Begin typing your search above and press return to search.

Athlete Fauja Singh Biography In Hindi: एथलीट फौजा सिंह का निधन: 80 साल की उम्र में शुरू किया था दौड़ना, 100 पार करके भी नहीं थमे, जाने मैराथन के महारथी की कहानी

Athlete Fauja Singh Ka jivan Parichay: एक किसान, एक पिता, एक शोकग्रस्त इंसान और फिर एक धावक फौजा सिंह (Fauja Singh) की कहानी मजह जीवनी नहीं, बल्कि जीवन को जीने की कला है। जिन्हें दुनिया ने प्यार से 'टर्बन टॉरनेडो' (Turban Tornado) भी कहा जाता था, उन्होंने 114 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सोमवार रात जलांधर में सैर करते वक्त एक अज्ञात वाहन की टक्कर से उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनका जीवन हमेशा प्रेरणा का प्रतीक रहेगा।

Athlete Fauja Singh Biography In Hindi: एथलीट फौजा सिंह का निधन: 80 साल की उम्र में शुरू किया था दौड़ना, 100 पार करके भी नहीं थमे, जाने मैराथन के महारथी की कहानी
X
By Chitrsen Sahu

Athlete Fauja Singh Ka jivan Parichay: एक किसान, एक पिता, एक शोकग्रस्त इंसान और फिर एक धावक फौजा सिंह (Fauja Singh) की कहानी मजह जीवनी नहीं, बल्कि जीवन को जीने की कला है। जिन्हें दुनिया ने प्यार से 'टर्बन टॉरनेडो' (Turban Tornado) भी कहा जाता था, उन्होंने 114 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सोमवार रात जलांधर में सैर करते वक्त एक अज्ञात वाहन की टक्कर से उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनका जीवन हमेशा प्रेरणा का प्रतीक रहेगा।

PM मोदी ने जताया शोक

114 साल की उम्र में, जब दुनिया थमती है, फौजा सिंह (Fauja Singh) की कहानी तब भी दौड़ती रहती है। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सहित तमाम हस्तियों ने शोक जताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि फौजा सिंह जी का एक असाधारण व्यक्तितत्व थे जिन्होंने फिटनेस जैसे एक बेहद महत्वपूर्ण विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित करने के अपने अनोखे और जीवनशैली से मिसाल कायम की। वे अद्भुत संकल्प शक्ति वाले एक महान खिलाड़ी थे।

गिरकर फिर खड़े हुए फौजा सिंह

पंजाब के जलांधर जिले के ब्यास पिंड में जन्में फौजा सिंह (Fauja Singh) का जीवन एक आम भारतीय की तरह शुरु हुआ। लेकिन जब उन्होंने 80 की उम्र में दौड़ने का फैसला लिया, तो आम को असाधारण बना दिया। 1990 के दशक में इंग्लैंड गए, लेकिन 1992 में पत्नी और बेटी की मौत और फिर 1994 में बेटे का निधन इन हादसों ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया। दुख ने उन्हें गिराया जरूर, लेकिन उन्होंने इसे ताकत बना लिया। 1995 मं उन्होंने दौड़ने का संकल्प लिया।

सूट-बूट में पहली ट्रेनिंग, फिर दुनिया के रिकॉर्ड तोड़े

फौजा सिंह (Fauja Singh) जब पहली बार ट्रेनिंग के लिए पहुंचे, तो थ्री पीस सूट पहनकर आए। उनके कोच को सबसे पहले उनका पहनावा बदलवाना पड़ा। लेकिन यह शुरुआत थी उस सफर की, जिसने उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज मैराथन धावक बना दिया।

2000 में पहली लंदन मैराथन फिप रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड।

2004 में एडिडास विज्ञापन में डेविड बेकहस और मोहम्मद अली के साथ दिखे।

2011 में 100 साल की उम्र में टोरंटो मैराथन पूरी की।

एक ही दिन में 8 विश्व रिकॉर्ड बनाए

94 की उम्र में ब्रिटेन में 200 मीटर से 300 मीटर की दौड़ों में रिकॉर्ड तोड़े।

2013 में 102वें साल में हॉन्गकॉन्ग मैराथन में 10 किलोमीटर दौड़ पूरी की।

मैराथन से परे एक जीवनदर्शन

फौजा सिंह (Fauja Singh) सिर्फ दौड़ते नहीं थे, वह प्रेरणा की दौड़ थे। उन्होंने दिखाया कि उम्र एक संख्या है, आत्मबल असली ताकत है। उन्होंने दौड़ को शोक से निकलने का साधन बनाया और हजारों लोगों को स्वास्थ्य दृढ़ता और आत्मविश्वास का संदेश दिया। उन्होंने जीवनी (Turbaned Tornado) 2011 में ब्रिटिश हाउस और लॉर्डस में लॉन्च हुई। PETA और ब्रांड लॉरेंट जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सम्मान मिला। लेकिन वे हमेशा विनम्र, सरल और प्रेरक बने रहे।

Next Story