नीदरलैंड में खेलने के बाद, भारतीय हॉकी टीम ने 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में एशियाई खेलों में भाग लिया। वहां पर श्रीजेश के शांत व्यवहार और अपने साथियों को प्रेरित करने की क्षमता ने टीम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्रीजेश ने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में निर्णायक पेनल्टी शूटआउट सहित कई उल्लेखनीय बचावों के साथ अपने कौशल का प्रदर्शन किया और 16 वर्षों के बाद भारत की स्वर्ण पदक जीत में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। टूर्नामेंट में श्रीजेश के चमत्कारी प्रदर्शन ने उन्हें "एशियाई खेलों के हीरो" का खिताब दिलाया और इससे भारतीय हॉकी में उनका दर्जा बढ़ा।

2014 चैंपियंस ट्रॉफी में इनके प्रदर्शन की वजह से इन्हे फिर सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर चुना गया।

2014 में श्रीजेश को सर्वोत्तम पुरुष गोलकीपर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया।

श्रीजेश के यादगार पलों में से एक 2016 रियो ओलंपिक के दौरान आया था, जहाँ पर उन्होंने उप-कप्तान के रूप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया और 36 वर्षों के अंतराल के बाद भारत को क्वार्टर फाइनल तक पहुँचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2018 में चैंपियंस ट्रॉफी में अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें फिर से सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के पुरस्कार से नवाजा गया।

2016 में इन्हे चैंपियंस ट्रॉफी में सरदारा सिंह की जगह भारतीय टीम का कप्तान चुना गया। जहाँ पर हिंदुस्तान ने रजत पदक जीता।

2018 में जकार्ता , इंडोनेशिया एशियाई खेलो में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का सदस्य रहे।

और फिर 2021 जापान टोक्यो ओलंपिक में वो समय आया, जिसका इंतजार हर भारतीय खेल प्रेमी पिछले 41 सालों से कर रहा था, श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने तीसरे स्थान के कड़े मुकाबले में जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीता.

क्लब

वह 2013 से 2015 तक मुंबई मैजिशियन से जुड़े रहे, जिसके लिए उन्हें 38,000 अमेरिकी डॉलर मिले। और फिर 2016 में वह उत्तर प्रदेश विजार्ड्स के लिए खेले। उन्हें 69,000 अमेरिकी डॉलर में खरीदा गया। इन दोनों क्लबों के लिए श्रीजेश ने हॉकी इंडिया लीग में भाग लिया था।

अवार्ड्स

  • भारतीय हॉकी में श्रीजेश के योगदान और खेल में उनकी अपार उपलब्धियों को देखते हुए, भारत सरकार ने 2015 में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • 2017 में भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पद्म श्री प्राप्त किया।
  • 2021 में भारत सरकार ने सर्वोच्च खेल सम्मान प्रमुख ध्यानचंद खेल रत्न से नवाजा।
  • FIH ने श्रीजेश को 2020-21 के लिए सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के FIH प्लेयर ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया है।




भारतीय हॉकी में उनके योगदान के लिए केरल शहर की एक सड़क का नाम "ओलंपियन श्रीजेश रोड" रखा गया है।

विवाद




2016 में मलेशिया में एशियाई चैम्पियनशिप ट्रॉफी जीतने के बाद वापस रास्ते में, एयरएशिया ने जब उनसे हॉकी उपकरण बैग के लिए अतिरिक्त 1500 का शुल्क लिया, जो उन्होंने दावा किया कि जो निर्धारित वजन सीमा के भीतर था। इसके बाद उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से बिल की तस्वीर के साथ ट्वीट किया, "क्या वे मुझसे मेकअप किट ले जाने की उम्मीद कर रहे हैं? अजीब अवधारणा @AirAsia". “are they expecting me to carry makeup kit??.. funny concept @AirAsia”


व्यक्तिगत जीवन



श्रीजेश ने 12 मई 2013 को अपनी लंबे समय की प्रेमिका अनिष्या से शादी की, जो पूर्व लॉन्ग जम्पर और पेशे से आयुर्वेद डॉक्टर हैं।

उनकी 2014 में एक बेटी अनुश्री और 2017 में एक बेटे श्रींश का जन्म हुआ .

वह वर्तमान में मुख्य खेल आयोजक के रूप में केरल सरकार के सामान्य और उच्च शिक्षा विभाग के साथ कार्यरत हैं।

उनकी हाइट 6 फीट है, उनकी आंखों का रंग काला है और उन्होंने अपने बाएं कंधे पर ट्राइबल टैटू बनवाया है।

श्रीजेश मांसाहारी हैं और उन्हें किताबें पढ़ने और खाना बनाने का शौक है।

वर्तमान

आजकल श्रीजेश भारतीय हॉकी टीम के साथ एफआई एच प्रो लीग 2022-23 खेलने के लिए लंदन में हैं . जहाँ पर आज दिनांक २ जून २०२३ को भारत का मुकाबला वर्तमान ओलिमिक विजेता बेल्जियम से है।

मैदान पर उनकी सफलता, उनके विनम्र और जमीन से जुड़े स्वभाव ने उन्हें भारत में हॉकी प्रशंसकों के बीच प्रिय खिलाड़ी बना दिया है। मैदान के बाहर भी श्रीजेश खेलों को बढ़ावा देने और युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं। वह देश भर में हॉकी इंडिया द्वारा आयोजित कोचिंग शिविरों में गोलकीपरों के साथ अपने ज्ञान और अनुभवों को साझा करता करते हैं।

श्रीजेश परट्टू रवींद्रन का एक छोटे से गांव के एक युवा लड़के से दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर बनने तक का सफर उनके जुनून, कड़ी मेहनत और दृढ़ता का प्रमाण है। उनके असाधारण कौशल, नेतृत्व के गुण और भारतीय हॉकी में योगदान ने उन्हें देश भर के महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए आइकन बना दिया है। उनके मैदान पर उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हे भारत के महानतम गोलकीपरों में से एक के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया है।

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