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संविलियन के चार माह बाद भी नहीं मिली सैलरी….कोरोना संकट में सैकड़ों गुरूजी के सामने पेट का संकट……DPI बोले- संज्ञान में आते ही अफसरों को दिया है निर्देश….शिक्षक नेता विवेक ने स्थानीय अधिकारियों को बताया जिम्मेदार

संविलियन के चार माह बाद भी नहीं मिली सैलरी….कोरोना संकट में सैकड़ों गुरूजी के सामने पेट का संकट……DPI बोले- संज्ञान में आते ही अफसरों को दिया है निर्देश….शिक्षक नेता विवेक ने स्थानीय अधिकारियों को बताया जिम्मेदार
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By NPG News

रायपुर 10 जुलाई 2020। संविलियन के बाद भी शिक्षकों का सैलरी संकट खत्म नहीं हुआ है। चार महीने से पगार की फूटी कौड़ी भी गुरूजी के खातों में जमा नहीं हुई है, लिहाजा कोरोना संकट के बीच सूबे के कई शिक्षकों के सामने पेट का संकट खड़ा हो गया है। जिन शिक्षकों की व्यथा हम आपको बता रहे हैं, दरअसल उनका संविलियन 1 जनवरी को हुआ था, लेकिन संविलियन के बाद से ही उनकी सैलरी बंद है। खबर है कि स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा इन शिक्षाकर्मियों को भुगतना पड़ रहा है।

दरअसल संविलियन के बाद कई शिक्षकों की सैलरी तो सुचारू हो गयी, लेकिन कई जिलों और विकासखंड में अभी ये शिकायत है कि संविलियन के बाद से ही उनकी सैलरी रूकी है। वजह बतायी जा रही है कि संविलियन का आधा-अधूरा दस्तावेज। दरअसल कई शिक्षकों के प्रान खाता नंबर ही एलाट नहीं हुआ है, जिसकी वजह से उनकी सैलरी की प्रक्रिया अटक गयी है। हालांकि इस मामले की सूचना जैसे ही DPI जितेंद्र शुक्ला को हुई, उन्होंने तत्काल इस संदर्भ में अधिकारियों को निर्देशित कर दिया कि शिक्षकों की सैलरी का इंतजाम कराया जाये।

दरअसल प्रदेश में ऐसे बहुत से शिक्षक/शिक्षाकर्मी हैं जो सालों से सेवा दे रहे हैं बावजूद इसके उनका प्रान खाता जनरेट नहीं हो सका है, जबकि यह उनके विकास खंड कार्यालय की जिम्मेदारी थी जिसका निर्वहन वहां के अधिकारियों ने नहीं किया ऐसे में अब उस शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है ।

इस मामले में डीपीआई जितेंद्र शुक्ला ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को सैलरी के संदर्भ में कार्रवाई को आगे बढाने का निर्देश दिया है…उन्होंने NPG से कहा कि ..

“संविलियन के बाद शिक्षकों को सैलरी मिलनी शुरु हो गयी है, लेकिन जिन शिक्षकों की समस्याओं के बारे में आप जानकारी दे रहे हैं, उसकी सूचना मुझे मिली थी, जिसके बाद मैंने तुरंत अधिकारियों को इस संदर्भ में निर्देश दे दिया है, मैं आपके माध्यम से शिक्षकों को ये कहना भी चाहूंगा कि जिनकी सैलरी नहीं आयी है, वो स्थानीय स्तर पर DEO से मिल लें…इस संदर्भ में मेरा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश है कि सैलरी का भुगतान शिक्षकों को सुचारू रूप से किया जाये”

स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही का शिक्षाकर्मी भुगत रहे खामियाजा – विवेक दुबे

जनवरी में जिन शिक्षाकर्मियों का संविलियन हुआ है वह सभी 8 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं ऐसे में उनका प्रान खाता न बन पाना या फिर प्रान एकाउंट का स्कूल शिक्षा विभाग के खाते में ट्रांसफर न होना साफ बताता है कि इसके दोषी पूर्णरूपेण स्थानीय अधिकारी हैं क्योंकि यह सब काम जनवरी में ही संपन्न हो जाना था क्योंकि लॉक डाउन भी 15 मार्च के बाद हुआ है। स्वाभाविक सी बात है कि जिनका प्रान अकाउंट नहीं बना है उनका पंचायत विभाग की सेवा के दौरान कोई पैसा खाते में जमा ही नहीं हुआ है यह भी शासन के निर्देशों की सीधे-सीधे अवहेलना हैं । लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक श्री जितेंद्र शुक्ला सर ने भी वेतन भुगतान का स्पष्ट निर्देश जारी किया था बावजूद इसके कई जगहों पर शिक्षाकर्मी साथियों को वेतन नहीं मिल पाया है मैंने फिर से संचालक सर को अवगत कराते हुए शिक्षाकर्मियों को समस्या से निजात दिलाने की मांग की है साथ ही गुजारिश की है कि इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर ऐसी पहल की जाए की जुलाई 2020 में संविलियन होने वाले शिक्षाकर्मियों को इस समस्या का सामना न करना पड़े क्योंकि सैकड़ों की संख्या में अभी भी शिक्षाकर्मियों का प्रान नंबर नहीं बना है और बार-बार वह स्थानीय कार्यालय में आवेदन दे रहे हैं बावजूद इसके स्थानीय कार्यालय इस मामले को लेकर संजीदा नहीं है । ऐसे में इन स्थानीय अधिकारियों के लिए सख्त निर्देश जारी होना अत्यंत आवश्यक है

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