बकरा भात मामले में प्राचार्यों को जारी हुआ शोकॉज नोटिस… पूरे मामले का खुलासा करने वाले शिक्षक नेता विवेक दुबे ने अब एक नया ऑडियो वायरल करके प्राचार्य की भूमिका को किया उजागर… सुने पूरी बातचीत और देखें प्राचार्य की लापरवाही !
रायपुर 7 जुलाई 2021। महिला शिक्षिका से बकरा भात के नाम पर रिश्वत की मांग करने वाले बाबू हरीश पारेश्वर को तो सजा मिल गई लेकिन जिनकी वेतन दिलाने की मुख्य जिम्मेदारी थी उस प्राचार्य पर अभी कार्रवाई की गाज नहीं गिरी है और केवल कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है।
ऐसे में पूरे मामले को प्रदेश के सामने लाने वाले शिक्षक नेता विवेक दुबे ने प्राचार्य से हुई बातचीत का ऑडियो जारी कर एक बार फिर हड़कंप मचा दिया है ऑडियो को सुनने से यह साफ पता चलता है कि उनके द्वारा लगातार डीडीओ प्राचार्य आर आर जगत को पूरे मामले की जानकारी दी जा रही थी और प्रकरण का निराकरण करने के लिए पूरा समय भी दिया जा रहा था लेकिन प्राचार्य ही जानबूझकर पूरे मामले को टाल रहे थे ।
यहां तक की जिस ट्रेजरी आपत्ति की बात सामने आ रही थी उस ट्रेजरी से केवल मौखिक आपत्ति होने की बात स्वयं प्राचार्य स्वीकार कर रहे हैं ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या स्वयं प्राचार्य नहीं चाहते थे कि महिला शिक्षिका को वेतन भुगतान हो क्योंकि न तो उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और न ही उच्च कार्यालय से मार्गदर्शन लिया , यही नहीं जब इस पूरे मामले की जानकारी सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे प्राचार्य को दे रहे थे तो भी वह बात को गंभीरता से न लेते हुए और हंसते हुए सुनाई पड़ रहे हैं ऐसे में अब देखना होगा की पूरे सबूत सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी और जिला कलेक्टर द्वारा दोषी प्राचार्य के विरुद्ध किस प्रकार की कार्यवाही प्रस्तावित की जाती है क्योंकि अब यह तो साफ है कि इस खेल का असली खिलाड़ी बाबू नहीं बल्कि प्राचार्य आर आर जगत थे ।
प्राचार्य ही मामले के असली दोषी – विवेक दुबे
मैंने डीडीओ प्राचार्य आरआर जगत को पूरे मामले की लगातार जानकारी दी थी इसके व्हाट्सएप रिकॉर्ड और ऑडियो दोनों मेरे पास सुरक्षित हैं लेकिन प्राचार्य कभी इस मामले को लेकर गंभीर ही नहीं रहे और जानबूझकर महिला कर्मचारी को घुमाते रहे, बाबू के साथ इनकी परस्पर सहभागिता थी यही वजह है कि इतनी लेटलतीफी हुई वरना वह स्वयं बाबू के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को लिख सकते थे । यह संभव ही नहीं है कि एक प्राचार्य के रहते हुए कोई बाबू किसी कर्मचारी का वेतन 8 माह तक रोक दें क्योंकि वेतन देने की असली जिम्मेदारी प्राचार्य की है न कि बाबू की , बाबू को उसके व्यवहार के लिए सजा मिल चुका है लेकिन असली न्याय तभी होगा जब दोषी प्राचार्य पर भी कड़ी कार्रवाई होगी और हम इसके लिए प्रयासरत हैं ।