Begin typing your search above and press return to search.

…छत्तीसगढ़ के इस कलेक्टर को सलाम !….डिलेवरी के लिए पत्नी को सरकारी अस्पताल में कराया भर्ती….दूसरी बार बिटिया के बने पापा…..अब सोशल मीडिया में खूब हो रही है तारीफ…

…छत्तीसगढ़ के इस कलेक्टर को सलाम !….डिलेवरी के लिए पत्नी को सरकारी अस्पताल में कराया भर्ती….दूसरी बार बिटिया के बने पापा…..अब सोशल मीडिया में खूब हो रही है तारीफ…
X
By NPG News

कबीरधाम 7 जनवरी 2020। …आज जब हर छोटी से छोटी बीमारी के लिए लोग प्राइवेट हास्पीटल पहुंच रहे हैं,…..तो उस दौर में कलेक्टर अवनीश शरण ने अपनी पत्नी रूद्राणी को डिलेवरी के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। 5 जनवरी को कलेक्टर अवनीश शरण की पत्नी ने कवर्धा के जिला अस्पताल में ही बेटी को जन्म दिया। अपने जुदा अंदाज से हमेशा चर्चित रहे अवनीश शरण के इस कदम को प्रदेश नहीं देश भर में सराहा जा रहा है। 2009 बैच के कलेक्टर अवनीश शरण ने अभी हाल ही में करियर का 10वां साल पूरा किया था, जिसके बाद उन्होंने एक प्रेरक कविता के बोल के साथ सरकारी सिस्टम को बेस्ट करार दिया था।

इस IAS को 10th में आये थे थर्ड डिवीजन….आज के बच्चों के लिए ये हैं असली मोटिवेटर ….औसत दर्जे के स्टूडेंट से IAS बनने की ये कहानी करिश्माई है….

कुछ दिन पहले भी कलेक्टर अवनीश शरण ने बलरामपुर कलेक्टर रहते इसी तरह की एक कोशिश की थी, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी, उन्होंने अपनी बिटिया का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया था। चकाचौंध से दूर कलेक्टर की बिटिया आम बच्चों के बीच ही बैठक पढ़ाई व मध्याह्न भोजन करती है। इस कदम को राष्ट्रीय तौर पर एक मिसाल के तौर पर देखा गया था। सोशल मीडिया पर हमेशा मुखर रहने वाले खुद की कमियों को भी बताने से पीछे नहीं रहते। उन्होंने खुद 10वीं के इम्तिहान में थर्ड डिवीजन आने के बाद भी IAS बनने की करिश्माई कोशिश को फेसबुक पर बयां कर मायुस छात्र-छात्राओं को प्रेरणा दी थी।

इसी तरह का कदम उन्होंने अपनी पत्नी रुद्राणी की डिलेवरी के वक्त भी उठाया, जब उन्होंने जिला अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया, जहां बिटिया का जन्म हुआ। मां-बच्ची दोनों स्वस्थ्य है। IAS अवनीश को सोशल मीडिया पर भी खूब सराहना मिल रही है। फेसबुक पर आ रहे कमेंट में अवनीश शरण को बधाई के साथ-साथ सरकारी तंत्र पर विश्वास बढ़ाने वाला कदम भी बताया जा रहा है।

Image may contain: 3 people, people smiling, people standing

2009 बैच के IAS हैं अवनीश शरण

मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर के केवटा गांव के रहने वाले अवनीश बेहद साधारण परिवार से हैं। पिता शिक्षक थे और मां गृहणी थी। पूरी पढ़ाई उनकी गांव और आसपास में हुई। घर पर बिजली नहीं थी, सो लालटेन के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी की। स्कूल के दिनों में औसत दर्जे के छात्र रहे अवनीश को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब 10वीं में उनका रिजल्ट थर्ड डिवीजन आया। लेकिन वो दूसरे बच्चों की तरह हार मानने वालों में नहीं थे। आगे बढ़ने की ललक, नाकामी को छोड़ अपनी नयी राह की तलाश में वो आगे बढ़ते रहे फिर 12वीं में उन्होंने 65 फीसदी अंक हासिल किया, लेकिन ग्रेजुएशन में एक बार फिर किसी तरह से फर्स्ट डिवीजन में जगह बना सके। औसत दर्जे के छात्र जिस वक्त में शिक्षक व छोटी-मोटी नौकरी को अपना लक्ष्य मान लेते हों. उस वक्त उन्होंने IAS बनने का सपना देखा। हालांकि तब भी लोग हैरान हुए होंगे, लेकिन हौसले ने पर लगाये, तो फिर कामयाबी की उड़ान पर कैसे रोक लगती। अवनीश 7 साल के कठिन परिश्रम के बाद एक कलेक्टर बनकर लौटे। 2009 बैच के IAS अवनीश ने एक साक्षात्कार में कहा था कि UPSC में पेसेंस जरूरी है। लिहाजा 2002 में ग्रेजुएशन के बाद 7 साल उन्होंने मेहनत की और फिर कामयाबी का झंडा बुलंद किया।

Next Story