मंत्रिमंडल विस्तार में सीएम शिवराज को झटका, 28 में से अधिकांश सिंधिया या नरोत्तम मिश्रा समर्थक, शिवराज का विष पीने वाला दर्द जाहिर हुआ
भोपाल, 2 जुलाई 2020। मध्यप्रदेश में आज शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। प्रभारी राज्यपाल अनंति बेन पटेल ने 28 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल के इस विस्तार में सीएम शिवराज सिंह को जोर का झटका लगा है। मुख्यमंत्री होने के बाद भी 28 में से सिर्फ चार मंत्री ही उनके हैं।
सबसे अधिक फायदे में रहे हैं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया। उनके 11 समर्थक मंत्री बनने में कामयाब हुए हैं। लंबी प्रतीक्षा के बाद गुरुवार सुबह मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट का विस्तार तो हो गया, लेकिन मंत्रिमंडल को देखकर यह नहीं लगता कि यह उनकी सरकार है। मंत्रिमंडल में चौहान के विश्वासपात्रों की नितांत कमी है। शपथ लेने वालों में 28 कैबिनेट स्तर के और 8 राज्य मंत्री हैं। नए मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं किया गया है।
सीएम शिवराज ने बुधवार को कहा था कि समुद्र मंथन से जो विष निकलता है उसे भगवान शंकर पी जाते हैं और अमृत सभी में बंटता है। उनके इस बयान से जाहिर हो गया था कि कैबिनेट लिस्ट में उनके लोगों को जगह नहीं मिल पाई है। यानी कैबिनेट चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज की नहीं चली है। उन्होंने ज्यादातर ज्योतिरादित्य सिंधिया और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के लोगों को कैबिनेट में जगह दी है। शिवराज ने ट्वीट कर अपना दर्द बयां किया था। सीएम शिवराज ने ट्वीट में कहा था, ‘आये थे आप हमदर्द बनकर, रह गये केवल राहज़न बनकर। पल-पल राहज़नी की इस कदर आपने, कि आपकी यादें रह गईं दिलों में जख्म बनकर।’ राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह ट्वीट शिवराज सिंह चौहान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए किया है। सीएम कहना चाह रहे हैं कि आप हमदर्द बनकर आए यानी कांग्रेस की सरकार गिराकर बीजेपी में आए। उसके बाद आप मंत्रिमंडल में अपने लोगों की हिस्सेदारी को लेकर इतना तोलमोल कर रहे हैं कि यह जख्म बन चुका है।
शिवराज लाख कोशिशों के बावजूद रामपाल सिंह और गौरीशंकर बिसेन जैसे अपने पसंदीदा नेताओं को मंत्री नहीं बना सके। इससे पहले उनकी कैबिनेट का हिस्सा रहे कई सदस्यों को इस बार मंत्री पद से दूर रहना पड़ा है। कहा जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने नए चेहरों को मौका देने के लिए शिवराज के पसंदीदा नामों पर कैंची चला दी।
नई कैबिनेट में दो डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा है, लेकिन इनमें से एक भी चौहान का भरोसेमंद नहीं है। नरोत्तम मिश्रा के साथ उनके मतभेदों की बात किसी से छिपी नहीं है। मिश्रा पार्टी के केंद्रीय नेताओं के भरोसेमंद हैं और शिवराज सरकार के लिए भी कई बार संकटमोचक की भूमिका निभा चुके हैं। कैबिनेट के विस्तार के बाद अलग-अलग धड़ों को संभाले रखने में शिवराज की उन पर निर्भरता बढ़ सकती है, लेकिन यह उनके लिए अच्छी खबर नहीं है। इसी तरह तुलसी सिलावट की कार्यशैली, शिवराज के तरीकों से मेल नहीं खाते। वे कैबिनेट में सिंधिया गुट के सबसे सीनियर नेता हैं, लेकिन अपने काम करने के तरीकों के चलते अक्सर विवादों में आ जाते हैं।
शिवराज अपने पसंदीदा पुराने बीजेपी नेताओं को तो मंत्री नहीं ही बना सके, नए चेहरों में भी उनके पसंदीदा लोग कम ही हैं। कई ऐसे लोग पहली बार मंत्री बने हैं, जो शिवराज के लिए मुसीबत बन सकते हैं। इंदौर से रमेश मेंदोला को राज्य मंत्री बनाया गया है। कैलाश विजयवर्गीय के समर्थक मेंदोला कई बार सीएम की अप्रत्यक्ष आलोचना कर चुके हैं। मेंदोला को मंत्री बनाने की मांग पहले भी कई बार हुई, लेकिन शिवराज इससे इंकार करते रहे। अब जबकि विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव बन चुके हैं, मेंदोला के नाम को पार्टी आलाकमान ने मंजूरी दे दी और शिवराज को उन्हें मजबूरी में मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ा है।