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MP News: ओलंपिक युवा खिलाड़ियों ने 'अर्जुन अवॉर्ड' लौटाने का लिया फैसला, सरकार पर 'वादा खिलाफी' के लगाए गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश के दो पैरालिंपियन, कपिल परमार और प्राची यादव ने अपने अर्जुन पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। दोनों एथलीटों का कहना है कि राज्य सरकार नौकरी और सहायता के वादे पूरे करने में विफल रही है।

MP News: ओलंपिक युवा खिलाड़ियों ने अर्जुन अवॉर्ड लौटाने का लिया फैसला, सरकार पर वादा खिलाफी के लगाए गंभीर आरोप
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MP News: Olympic youth players decided to return the 'Arjuna Award', made serious allegations against the government of 'breach of promise'

By Ashish Kumar Goswami

भोपाल। मध्यप्रदेश के दो होनहार युवा ओलंपिक खिलाड़ियों ने अपने अर्जुन अवॉर्ड लौटाने का फैसला लिया है। पैरा ओलिंपिक खिलाड़ियों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि, प्रदेश सरकार ने उन्हें सरकारी नौकरी और आर्थिक मदद का वादा किया था, लेकिन यह वादा एक साल बाद भी अधूरा है। दोनों खिलाड़ियों का आरोप है कि, वे लगातार मंत्री और अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है, नौकरी नहीं मिल रही है।

कपिल परमार ने कही ये बात

कपिल परमार जो की पेरिस पैरालिंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट है, ने कहा कि,“सरकार ने एक करोड़ रुपये और गैजेटेड ऑफिसर की नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन एक साल बाद भी कुछ नहीं मिला। नौकरी के चक्कर में मेरी प्रैक्टिस बर्बाद हो रही है।” उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिलने पर गर्व था, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि वे इसे लौटाने को मजबूर हैं। कपिल ने अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए कहा कि, “मेरे पिता ठेले पर चाय बेचते थे, मां घरों में काम करती थीं। दोस्तों और संस्थाओं की मदद से यहां तक पहुंचे। अब नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है।”

आंख का खुद कराया इलाज

इसके आलावा प्राची यादव, जिन्होंने पैरा ओलिंपिक 2022 में गोल्ड मेडल जीता था और विक्रम अवॉर्ड व अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित हुईं थी ने भी, आरोप लगाते हुए कहा कि, पेरिस में रेस के दौरान मेरी आंख का कार्निया ब्लास्ट हो गया था। इलाज के लिए सरकार से मदद मांगी, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। अपनी जेब से इलाज कराया।

उन्होंने बताया कि, सरकार ने उन्हें एक करोड़ रुपये और नौकरी देने का वादा किया था। पीडब्ल्यूडी में क्लर्क की नौकरी ऑफर की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकराकर बेहतर पद की मांग की थी। सरकार ने आश्वासन तो दिया, लेकिन आज तक अमल नहीं किया। उन्होंने बताया कि, अगर OGQ (Olympic Gold Quest) और TOPS (Target Olympic Podium Scheme) जैसी संस्थाओं का साथ नहीं होता, तो वे आज खेल छोड़ चुके होते।

वादाखिलाफी से टूट रहा भरोसा

कपिल और प्राची का कहना है कि, अन्य राज्यों के पैरालिंपिक खिलाड़ी अच्छे पदों पर कार्यरत हैं, जबकि मध्यप्रदेश में खिलाड़ियों को केवल कोरे वादे ही मिलते हैं। लगातार भोपाल में चक्कर लगाने से उनकी लॉस एंजिल्स ओलिंपिक 2028 की तैयारी प्रभावित हो रही है। आपको बता दें कि, यह मामला केवल कपिल और प्राची का नहीं है, बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के लिए चिंता का विषय है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतते हैं और फिर भी सरकारी मदद के लिए तरसते हैं।

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