लॉकडाउन में वेतन मामला : केंद्र ने SC में कहा, लॉकडाउन में सैलरी कंपनी और कर्मचारी का मसला, पहले दिया था पूरे वेतन का आदेश….SC ने कहा- लॉकडाउन के दौरान वेतन न देने वाली कंपनियों पर फिलहाल कोई कार्रवाई न की जाए

नयी दिल्ली 4 जून 2020। लॉकडाउन के दौरान कामगारों को वेतन देने के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून के लिए सुरक्षित रख लिया है. यह आदेश केंद्र सरकार ने 29 मार्च को दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला आने तक आदेश का पालन न करने वाली कंपनियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि 54 दिन के लॉकडाउन के दौरान वेतन देने के इस मुद्दे पर कंपनियों और कामगारों के बीच कुछ मोलभाव होना जरूरी है।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि यह कंपनी और कर्मचारी के बीच का मसला है। यही नहीं सरकार ने कहा कि हम इसमें दखल नहीं देंगे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 29 मार्च को आदेश जारी किया गया था कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान भी कंपनियों को एंप्लॉयीज को पूरी सैलरी देनी होगी। ऐसा न किए जाने पर उनके खिलाफ ऐक्शन होगा।
सरकार के इस आदेश पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए रोक लगा दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आखिर सरकार कंपनियों से लगातार कितने दिन बिना काम के पूरी सैलरी देने की उम्मीद रखती है। इसके साथ ही कोर्ट ने होम मिनिस्ट्री के आदेश के पालन पर रोक लगा दी थी। अब जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि 54 दिनों के लॉकडाउन के दौरान की सैलरी के भुगतान को लेकर कंपनियों और कर्मचारियों के बीच कोई सहमति बननी चाहिए।
उधर, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले को सही ठहराया. उसका कहना था कि जो कंपनियां यह कह रही हैं कि वे वेतन देने में सक्षम नहीं हैं उनकी ऑडिटेड बैलेंस शीट और खातों की जानकारी अदालत में पेश करने को कहा जाए. सरकार के मुताबिक यह आदेश इस मुश्किल वक्त के दौरान खासकर ठेके पर और बिना अनुबंध के काम कर रहे कामगारों के संकट कम करने के लिए जरूरी था.