देखिए :- कैसे नियमों को तोड़ मरोड़ कर शिक्षाकर्मियों को घुमाते हैं अधिकारी , शादीशुदा महिलाओं के लिए अलग ही नियम बना दिया इस अधिकारी ने ….. इस अधिकारी के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट से बड़ा है पेपर में छपा हुआ इश्तिहार!
रायपुर 13 अक्टूबर 2020। शिक्षाकर्मियों के द्वारा बार-बार यह आरोप लगाया जाता है की स्थानीय अधिकारी उन्हें बेमतलब परेशान करते हैं और उनके चलते उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी झेलना पड़ता है लेकिन इसका स्तर कितना भयानक है उसे इस केस से समझिए । नगर पालिका तिल्दा के अंतर्गत नेवरा के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षाकर्मी चांदनी यदुवंशी और किरण पात्रे अपने विवाह की जानकारी को अपने सर्विस बुक में इंद्राज कराने के लिए कार्यालय पहुंची तो उन्हें मना कर दिया गया।
उन्हें कहा गया कि जब तक पेपर में इसका इसका दांवा आपत्ति वाला इश्तिहार नही छपेगा तब तक हम सर्विस बुक में इसकी एंट्री नहीं करेंगे और यह बात स्वयं उनसे नगर पालिका सीएमओ डहरिया ने भी दोहराई , जबकिसंविलियन की कगार पर खड़ी दोनों महिला शिक्षाकर्मी राज्य सरकार द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट और साथ ही साथ आवश्यकता पड़ने पर नोटरी का शपथ पत्र भी देने को तैयार थी ।
परेशान होकर उन्होंने शिक्षाकर्मी नेता और संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे को अपनी परेशानी बताई , अपनी महिला साथियों की परेशानी को देख कर उन्होंने तत्काल सीएमओ को फोन किया और उनसे इस विषय में जानकारी ली तो उन्हें भी सीएमओ ने दो टूक कह दिया कि मैं राज्य सरकार के प्रमाण पत्र को नहीं पेपर के इश्तिहार को ही मानूंगा , इसके बाद मामला नगरीय प्रशासन विभाग के अपर संचालक सौमिल रंजन चौबे के पास पहुंचा तो उन्होंने इसे नियम विरुद्ध बताया है ।
इस पूरे मामले को सामने लाने वाले संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे का कहना है कि
“निचले स्तर के अधिकारी कर्मचारी शिक्षाकर्मियों को बेवजह परेशान करते हैं और यह मामला भी उसी का एक उदाहरण है जिसमें सीधे-सीधे राज्य सरकार के सर्टिफिकेट को दरकिनार करते हुए अखबार में छपे हुए इस्तिहार को मानने की बात कही जा रही थी , इसी प्रकार अलग-अलग चीजों के लिए शिक्षाकर्मियों को परेशान किया जाता है और उनसे कई प्रकरणों में अवैध वसूली भी की जाती है । हमारे संज्ञान में जो मामला आता है हम उसे सबूत के साथ उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत कर देते हैं । इस प्रकार शिक्षाकर्मी या किसी भी कर्मचारी को बेवजह परेशान करना पूरी तरह गलत है और हम इसके विरोध में हमेशा खड़े हैं ।